फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) 
वायु

तिरुमाला को पीछे छोड़े प्रदूषण में पहले स्थान पर पहुंचा अररिया, 368 पर पहुंचा एक्यूआई

रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के 40 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब छह फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं

Lalit Maurya

तिरुमाला को पीछे छोड़े देश में बढ़ते प्रदूषण से अररिया की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 368 पर पहुंच गया है। मतलब की वहां स्थिति इतनी खराब है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 20 जुलाई 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज तिरुमाला की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 हावी हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो वहां प्रदूषण का स्तर 2,353 फीसदी अधिक है।

गौरतलब है कि कल तिरुमाला की स्थिति सबसे खराब थी, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 325 दर्ज किया गया था। वहीं आज 116 अंकों के सुधार के साथ तिरुमाला में एक्यूआई घटकर 209 पर पहुंच गया। हालांकि तिरुमाला आज भी प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर है।

प्रदूषण के मामले में सुआकाती (186) तीसरे जबकि नंदेसरी (161) चौथे स्थान पर है। इसी तरह 161 अंकों के साथ श्रीगंगानगर पांचवें स्थान पर है। सागर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 160 दर्ज किया गया है।

सागर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में छठे स्थान पर है। देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज गुम्मिडिपूंडी (155), मंडी गोबिंदगढ़ (140), बद्दी (138) और गया (132) भी शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि देश में अररिया, नंदेसरी, श्रीगंगानगर, सागर, गुम्मिडिपूंडी, मंडी गोबिंदगढ़, गया आदि में प्रदूषण के महीन कण (पीएम 2.5) हावी है। वहीं सुआकाती, बद्दी, कटनी, झांसी आदि में पीएम10, जबकि तिरुमाला आदि शहरों में ओजोन से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इन शहरों के उलट आज देश में एक बार फिर शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 15 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि शिलांग की तुलना अररिया से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा बेहतर है।

रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के 40 फीसदी से अधिक शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब छह फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए है। देश के 54 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो शिलांग सहित 89 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बुलन्दशहर, चामराजनगर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हुबली, जालंधर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, कलबुर्गी, कोल्हापुर आदि शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जिसके साथ ही 21 अंकों के उछाल के साथ वहां एक्यूआई बढ़कर 75 पर पहुंच गया।

दिल्ली की तरह ही देश के छोटे-बड़े 118 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक है। इन शहरों में जयपुर, जैसलमेर, जलना, झालावाड़, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मैहर, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पटना आदि शामिल हैं।

राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब दो फीसदी का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों के मुताबिक आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई है। इन शहरों में बद्दी, गया, गुम्मिडिपूंडी, झांसी, कटनी, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, नंदेसरी, सागर, श्रीगंगानगर, सुआकाती शामिल हैं। अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फीसदी की गिरावट आई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 220 में से 89 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 118 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 19 जुलाई 2025 को यह आंकड़ा 116 दर्ज किया गया था।

11 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में अररिया (368) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 230 के करीब पहुंच गया। कल तिरुमाला में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 325 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 21 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 75 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज नंदेसरी चौथे स्थान पर है, वहीं तिरुमाला (209) दूसरे, जबकि सुआकाती (186) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 70, गाजियाबाद में 71, गुवाहाटी में 40, हापुड में 48, नोएडा में 92, ग्रेटर नोएडा में 96 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 56 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 72, चेन्नई में 57, चंडीगढ़ में 100, हैदराबाद में 74, जयपुर में 70 और पटना में 79 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 89 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अहमदाबाद, आइजोल, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अरियालूर, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बारबिल, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बुलन्दशहर, चामराजनगर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, डिंडीगुल, डूंगरपुर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हुबली, जालंधर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, कलबुर्गी, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लुधियाना, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुजफ्फरनगर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नयागढ़, ऊटी, पाली, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, सलेम, सांगली, सासाराम, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, तालचेर, ठाणे, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुनेलवेली, तुमकुरु, तुमिडीह, उदयपुर, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अगरतला, आगरा, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बागपत, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बारीपदा, बेतिया, भिलाई, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोईसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चुरू, कटक, दमोह, दौसा, दिल्ली, देवास, धनबाद, धारवाड़, धौलपुर, धुले, दुर्गापुर, गाजियाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जलना, झालावाड़, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कानपुर, करौली, काशीपुर, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोलकाता, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मैहर, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागपुर, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलचर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, टोंक, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 118 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।