फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, फ्लोकॉम
कृषि

महिला किसान दिवस: कृषि में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, लेकिन वेतन और भूमि में हिस्सेदारी कम

पीएलएफएस के अनुसार, बिहार व उत्तरप्रदेश में 80 प्रतिशत महिलाए कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है लेकिन इन राज्यों में आधी से अधिक माहिलाए बिना वेतन के कार्य कर रही है

Mahesh Bhadana

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2023-24 के अनुसार, हमारे देश के कृषि क्षेत्र में कृषक महिलाओं की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत से अधिक है व हर तीन में से दो ग्रामीण महिलाए कृषि समुदाय का हिस्सा है। लेकिन कृषि में स्त्रीकरण होने के बाद भी आधी से ज्यादा महिलाओ को उनके श्रम का भुगतान नहीं किया जाता है व महज 13 प्रतिशत महिला किसानों के नाम कृषि योग्य भूमि है और महिला किसान श्रमिकों के नाम महज 2 प्रतिशत कृषि भूमि है।

आज 15 अक्टूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस और राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस की शुरुआत 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। भारत में राष्ट्रीय महिला किसान दिवस साल 2016 में मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया था।

आज ग्रामीण आँचल की महिलाए कृषि व पर्यावरण में अहम योगदान दे रही है व पुरक्षों के पलायन के बाद खेती किसानी को जीवंत रखने और परिवार नियोजित करने में महिलाओ की भूमिका मुख्य रूप से है। लेकिन इन उल्लेखनीय कार्यों के बाद भी देश की कृषी जनगणना में केवल पुरक्षों को किसान माना जाता है, महिलाओ को नहीं।

पीएलएफएस के अनुसार, बिहार व उत्तरप्रदेश में 80 प्रतिशत महिलाए कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है लेकिन इन राज्यों में आधी से अधिक माहिलाए बिना वेतन के कार्य कर रही है, जिसे अवैतनिक कहा जाता है। और इनकी संख्या पिछले आठ वर्षों (वर्ष 2017-18 से 2024-25) में 23.6 मिलियन से बढ़कर 59.1 मिलियन हो गई है। प्रधानमंत्री किसान समान निधि योजना के आकड़ों के अनुसार पंजाब जैसे कृषी समृद्ध राज्य में महज 1 प्रतिशत महिलाओ के नाम कृषक भूमि है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आंकड़ों को देखे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व मे 900 मिलियन माहिलाए कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है व विकासशील देशों में महिलाओ की भागीदारी 43 प्रतिशत है। लेकिन बड़ी संख्या में भागीदारी होने के बाद भी कृषि मे जमीन व वेतन में समान रूप से हिस्सेदारी नहीं है।

 2022 मे जारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 64 देशों में महिलाए 1664 घंटे बिना वेतन के काम करती है, जिसका मूल्य विश्व की जीडीपी के 9 प्रतिशत के लगभग है। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट (2023) के अनुसार बिना वेतन के काम करने वाली महिलाओ को वेतन मिले तो यह कुल जीडीपी का 7.5 प्रतिशत होगा।

महिला किसान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य सतत कृषि को बनाए रखने व सरक्षण करने और ग्रामीण विकाश को बढ़ाने व ग्रामीण गरीबी को कम करने मे महिलाओ की भागीदारी सुनिश्चित करना था। देश व विश्वभर की कृषि में महिलाओ का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है, खेती के इतर सामाजिक ढ़ाचे को बनाए रखने में भी महिलाओ का अहम योगदान है। पुरक्षों के बहुतयात रूप से पलायन करने पर पर्वर्तीय प्रदेशों से हमने महिलाओ को किसी बीमार या गर्भवती को कंधे पर चारपाई रखकर रास्ता पार करते हुए देखा है।