दीपावली में दीपों से होता उजियारा; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

रोक के बावजूद दिल्ली में जमकर हुई आतिशबाजी, कई जगह 400 के पास पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

जारी आंकड़ों को देखें तो दिल्ली के 37 स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता का औसत स्तर 363 दर्ज किया गया, जोकि वायु गुणवत्ता को बेहद खराब होने की ओर इशारा करता है

Lalit Maurya

दिल्ली में रोक के बावजूद कई दीवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई। यही वजह है कि एक नवंबर यानी आज सुबह नौ बजे कई स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के करीब तक पहुंच गया। कुछ ऐसी ही स्थिति दीपावली की रात को भी दर्ज की गई।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शुक्रवार सुबह नौ बजे जारी आंकड़ों को देखें तो दिल्ली के 37 स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता का औसत स्तर 363 दर्ज किया गया, जोकि वायु गुणवत्ता को बेहद खराब होने की ओर इशारा करता है।

गौरतलब है कि सुबह सात बजे आनंद विहार में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जब सूचकांक 419 तक पहुंच गया। हालांकि नौ बजे भी सूचकांक 393 पर बना हुआ था। बता दें कि दिल्ली में 31 अक्टूबर 2024 को वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 दर्ज किया गया।

आंकड़ों के मुताबिक जहां दिलशाद गार्डन में वायु गुणवत्ता सबसे साफ रही, हालांकि वहां भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 257 दर्ज किया गया। इसी तरह डीटीयू और नरेला में भी स्थिति अन्य से बेहतर रही। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से नीचे रहा। दूसरी तरफ श्री अरबिंदो मार्ग, शादीपुर, नजफगढ़, आईटीओ, चांदनी चौक, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और आया नगर में वायु गुणवत्ता 300 से 350 के बीच रही।

वहीं दूसरी तरफ लोधी रोड और एनएसआईटी, द्वारका पर वायु गुणवत्ता का स्तर 354 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह अलीपुर (356), ओखला (360), पटपड़गंज (365), सीआरआरआई, मथुरा रोड (369), मेजर ध्यानचंद स्टेडियम         (371), मुंडका (373), द्वारका सेक्टर 8 (374), आईजीआई एयरपोर्ट (374), मंदिर मार्ग (375), सिरीफोर्ट (376), विवेक विहार (376), डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज   (384), नेहरू नगर (384), अशोक विहार (389), रोहिणी (389), जहांगीर पुरी (390), उत्तरी परिसर (390), वजीरपुर (390), बुराड़ी क्रॉसिंग (391), पंजाबी बाग (392), आनंद विहार          (393), बवाना (398), आर के पुरम (398) और सोनिया विहार (398) में स्थिति जानलेवा थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति पूसा की रही जहां एक्यूआई 400 पर पहुंच गया।

वहीं दूसरी तरफ अन्य शहरों में स्थिति मिली जुली रही। आंकड़ों के मुताबिक जहां फरीदाबाद (सेक्टर 11) में वायु गुणवत्ता सूचकांक 296 दर्ज किया गया। गाजियाबाद (लोनी) में वो 352 तक पहुंच गया। इसी तरह नोएडा (सेक्टर - 62) में एक्यूआई 337, जबकि मेरठ (जय भीम नगर) में 314 दर्ज किया गया। दूसरी तरफ मुंबई (बांद्रा) में एक्यूआई 194, कानपुर (नेहरू नगर) में 263, लखनऊ (लालबाग) में 272, पटना (डीआरएम कार्यालय दानापुर) में 175, कोलकाता (बालीगंज) में 173, और हैदराबाद (कोकापेट) में 150 रिकॉर्ड किया गया।

गौरतलब है कि दीपावली की रात नौ बजे आनंद विहार पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 दर्ज किया गया था। उस दौरान वहां प्रदूषकों में पीएम 10 हावी रहा। वहीं आरके पुरम (382), पंजाबी बाग (380), जहांगीरपुरी (371), बवाना (366) और अशोक विहार (359) में भी स्थिति बेहद खराब रही।

हालांकि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राजधानी दिल्ली में आतिशबाजी पर रोक लगा दी गई थी। इसके बावजूद लोगों ने नियमों को ताक पर रख जमकर पटाखे जलाए। इसका नतीजा यह रहा कि दिल्ली धुंए की चादर में ढंक गई। कई जगहों पर वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी जारी रहा। वहीं कई इलाकों में विजिबिलिटी काफी गिर गई।

गौरतबल है कि प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है, विशेषकर मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।