कृषि

बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन: अधिकारियों का दावा

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ ने पिछले दो सप्ताह में मिट्टी की नमी को समृद्ध किया है

Himanshu Nitnaware, Lalit Maurya

सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि देश के कई हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश और ओले गिरने के बावजूद गेहूं के उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि 3 मार्च, 2023 से भारत के कई राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान और अन्य राज्यों में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश हुई है। आईएमडी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2023 में देश के 714 में से करीब 61 फीसदी जिलों में कहीं ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।

इस बारिश ने सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश को प्रभावित किया है। जहां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 45 मिलीमीटर बारिश हुई है। वहीं राजस्थान और बिहार में 32 मिलीमीटर, जबकि छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तीनों राज्यों में 23 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।

इस बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया कि, "हाल ही में भारत के उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र में बेमौसम बारिश दर्ज की गई है, जिससे गेहूं की फसल गिर गई है।"

11.22 करोड़ टन उत्पादन का है अनुमान

हालांकि उनका कहना है कि नुकसान का कोई सटीक अनुमान नहीं है और नुकसान की गणना करना मुश्किल है। मोटे तौर पर अनुमान बताते हैं कि इससे पैदावार को करीब एक फीसदी का नुकसान होगा, जो करीब एक करोड़ टन के बराबर है।"

इससे पहले फरवरी में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 2022-23 में रबी के मौसम के लिए गेहूं के रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान लगाया था। वहीं 2021-22 में गेहूं का उत्पादन 10.77 करोड़ टन दर्ज किया गया था।

देखा जाए तो इस बेमौसम बारिश से नुकसान के बजाय गेहूं की उस फसल को फायदा हुआ है जिसकी बुआई देर से हुई है। इस फसल को अप्रैल में काटा जाना है।

उनके मुताबिक “बारिश और बूंदाबांदी ने गेहूं की फसल को राहत पहुंचाई है, जिससे उत्पादन में 1.5 करोड़ टन की वृद्धि होने की उम्मीद है। खड़ी फसलों को हुए नुकसान को ध्यान में रखें तो भी पैदावार को 50 लाख टन का फायदा होगा। इस बारिश ने फरवरी में लू के दौरान सतह के तापमान में हुई वृद्धि को कम करके गेहूं की फसल की अवधि को बढ़ाने में मदद की है।

इस बारे में कटक की जिला कृषि मौसम इकाई में वैज्ञानिक देबाशीष जेना का कहना है कि, "आईएमडी द्वारा 19 से 25 मार्च के लिए जारी रिपोर्ट के अनुसार उपग्रहों से प्राप्त छवियों से पता चला है कि स्थिति फसलों के अनुकूल है।" “उत्तरी राज्यों में, बारिश से गेहूं की फसल को फायदा हुआ है क्योंकि उसमें बाली आना शुरू हुई है। इसके बाद उसमें दाने बढ़ने शुरू होंगें। ऐसे में मिट्टी में मौजूद नमी इसके लिए फायदेमंद साबित होगी।“

उनके अनुसार फरवरी में लू ने तैयार होने के दौरान अनाज के सिकुड़ने का खतरा पैदा कर दिया था, इस बारिश से स्थिति में सुधार हुआ है और इससे नुकसान का जो अनुमान पहले लगाया गया था वो उतना नहीं है।

उनका कहना है कि एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ ने पिछले दो हफ्तों में मिट्टी की नमी को समृद्ध किया है। उन्होंने बताया कि "मिट्टी की नमी में आया सुधार चावल और अन्य फसलों के लिए फायदेमंद है, लेकिन सब्जियों, दालों और अन्य के लिए हानिकारक होगा।" आईएमडी ने 31 मार्च 2023 तक उत्तर पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में बारिश और आंधी की भविष्यवाणी की है।