कृषि

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल : 27 में से केवल तीन कीटनाशकों पर ही प्रतिबन्ध क्यों?

कृषि मंत्रालय ने 8 जुलाई 2013 को कीटनाशकों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने 27 कीटनाशकों को बैन करने की सिफारिश की थी

Lalit Maurya, Susan Chacko

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने देश में केवल तीन कीटनाशकों को ही बैन करने के लिए लिस्ट क्यों किया है। मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। इस हलफनामें में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी देने के लिए कहा है कि, "किस आधार पर 27 में से केवल तीन कीटनाशकों पर ही कार्रवाई की गई है।" सरकारी वकील का तर्क था कि हर चीज का एक प्रोसेस है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को डॉक्टर एस के खुराना उप समिति की अंतिम रिपोर्ट और डॉक्टर टी पी राजेंद्रन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा 6 सितंबर, 2022 को सबमिट रिपोर्ट को भी ऑन रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश 27 मार्च 2023 को जारी किया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस  नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जमशेद बुर्जोर पारदीवाला की पीठ ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रैल 2022 की तारीख मुकर्रर की है। गौरतलब है कि एनजीओ वनशक्ति और अन्य के द्वारा दायर याचिकाओं में भारत में बिक रहे हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। इसका आधार कीटनाशकों की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ रह असर को बताया है।

सरकारी वकील का कहना था कि वो समिति की रिपोर्ट के बारे में बेंच को बता देंगें। इसपर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि "नो नो, आप जो बताने जा रहे हैं वो सबको बताएं।" उनका कहना था कि कोर्ट में दूसरे पक्ष को भी सब कुछ पता होना चाहिए।

स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं यह कीटनाशक

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण भी पेश हुए थे, उनका कहना था कि जनवरी 2018 तक कम से कम 27 कीटनाशकों को बैन किया जाना था। वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह की याचिकाएं दायर की जा रही हैं जिनकी मंशा सही नहीं है और अदालत का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि यदि आपने अपना काम ठीक से किया होता तो हम सुनवाई नहीं कर रहे होते।    

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय में ऐसी कई याचिकाएं दाखिल हैं, जिनमें 100 से भी ज्यादा कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में तर्क दिया है कि ऐसे कीटनाशक पश्चिमी देशों में बैन हैं, क्योंकि यह किसानों, श्रमिकों, और विशेष तौर पर बच्चों की सेहत को खराब कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत में इन कीटनाशकों को बिना रोकटोक के उपयोग किया जा रहा है।

इससे पहले फरवरी 2023 में केंद्र सरकार ने “कीटनाशक निषेध आदेश 2023 जारी” किया था, जिसके तहत कीटनाशक डिकोफोल, डिनोकैप और मेथोमिल के आयात, निर्माण, बिक्री, परिवहन, वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी थी। हालांकि इससे पहले 18 मई 2020 को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के जरिए केंद्र ने 27 कीटनाशकों को बैन करने की बात कही थी। इसकी सिफारिश समिति ने भी की थी। इसका आधार मानव और मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया गया था।

इससे पहले कृषि मंत्रालय ने नियो-निकोटिनोइड कीटनाशकों की जांच के लिए 8 जुलाई 2013 को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने जांच के बाद 9 दिसंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी थी।