वायु

श्रीगंगानगर में बढ़कर 300 के करीब एक्यूआई, बढ़ते ओजोन से खराब हुई स्थिति

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां करीब 60 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 37 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 3.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं

Lalit Maurya

आज देश के सभी शहरों में श्रीगंगानगर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 291 तक पहुंच गया। इस दौरान राजस्थान के इस शहर की हवा में ओजोन हावी रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो वहां प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 385 फीसदी अधिक है।

मतलब की वहां की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। गौरतलब है कि कल श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 82 रिकॉर्ड किया गया था, मतलब की कल से वहां प्रदूषण में 209 अंको का उछाल आया है।

दूसरी तरफ आज कारवार की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 20 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर श्रीगंगानगर की तुलना कारवार से करें तो वहां स्थिति 13 गुणा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 01 सितम्बर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां करीब 60 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 37 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 3.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा साफ है।

गौरतलब है कि कल कांचीपुरम में प्रदूषण से स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 125 तक पहुंच गया। हालांकि कल से अगरतला की वायु गुणवत्ता में 33 अंकों का सुधार आया है। इसके साथ ही वहां एक्यूआई सुधरकर 92 पर पहुंच गया। वहां एक ही दिन में वायु गुणवत्ता मध्यम से संतोषजनक श्रेणी में पहुंच गई है।

रुझानों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में समस्तीपुर (174) दूसरे जबकि छपरा (114) तीसरे स्थान पर है। जैसलमेर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो आज 111 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है।

इसी तरह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में अंगुल (105), बक्सर (102) और सवाई माधोपुर (102) शामिल हैं। इस दौरान जहां श्रीगंगानगर, बक्सर आदि शहरों में ओजोन हावी रहा। वहीं अंगुल, समस्तीपुर आदि में प्रदूषण के महीन कणों से स्थिति चिंताजनक रही। दूसरी तरफ जैसलमेर में पीएम10 हावी था।

इन शहरों के उलट आज देश में भरतपुर सहित 124 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में हापुड, होसुर, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटनी, खन्ना, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगलौर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायपुर आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां भारी बारिश के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधारकर 60 तक पहुंच गया है। दिल्ली की तरह ही आज देश के छोटे-बड़े 77 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।

इन शहरों में कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, किशनगंज, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नोएडा, पाली, पंचगांव, पटना, पीथमपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रानीपेट, राउरकेला, सहरसा, सतना, सिंगरौली, सिरोही आदि शहर शामिल हैं।

चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

वहीं दूसरी तरफ आज देश के छह शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अंगुल, बक्सर, छपरा, जैसलमेर, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 14 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 208 में से 124 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 77 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 31 अगस्त 2025 को यह आंकड़ा 91 दर्ज किया गया था।

6 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (291) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। कल कांचीपुरम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 125 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 60 पर पहुंच गया। मलतब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज जैसलमेर चौथे स्थान पर है, वहीं समस्तीपुर (174) दूसरे, जबकि छपरा (114) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 40, गाजियाबाद में 48, गुवाहाटी में 50, गुरूग्राम में 39, नोएडा में 58, ग्रेटर नोएडा में 54 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 51 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 59, चेन्नई में 56, चंडीगढ़ में 34, हैदराबाद में 62, जयपुर में 68 और पटना में 92 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 124 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अररिया, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बागलकोट, बारां, बारबिल, बारीपदा, बेलापुर, बेंगलुरु, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बोईसर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दावनगेरे, देवास, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गंगटोक, गया, गाजियाबाद, गुरूग्राम, गुवाहाटी, ग्वालियर, हल्दिया, हापुड, होसुर, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कारवार, काशीपुर, कटनी, खन्ना, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंगलौर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागौर, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, ऊटी, परभनी, पटियाला, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, रूपनगर, सलेम, सांगली, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सिवान, सोलापुर, सुआकाती, सूरत, टेन्सा, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, टोंक, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन शामिल हैं।

वहीं अजमेर, अलवर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेतिया, भागलपुर, भिवंडी, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, दौसा, दिल्ली, धनबाद, धौलपुर, गांधीनगर, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, जयपुर, जालौर, झालावाड़, जोरापोखर, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करूर, किशनगंज, कोलकाता, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नोएडा, पाली, पंचगांव, पटना, पीथमपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रानीपेट, राउरकेला, सहरसा, सतना, सिंगरौली, सिरोही, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, उदयपुर, उल्हासनगर, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 77 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।