हापुड़ ने 4 दिसंबर 2025 को देश के सबसे प्रदूषित शहर का खिताब हासिल किया, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 336 दर्ज किया गया।
स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,100 फीसदी अधिक है।
वहीं, मदिकेरी की हवा सबसे साफ रही। हापुड़ में पीएम2.5 के महीन कण हावी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 38 अंकों के सुधार से साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 304 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' बनी हुई है
247 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 9.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 24.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 66.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में धारूहेड़ा (328) दूसरे जबकि नोएडा (308) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 308 अंकों के साथ सोनीपत चौथे स्थान पर है।
बागपत-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 307 और 304 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
गाजियाबाद (302) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मानेसर (302), बालासोर (301) और कटक (300) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (हापुड़, नोएडा, बागपत, गाजियाबाद) और हरियाणा के तीन शहर (धारूहेड़ा, मानेसर, सोनीपत) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 04 दिसंबर 2025 को देश में हापुड़ की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 336 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 03 दिसंबर को हापुड़ में एक्यूआई 363 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 27 अंकों की गिरावट आई है। हालांकि वहां आज भी स्थिति 'बेहद खराब' बनी हुई है।
रुझानों में सामने आया है कि हापुड़ की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
हापुड़ से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,100 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में मदिकेरी की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 22 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हापुड़ की तुलना मदिकेरी से करें तो वहां स्थिति 14 गुणा खराब है।
बता दें कि कल देश में नोएडा सबसे प्रदूषित शहर था, जब एक्यूआई 365 दर्ज किया गया था। हालांकि आज 57 अंकों के सुधार के साथ नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 308 पर पहुंच गया है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 38 अंकों के सुधार से साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 304 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' बनी हुई है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 500 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 04 दिसंबर, 2025 को 247 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 9.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 24.3 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 66.4 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 8 फीसदी की गिरावट आई है।
दूसरी तरह संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या भी कल से 120 पर बनी हुई है। खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से करीब छह फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 18 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में धारूहेड़ा (328) दूसरे जबकि नोएडा (308) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 308 अंकों के साथ सोनीपत चौथे स्थान पर है। बागपत-दिल्ली में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 307 और 304 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
गाजियाबाद (302) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मानेसर (302), बालासोर (301) और कटक (300) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (हापुड़, नोएडा, बागपत, गाजियाबाद) और हरियाणा के तीन शहर (धारूहेड़ा, मानेसर, सोनीपत) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि हापुड़, धारूहेड़ा, नोएडा, सोनीपत, बागपत, गाजियाबाद, मानेसर, बालासोर, कटक, भिवाड़ी, गुरुग्राम, चरखी दादरी, अंगुल, ग्रेटर नोएडा, भुवनेश्वर, टोंक, हल्दिया, मुजफ्फरनगर, फतेहाबाद, मंडी गोबिंदगढ़, तालचेर, मेरठ, भिवानी, ब्यासनगर, खुर्जा, अंबाला, बद्दी, बिलीपाड़ा, हावड़ा, बल्लभगढ़, कोलकाता, जींद, अमृतसर, बैरकपुर, बारबिल, बुलंदशहर, करनाल, फरीदाबाद, सांगली, पुणे, ग्वालियर, सिंगरौली, आसनसोल, बूंदी, आरा, कोटा, चंडीगढ़, नारनौल, अररिया, हाजीपुर, चंद्रपुर, पिंपरी-चिंचवाड़, कुरुक्षेत्र, राजमहेंद्रवरम, बारीपदा, भोपाल, काशीपुर, सुआकाती, पटना, सीकर, खन्ना, मंडीदीप, बिहार शरीफ, यमुना नगर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), बक्सर, लखनऊ आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं दिल्ली, श्री गंगानगर, सासाराम, सूरत, चुरू, झुंझुनू, आगरा, पानीपत, सिरसा, महाद, भिवंडी, कोल्हापुर, उल्हासनगर, कल्याण, किशनगंज, मीरा-भायंदर, सवाई माधोपुर, प्रयागराज, अंकलेश्वर, भरतपुर, अजमेर, गया, रतलाम, नागपुर, पटियाला, हनुमानगढ़, मालेगांव, क्योंझर, बदलापुर, जालोर, सिलीगुड़ी, जोधपुर, पाली, नागौर, टेन्सा, वृंदावन, दौसा, बांसवाड़ा, कटनी, अहमदाबाद, पंचगांव, वाराणसी, देवास, मंगुराहा, तुमडीह, औरंगाबाद (बिहार), पलवल, रायरंगपुर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 9.3 फीसदी यानी महज 23 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मंगलौर, मैसूर, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रामनाथपुरम, शिवमोगा, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, वेल्लोर आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 60 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जलना, कडप्पा, कलबुर्गी, कानपुर, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मिलुपारा, नागांव, नागपट्टिनम, नयागढ़, पंचकुला, प्रतापगढ़, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, रूपनगर, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, शिवसागर, सिवान, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, वापी, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, यादगीर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बारीपदा, बेगूसराय, बेलापुर, बेतिया, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, बिहार शरीफ, बोइसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कल्याण, करौली, काशीपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोल्लम, कोटा, कुरुक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाद, मालेगांव, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नंदेसरी, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पंचगांव, पानीपत, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, पीथमपुर, प्रयागराज, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरोही, सिरसा, सोलापुर, सुआकाती, टेन्सा, तुमडीह, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, वृंदावन, यमुना नगर शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 35 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंबाला, अमृतसर, अंगुल, बद्दी, बल्लभगढ़, बारबिल, बैरकपुर, भिवाड़ी, भिवानी, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, कटक, फरीदाबाद, फतेहाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हल्दिया, हावड़ा, जींद, करनाल, खुर्जा, कोलकाता, मंडी गोबिंदगढ़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पुणे, सांगली, सासाराम, श्री गंगानगर, सूरत, तालचेर, टोंक शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 9 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, बालासोर, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, हापुड़, मानेसर, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 247 में से महज 23 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 60 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 03 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 60 दर्ज किया गया था।
120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज हापुड़ (336) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 340 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से हापुड़ में प्रदूषण के स्तर में 27 अंकों का सुधार आया है। हालांकि इसके बावजूद हापुड़ में अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 304 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 24 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 203 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज एक बार फिर 'खराब' श्रेणी में है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 04 दिसंबर को सोनीपत चौथे स्थान पर है, वहीं धारूहेड़ा (328) दूसरे, जबकि नोएडा (308) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 198, गाजियाबाद में 302, गुवाहाटी में 96, गुरूग्राम में 293, नोएडा में 308, ग्रेटर नोएडा में 285 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 138 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 159, चेन्नई में 73, चंडीगढ़ में 187, हैदराबाद में 100, जयपुर में 147 और पटना में 168 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 23 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालुर, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मंगलौर, मैसूर, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रामनाथपुरम, शिवमोगा, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, वेल्लोर शामिल हैं।
वहीं अकोला, अलवर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, बिलासपुर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, धारवाड़, गांधीनगर, गुवाहाटी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जैसलमेर, जलना, कडप्पा, कलबुर्गी, कानपुर, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदुरै, मैहर, मिलुपारा, नागांव, नागपट्टिनम, नयागढ़, पंचकुला, प्रतापगढ़, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजगीर, ऋषिकेश, रूपनगर, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, शिवसागर, सिवान, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, वापी, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, यादगीर आदि 60 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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प्रदूषण का रिपोर्ट-कार्ड: 365 अंकों के साथ नोएडा टॉप पर, बागपत-हापुड़-दिल्ली में स्थिति बेहद खराब