बीमा कंपनियों ने अब तक 83 फीसदी किसानों की फसल बीमा के दावों का निपटारा नहीं किया है। दो साल पहले 16 अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना(पीएमएफबीवाई) और मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) शुरू की थी। ये बीमा योजनाएं किसानों को विभिन्न आपदाओं से फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए सक्षम बनाने के लिए शुरू की गईं लेकिन किसानों द्वारा भारी प्रीमियम जमा करने के बावजूद यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि बीमा कंपनियों ने उनके बीमा दावा का अब तक निपटान नहीं किया है।
योजनाओं पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि महत्वाकांक्षी योजनाएं व्यथित किसानों को बहुत मदद नहीं करती हैं। बीमा कंपनियों को वास्तविक लाभार्थियों के रूप में देखा गया है। इसका भारत के राज्य पर्यावरण 2017 नामक रिपोर्ट में विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और डाउन टू अर्थ ने पर्यावरण दिवस पर जारी की है। इसे प्रतिवर्ष जनवरी में जारी किया जाता है। इस रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों की साख देशभर में हैं।
इन दोनों बीमा योजनाओं को आगामी 201 9 तक 50 प्रतिशत फसल क्षेत्र को कवर करने की योजना बनाई जा रही हैं। ये योजनाएं अब तक 30 प्रतिशत फसली क्षेत्र को कवर कर रही हैं और21 राज्यों में कार्यान्वित की गई हैं। 2016 के खरीफ सीजन में करीब 39 मिलियन किसानों को इन योजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया था।
फिलहाल, 10 सामान्य बीमा कंपनियां पीएमएफबीवाई के तहत फसल बीमा की पेशकश कर रही हैं। जबकि बीमा कंपनियों ने 9,041.25 करोड़ रुपये प्रीमियम (केवल खरीफ 2016 के लिए) के रूप में जमा कराए हैं, जबकि उसने कुल दावों (2,324.01 करोड़ रुपये) में सिर्फ 25 फीसदी (570.10करोड़ रुपये) का भुगतान किया है।
इस विश्लेषण के अनुसार पीएमएफबीवाई और आरडब्लूबीसीआईएस के तहत बीमा कंपनियां अब तक 2016 के खरीफ सीजन के दौरान किए गए कुल दावों का सिर्फ 17 प्रतिशत का भुगतान कर चुकी हैं। नई रिपोर्ट में कृषि और कृषि कल्याण मंत्रालय के अनुसार दो योजनाओं के तहत4,270.55 करोड़ रुपये के बीमा दावे थे। कुल दावों में से मार्च 2017 तक किसानों को केवल714.14 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
पीएमएफबीवाई के तहत केवल एक ही कंपनी यूनिवर्सल सोम्पो जीआईसी (केवल कर्नाटक में काम कर रही है) ने सभी बीमा दावों का निपटारा कर किया है। शेष इस स्तर को प्राप्त करने में विफल रहीं हैं। रिपोर्ट में उल्लेखित 10 में से चार कंपनियों ने बीमा दावों के 75-100 फीसदी तक का निपटारा नहीं किया है।
इफ्को-टोकियो (IFFCO-TOKIO) सूखा प्रभावित महाराष्ट्र सहित तीन राज्यों में काम कर रही है। मार्च 2017 तक 86 प्रतिशत से अधिक दावों का भुगतान नहीं कर पाई है। “बीमा कंपनियों के ज्यादातर बीमा दावों के वितरण में निराशाजनक प्रदर्शन दिखाते हैं।“ यह बात भारत राज्य के पर्यावरण 2017 रिपोर्ट के आंकड़ों के विश्लेषकों में से एक किरण पांडेय (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की आंकडे एंव कार्यक्रम निदेशक) ने कही।