भारत के शहरों में सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने की खबरें आमतौर पर सामने आती हैं, लेकिन अब एक अध्ययन में सामने आया है कि गर्मी के मौसम में भी वायु की गुणवत्ता खराब हो सकती है और इससे मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।
मौसम और पर्यावरण का अध्ययन करने वाली संस्था क्लाईमेट ट्रेंड्स के अनुसार दिल्ली, पटना, लखनऊ. मुंबई और कोलकाता में बढ़े तापमान के कारण पीएम 2.5 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पीएम 2.5 डाटा और ईआरए5 के तापमान डाटा के आधार पर किए गए इस अध्ययन में वर्ष 2022, 2023 और 2024 के अप्रैल व मई माह की मौसमी परिस्थितियों एवं वायु प्रदूषण को मापा गया है।
भारत के शहरों में इस वर्ष गर्मी में तापमान में रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई। अब तक बढ़ती गर्मी को इंसानों के लिए खतरा बताया जाता है, लेकिन नए अध्ययन में तापमान का असर वायु प्रदूषण पर भी पड़ने की बात सामने आई है।
अध्ययन में कहा गया है कि अधिक तापमान का सीधा असर पीएम 2.5 पर पड़ता है और इस स्थिति में रासायनिक प्रतिक्रिया और बढ़े हुए वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड्स (वीओसी) के कारण प्रदूषकों का निर्माण होता है, जो हवा को दूषित कर खतरनाक बनाते हैं।
ये प्रदूषक (सेकेंड्री आर्गेनिक एरोसोल्स यानी एसओए) वीओसी के आक्सीकरण से बनते हैं जो कि संघनित होकर पर्टिकुलेट मैटर बन जाते हैं। नाइट्रिक आक्साइड के साथ हाइड्रोकार्बन की प्रतिक्रिया से पेरोक्सीएसिटल नाइट्रेट बनता है, जो फोटोकेमिकल स्मॉग का निर्माण करता है।
इस अध्ययन में विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में अलग-अलग स्थानों पर किया गया है जिसमें पता चला है कि मौसमी परिस्थितियां वायु प्रदूषकों के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन करती हैं। वायु प्रदूषण को प्रभावित करने वाले कारकों में हवा की गति, दिशा, तापमान और ऊंचाई आदि शामिल हैं।
अप्रैल और मई पर्टिकुलेट मैटीरियल के स्तर को प्रभावित करने वाले अहम महीने हैं, क्योंकि इसी समय देश में सर्दी से गर्मी के मौसम का बदलाव सामने आता है और तापमान बढ़ता है। बढ़े तापमान से एसओए प्रदूषकों के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाती है जो पीएम 2.5 बनाने में अहम योगदान देते हैं।
क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक इन महीनों में सूर्य का बढ़ा हुआ विकिरण भी इस रासायनिक प्रक्रिया को तेज करता है जिससे पीएम 2.5 का घनत्व बढ़ता है। अध्ययन यह भी कहता है कि अधिक तापमान और पीएम 2.5 के संपर्क में एक साथ रहने से मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव होता है। जब बढ़े हुए तापमान के बीच पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है तो इससे स्वास्थ्य को कई समस्याएं हो सकती हैं।
अधिक तापमान औऱ पीएम 2.5 मिलकर श्वास संबंधी गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं, फेफड़ों की काम करने की क्षमता कम कर सकते हैं।
साथ ही, पीएम 2.5 और अत्यधिक तापमान मिलकर शरीर में हृदय और रक्वाहिका तंत्र के कामकाज को भी प्रभावित कर सकते हैं। इन दोनों का मिश्रण दिल की धड़कन तीव्र करने के साथ ब्लडप्रेशर और वाहिकाओं में सूजन बढ़ा सकता है जिससे हृदय संबंधी समस्याएं पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा पीएम 2.5 से फेफड़ों का कामकाज प्रभावित होता है जिससे अत्यधिक तापमान के शारिरिक दुष्प्रभावों से निपटना मानव के लिए मुश्किल हो सकता है।
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में अप्रैल-मई 2022 की तुलना में 2023 की इसी अवधि में पीएम 2.5 का स्तर 28.4 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2024 में अप्रैल-मई में 2022 की तुलना में पीएम 2.5 का स्तर 21.3 प्रतिशत बढ़ा। वर्ष 2024 में इन दो महीनों में औसत तापमान में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 31.87 डिग्री सेल्सियस रहा।
इसके अलावा पटना में बीते कई वर्षों में तापमान और पीएम 2.5 के स्तर में उतार-चढ़ाव रहा है। 2022 की तुलना में 2023 में पटना में पीएम 2.5 के स्तर में कमी रही, लेकिन 2024 में यह उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया। यह ट्रेंड तापमान के लिए देखा गया और 2022 की तुलना में 2023 में कम हुआ तापमान 2024 में बढ़ गया।
लखनऊ में 2022 की तुलना में 2023 में पीएम 2.5 के स्तर में कमी देखी गई है, लेकिन 2024 में यह बढ़ गया। तापमान को लेकर भी उत्तर प्रदेश की राजधानी कमोवेश यही रुख रहा जोकि संकेत करता है कि तापमान के साथ पीएम 2.5 के स्तर का सीधा जुड़ाव है।
मुंबई में 2022 की तुलना में 2023 में तापमान में हल्की कमी हुई जो 2024 में और कम हो गया। इसी कारण पीएम 2.5 भी इन वर्षों में क्रमशः कम होता रहा। कोलकाता में 2022 की तुलना में 2023 में पीएम 2.5 के स्तर में काफी बढ़ोतरी रही और यह 28 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि 2024 में यह करीब 11 प्रतिशत हो गया।
विज्ञप्ति के मुताबिक इस अध्ययन के लिए प्रयोग किए गए डाटासेट में इन पांच शहरों में स्थित मानीटरिंग सेंटर से आंकड़े लिए गए। इसके बाद हर शहर के हिसाब से डाटा को व्यवस्थित किया गया। लखनऊ में अप्रैल 2022 में पीएम 2.5 का स्तर काफी अधिक रहा और क्रमिक रूप से बढ़ता रहा। इसी तरह तापमान में भी अप्रैल की शुरुआत से लेकर आखिरी तक वृद्धि हुई। यह प्री मानसून पैटर्न की स्थिति की तरह रहा जिसमें अधिक तापमान के साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा। वायु प्रदूषण के लिए वाहनों और उद्योगों का उत्सर्जन अहम रहा।
पटना के बारे में अध्ययन कहता है कि वर्षों से पीएम 2.5 और तापमान का संबंध देखा जा रहा है, लेकिन वर्ष 2022 में दो बार उच्चतम स्तर के दो अवसर आए, मध्य अप्रैल और माह के आखिर में। मध्य अप्रैल में पीएम 2.5 का स्तर 140 तक पहुंचा जबकि आखिरी सप्ताह की शुरुआत में यह करीब 164 रहा।
इन दोनों समय तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा। इससे स्पष्ट होता है कि तापमान 32 डिग्री से अधिक बढ़ने पर पीएम 2.5 में भी वृद्धि होती है। 2023 और 2024 का डाटा इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। उदाहरण के लिए अप्रैल 2023 में पीएम 2.5 का स्तर व तापमान अधिक रहा। अप्रैल 2024 में भी यही ट्रेंड कायम रहा। बार-बार हो रहे यह पैटर्न अधिक तापमान में पीएम 2.5 बढ़ने की बात कहते हैं।