देश में गधों की संख्या कम हो रही है। इसकी वजह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन संदेह जताया जा रहा है कि भारत में गधे का मीट खाया जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार द्वारा पशुओं की आबादी पर जारी आंकड़ों में पाया गया है कि 2012 के मुकाबले 2019 में गधों की संख्या में 61.23 फीसदी की गिरावट आई है। घोड़े और गधों पर काम करने वाली संस्था ब्रूक का कहना है कि इन आंकड़ों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इससे लगता है कि गधों को मारा जा रहा है।
लाइवस्टॉक सेंसस 2019 के मुताबिक, 2012 में देश में गधों की संख्या 3.20 लाख थी, जो अब 1.20 लाख रह गई है। जबकि 2007 में गधों की संख्या 4.4 लाख थी। यानी कि 10 साल में देश में गधों की संख्या में लगभग एक चौथाई कमी आई है।
2012 से 2019 के बीच गधों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट राजस्थान व उत्तर प्रदेश में हुई है। राजस्थान में 2012 में गधों की संख्या 81 हजार थी, जो 2019 में घटकर 23 हजार रह गई। इसी तरह उत्तर प्रदेश में पहले 57 हजार गधे थे, जो अब 16 हजार रह गए हैं। महाराष्ट्र में पहले 29 हजार गधे थे, अब 18 हजार हैं। गुजरात में 39 हजार से घटकर 11 हजार रह गए। बिहार में 21 हजार से घटकर 11 हजार रह गए। जम्मू कश्मीर में 17 हजार से घटकर 10 हजार, कर्नाटक में 16 हजार से घटकर 9 हजार, मध्य प्रदेश में 15 हजार से घटकर 8 हजार, हिमाचल प्रदेश में 7 हजार से घटकर 5 हजार, आंध्र प्रदेश में 10 हजार से घटकर 5 हजार गधे पाए गए।
ब्रूक इंडिया पहले ही गधों की घटती आबादी पर चिंता जता चुकी है। ब्रूक इंडिया का कहना है कि कुछ राज्यों में इस तरह की अफवाहें हैं कि गधे का मांस खाने से अस्थमा जैसी बीमारी दूर हो जाती है, ऐसी अफवाहें पिछले कुछ सालों से हैं, जिसके बाद अचानक गधों की संख्या कम होने लगी है।
ब्रूक इंडिया की एक्सटर्नल अफेयर्स एंड कॉम्युनिकेशन हेड जोत प्रकाश कौर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि की ओर से इस बारे में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के पशुपालन विभागों को पत्र लिख कर अपील की थी कि वे इसका पता लगाएं कि आखिर गधों का क्या किया जा रहा है?
दरअसल, ब्रूक द्वारा कई देशों में गधों की खाल के व्यापार को लेकर व्यापक अध्ययन किया गया। कुछ देशों में इस का खुलासा भी हुआ कि खाल का व्यापार करने के लिए गधों को मारा जा रहा है, लेकिन भारत में इस तरह के संकेत नहीं मिले। पर अध्ययन के दौरान यह जरूर पता चला कि गधे गायब हो रहे हैं। इस बारे में ब्रूक इंडिया ने केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और पशु पालन कल्याण बोर्ड को भी पत्र लिखा था।
यह भी आशंका है कि चीन में बनने वाली दवा ईजियाओ के लिए गधों का निर्यात किया जा रहा है, लेकिन जानकार बाताते हैं कि भारत में अधिकृत रूप से ऐसे किए जाने की संभावना कम है। उल्लेखनीय है कि चीन में पाकिस्तान और अन्य देशों से गधे का मांस बड़ी तादात में सप्लाई किया जाता है।