कृषि

गेहूं संकट: पांच साल बाद थमेगा बंपर उत्पादन का सिलसिला, 13 साल बाद सबसे कम गेहूं खरीदेगी सरकार

Raju Sajwan

बेशक सरकार अभी यह नहीं मान रही है कि इस साल (रबी सीजन 2021-22) में गेहूं को लेकर संकट की स्थिति बन गई है, लेकिन अब तक आंकड़े बताते हैं कि गेहूं के लिए यह साल अच्छा नहीं रहने वाला।

सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि पांच साल बाद गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का सिलसिला रूक गया है। वहीं रबी सीजन में केंद्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद में 13 साल में सबसे कम रहेगी। वहीं केंद्रीय पूल का स्टॉक भी पांच साल बाद सबसे कम रहेगा। 

4 मई 2022 को केंद्रीय खाद्य सचिव ने बताया था कि रबी सीजन 2021-22 में गेहूं का उत्पादन 1050 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि इससे पहले सरकार ने फरवरी 2022 में दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था, जिसमें देश में 1113 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन मार्च-अप्रैल की गर्मी से गेहूं के फसल को नुकसान पहुंचने के कारण उत्पादन में 5.6 प्रतिशत की कमी रह सकती है।

फरवरी में जब दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया था तो सरकार की ओर से कहा गया था कि इस साल भी गेहूं का उत्पादन बंपर रहेगा। हालांकि सरकार ने 2021-22 का लक्ष्य 1100 लाख टन रखा था।

दरअसल देश में 2016-17 से गेहूं के बंपर उत्पादन का सिलसिला चल रहा है। इस साल देश में 985.3 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जबकि इससे पहले देश में 2013-14 में 958.5 लाख टन गेहूं हुआ था। हालांकि इसके बाद उसके बाद 2014-15 में 865.3 लाख टन और 2015-16 में 922.9 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ।

2016-17 से लगातार गेहूं का उत्पादन बढ़ रहा है।
2016-17 : 985.1 लाख टन
2017-18 : 998.7 लाख टन
2018-19 : 1036 लाख टन
2019-20 : 1078.6 लाख टन
2020-21 : 1095.9 लाख टन
2021-22 : 1050 लाख टन (अनुमानित)
स्रोत : आर्थिकी एवं सांख्यिकी निदेशालय, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग

ये आंकड़े बताते हैं कि पांच साल बाद उत्पादन में गिरावट का अंदेशा है। हालांकि अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि गेहूं की फसल को कितना नुकसान हुआ है और उत्पादन पर कितना असर पड़ सकता है। इसको लेकर जुलाई के आसपास जारी होने वाले अग्रिम अनुमान में ही पता चल पाएगा।

सरकारी खरीद में भी गिरावट

गेहूं के उत्पादन में भी कमी के साथ-साथ प्राइवेट व्यापारियों द्वारा गेहूं की जमकर खरीदारी के कारण सरकारी खरीद में भी गिरावट आई है। चालू मार्केटिंग सीजन में सरकार ने 195 लाख टन सरकारी खरीद का लक्ष्य तय किया है। यह पिछले 13 साल में सबसे कम है।

भारतीय खाद्य निगम के आंकड़े बताते हैं कि 2010-11 में केंद्रीय पूल के लिए 225.13 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। उसके बाद
2011-12 : 283.34 लाख टन
2012-13 : 382.13 लाख टन
2013-14 : 250.52 लाख टन
2014-15 : 281.31 लाख टन
2015-16 : 280.88 लाख टन
2016-17 : 229.61 लाख टन
2017-18 : 308.24 लाख टन
2018-19 : 357.95 लाख टन
2019-20 : 341.42 लाख टन
2020-21 : 389.92 लाख टन
2021-22 : 433.44 लाख टन
2022-22 : 195 लाख टन (लक्ष्य)
स्रोत : भारतीय खाद्य निगम

सरकारी खरीद के ये आंकड़े भी गेहूं के संकट की ओर इशारा कर रहे हैं।

केंद्रीय पूल के स्टॉक में भी कमी

गेहूं उत्पादन कम होने और व्यापारियों द्वारा ज्यादा खरीदने का असर केंद्रीय पूल के स्टॉक पर पड़ने वाला है। सरकार के लक्ष्य के मुताबिक 1 अप्रैल 2023 को केंद्रीय पूल में ओपनिंग स्टॉक 80 लाख टन रहेगा। जबकि इससे पहले 2017 में लगभग 80.59 लाख टन ओपनिंग स्टॉक था।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 1 अप्रैल 2022 को केंद्रीय पूल में 189.90 लाख टन गेहूं था। जबकि उससे पहले 2021 में 273.04 लाख टन गेहूं था। 2020 में 247 लाख टन, 2019 में 169.92 लाख टन, 2018 में 132.31 लाख टन, जबकि 2017 में 80.59 लाख टन गेहूं स्टॉक में था।

यहां यह उल्लेखनीय है कि खाद्य नियमों के मुताबिक देश में 1 अप्रैल में 75 लाख टन गेहूं होना चाहिए।