भारत की 96 फीसदी आबादी यानी 133 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जहां पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों से सात गुणा खराब है; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

तमिलनाडु का कुड्डालोर देश में सबसे प्रदूषित, मानक से 1,460 फीसदी जहरीली हवा

विश्लेषण से पता चला है कि जहां देश के 38 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 55 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ करीब 7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं

Lalit Maurya

आज देश में कुड्डालोर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 234 पर पहुंच गया। इस दौरान तमिलनाडु के इस शहर में प्रदूषण के महीन कण हावी रहे।

कुड्डालोर में प्रदूषण कितना ज्यादा है, इसे इसी से समझा जा सकता है कि वहां यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी मानकों से 1460 फीसदी अधिक रिकॉर्ड किया गया। हालात यह हैं कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया है।

गौरतलब है कि कल प्रदूषण के मामले में सुआकाती पहले स्थान पर था, जहां एक्यूआई 196 रिकॉर्ड किया गया। हालांकि आज सरकार ने सुआकाती के प्रदूषण से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 02 अगस्त को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि जहां देश के 38 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 55 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ करीब 7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

अन्य प्रदूषित शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां दस सबसे प्रदूषित शहरों में धौलपुर (165) दूसरे, जबकि नंदेसरी (154) तीसरे स्थान पर है। 149 अंकों के साथ बिहार का छपरा चौथे स्थान पर है, जबकि दौसा (137) पांचवें पायदान पर बना हुआ है। विशाखापत्तनम (134) और बारां (128) में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो प्रदूषण के मामले में छठे और सातवें स्थान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में जैसलमेर (117), ग्रेटर नोएडा (114) और बुलन्दशहर (112) भी शामिल हैं।

देश में आज जहां कुड्डालोर, नंदेसरी, छपरा, जयपुर, अलवर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं। वहीं धौलपुर, दौसा, विशाखापत्तनम, बारां, जैसलमेर, ग्रेटर नोएडा, बुलन्दशहर, पीथमपुर, गुम्मिडिपूंडी, तालचेर, बद्दी, बीकानेर आदि में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इन शहरों के उलट आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 19 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि सबसे प्रदूषित शहर कुड्डालोर की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 11 गुणा खराब है।

शिलांग की तरह ही आज देश के 86 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गंगटोक, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हावेरी, होसुर, हुबली, जालंधर, जोरापोखर, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोल्लम, लुधियाना आदि शामिल हैं। राहत की खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

रुझानों में यह भी सामने आया है कि आज देश के छोटे बड़े 124 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। इन शहरों में बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बेंगलुरु, बेतिया, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कटक, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गडग, गांधीनगर, गाजियाबाद, गोरखपुर आदि शामिल हैं।

हालांकि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

दूसरी तरफ देश के 15 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई। इन शहरों में बद्दी, बारां, बीकानेर, बुलन्दशहर, छपरा, दौसा, धौलपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, जयपुर, जैसलमेर, नंदेसरी, पीथमपुर, तालचेर, विशाखापत्तनम शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 228 में से 87 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 124 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 01 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 128 दर्ज किया गया था।

15 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में कुड्डालोर (234) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 250 के करीब पहुंच गया। कल सुआकाती में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 196 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 18 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 79 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक संतोषजनक श्रेणी में बना हुआ है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं।  

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज छपरा चौथे स्थान पर है, वहीं धौलपुर (165) दूसरे, जबकि नंदेसरी (154) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 71, गाजियाबाद में 68, गुवाहाटी में 44, गुरूग्राम में 81, नोएडा में 82, ग्रेटर नोएडा में 114 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 65 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 86, चेन्नई में 79, चंडीगढ़ में 60, हैदराबाद में 72, जयपुर में 110 और पटना में 54 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 87 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आइजोल, अकोला, अरियालूर, आरा, आसनसोल, बागलकोट, बठिंडा, बेलापुर, भरतपुर, भिलाई, बिलासपुर, चेंगलपट्टू, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हावेरी, होसुर, हुबली, जालंधर, जोरापोखर, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोल्लम, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नवी मुंबई, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, समस्तीपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, श्रीगंगानगर, ठाणे, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुनेलवेली, तिरुपति, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अररिया, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बेंगलुरु, बेतिया, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कटक, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, गडग, गांधीनगर, गाजियाबाद, गोरखपुर, गुरूग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, करूर, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कोटा, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नगांव, नागौर, नागपुर, नांदेड़, नासिक, नोएडा, ऊटी, पाली, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, पुणे, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, रूपनगर, सागर, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलचर, सिरोही, टेन्सा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वातवा, विजयवाड़ा आदि 124 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।