Photo : दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में वायु प्रदूषण के बाद बच्चों में सांस की तकलीफें बढी हैं: द्वारा : विवेक मिश्रा 
वायु

प्रदूषण में गिरावट के बावजूद दिल्ली में जानलेवा है फिजा, 54 फीसदी शहरों में स्थिति चिंताजनक

दिल्ली के बाद देश में मेरठ, गाजियाबाद और भिवानी की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है

Lalit Maurya

दिल्ली में कल से प्रदूषण में भारी गिरावट आई है, जहां 58 अंकों की गिरावट के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 364 से 306 पर पहुंच गया। हालांकि इसके बावजूद दिल्ली की फिजा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। हालात यह हैं कि दिल्ली में प्रदूषण से लोगों का सांस लेना तक दुश्वार हो गया है।

दिल्ली के बाद देश में मेरठ, गाजियाबाद और भिवानी की हवा सबसे ज्यादा दूषित है। इन शहरों में एक्यूआई 300 के करीब बना हुआ है।

इसी तरह देश के छोटे बड़े 29 शहरों में प्रदूषण से हालात दमघोंटू बने हुए हैं। हालांकि कल से तुलना करें तो देश में 'खराब' वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 15 फीसदी की गिरावट जरूर आई है।

बता दें कि देश के जिन शहरों में हालात दमघोटू बने हुए हैं, उनमें अमृतसर, बद्दी, बागपत, भिवाड़ी, भिवानी, बीकानेर, बुलन्दशहर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, हिसार, जयपुर, झुंझुनूं, जींद, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पाली, पीथमपुर, सीकर, सोनीपत, श्रीगंगानगर, सूरत और टोंक शामिल हैं।

दिल्ली की तरह ही पड़ोसी शहर फरीदाबाद की वायु गुणवत्ता में अच्छा खासा सुधार आया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 96 अंक गिरकर 142 पर पहुंच गया है। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर खराब से सुधरकर मध्यम श्रेणी में पहुंच गया। फरीदाबाद की तरह ही देश के 100 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम बना हुआ है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अकोला, अलवर, अमरावती, अम्बाला, अमरावती, अंगुल, अंकलेश्वर, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बल्लभगढ़, बारां, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, बिहारशरीफ, बोईसर, बूंदी, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, दौसा, धारूहेड़ा, धुले, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गुम्मिडिपूंडी, हाजीपुर, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झांसी, जोधपुर, कैथल, कानपुर, करौली, करनाल, कटनी, खन्ना, कोटा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मालेगांव, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मानेसर,  मुरादाबाद, मुंबई, नागौर, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पलवल, पानीपत, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पुणे, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रानीपेट, रतलाम, रोहतक, राउरकेला, सागर, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, सिंगरौली, सिरसा, सिवान, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वातवा, विशाखापत्तनम और वृंदावन शामिल थे। 

हालांकि कल के मुकाबले देखें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों में करीब आठ फीसदी का इजाफा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ ताजा रुझानों से पता चला है कि देश के 54 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर बनी हुई है। इन शहरों में गुवाहाटी, हल्दिया, हसन, हावड़ा, हुबली, कांचीपुरम, करूर, कोलकाता, कोल्लम, मदिकेरी, मदुरै, मैसूर, नगांव, नाहरलगुन, नलबाड़ी, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पूर्णिया आदि शहर शामिल थे।

आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में पालकालाइपेरुर में हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 20 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि दिल्ली की तुलना पालकालाइपेरुर से करें तो वहां स्थिति 15 गुणा ज्यादा खराब है।

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि देश के 57 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। इन शहरों में कल्याण, काशीपुर, क्योंझर, किशनगंज, कोल्हापुर, कोरबा, महाड, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नयागढ़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायपुर, राजगीर, राजसमंद, रूपनगर, सहरसा, सांगली, सासाराम आदि शहर शामिल हैं।

हालांकि कल के मुकाबले देखें तो देश में संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 29 फीसदी की भारी गिरावट आई है।

कुल मिलकर देखें तो देश में प्रदूषण से मिलीजुली स्थिति बनी हुई है। देश के जहां 22 फीसदी से ज्यादा शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर है। वहीं करीब 24 फीसदी में स्थिति संतोषजनक है, जबकि दूसरी तरफ 54 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक बने हुए हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 24 अक्टूबर 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 241 में से 54 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 57 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 23 अक्टूबर 2024 यह आंकड़ा 80 दर्ज किया गया था। 100 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

इन शहरों की सबसे साफ रही हवा

देश के जिन 54 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अररिया, आसनसोल, बागलकोट, बालासोर, बारीपदा, बैरकपुर, बेगूसराय, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, ब्यासनगर, चामराजनगर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, डिंडीगुल, दुर्गापुर, गंगटोक, गुवाहाटी, हल्दिया, हसन, हावड़ा, हुबली, कांचीपुरम, करूर, कोलकाता, कोल्लम, मदिकेरी, मदुरै, मैसूर, नगांव, नाहरलगुन, नलबाड़ी, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, पूर्णिया, रामनगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, उडुपी, वेल्लोर, विजयपुरा शामिल रहे।

वहीं अजमेर, बारबिल, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भिलाई, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बक्सर, बर्नीहाट, छाल, छपरा, चित्तूर, देहरादून, धारवाड़, धौलपुर, एलूर, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, काशीपुर, क्योंझर, किशनगंज, कोल्हापुर, कोरबा, महाड, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नयागढ़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायपुर, राजगीर, राजसमंद, रूपनगर, सहरसा, सांगली, सासाराम, सतना, सिरोही, सोलापुर, सुआकाती, तिरुपति, तिरुपुर, तुमकुरु, वापी, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, यादगीर आदि 57 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।