कृषि

ब्राजील के राष्ट्रपति से क्या चाहते हैं किसान संगठन?

किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बन कर आ रहे ब्राजील के राष्ट्रपति पर दबाव डालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है

Raju Sajwan

ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो 26 जनवरी को आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। किसान आंदोलनों की भारतीय समन्वय समिति (आईसीसीएफएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए एक पत्र में मांग की है कि वह कूटनीतिक तरीकों का प्रयोग करते हुए ब्राजील से कहे कि भारत के खिलाफ वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से याचिका वापस ले।

एक प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति बोल्सोनारो के नेतृत्व में ब्राजील ने भारत के गन्ना/चीनी नीतियों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय में शिकायत दर्ज की है। यह विवाद 5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और मजदूरों की आजीविका पर प्रत्यक्ष रूप से प्रहार करेगा, जिसमें ज्यादातर लघु और सीमांत किसानों को नुकसान होगा। 

आईसीसीएफएम के समन्वयक युद्धवीर सिंह ने कहा, “यह बड़ी अविश्वसनीय बात है कि भारत सरकार उचित और पारिश्रमिक मूल्य चीनी मीलों के द्वारा किसानों को भुगतान करवाता है, ताकि उत्पादकों का उत्पीड़न न हो सके। इसके अलावा राज्य सुझाव मूल्य भी विभिन्न राज्यों में जोड़ा जाता है। फिर भी सरकार किसानों को न तो कीमत देती है और ना ही उनसे फसल लेती है। जैसा कि, देश में बहुत ही कम सरकारी चीनी मिलें है। तब ये भारत के निर्धारित घरेलू सहायता से अधिक होने का सवाल क्यों उठाया जा रहा है?”

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि डब्ल्यूटीओ के अनुचित व्यापार संरचना के अंतर्गत भारतीय किसानों के भविष्य के खतरे में डाला जा रहा है। भारत के उचित और पारिश्रमिक मूल्य के  विरुद्ध मुद्दा खड़ा करने के लिए ब्राजील और अन्य देश अस्वीकार्य उपाय का प्रयोग कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत छूट का आधार मूल्य 1986-88 के निर्धारण पर किया गया है, जिसमें कि महंगाई दर भी सम्मिलित नहीं है। यह भी अनुचित है कि भारत ने अपने किसानों को समर्थन देने की सीमा उस समय तय की थी, जब डब्ल्यूटीओ का अस्तित्व ही नहीं था। वास्तव में दूसरे देशों (अधिकतर विकसित देश) ने खुद के द्वारा दी जा रही बड़ी छूटों को व्यापार को नुकसान न पहुंचने वाली और स्वीकार्य क्षेत्रों में रखा, जबकि यह छूट सही मायने में सरकार द्वारा ही दी जा रही थी।

आईसीसीएफएम ने कहा कि गन्ना उत्पादन से जुड़ा यह विवाद उन अन्य विवादों में से एक है, जो डब्ल्यूटीओ की ओर से डाले जा रहे दबाव के कारण खतरे में हैं। विकसित देशों द्वारा अपने किसानों और उत्पादकों को लगातार छूट दी जा रही है, जिससे वे अपने देश में सस्ता चीजें उत्पादन करते हैं और भारत में आयात करते हैं। इससे भारत के उद्योगों के साथ-साथ किसानों को नुकसान हो रहा है, इनमें धान, गन्ना, गेहूं, दाल इत्यादि उत्पादक किसान प्रमुख हैं। युद्धवीर सिंह ने कहा कि डब्ल्यूटीओ की वजह से किसान संकट में हैं, ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो गया है कि किसान एकजुट होकर इसका व्यापक विरोध करे।

आईसीसीएफ संयोजक ने कहा कि यह एक उचित समय है, जब न्याय और संपोषण पर आधारित एक वैश्विक व्यापार संस्था बनाई जाए और भारत इसका नेतृत्व करे। उन्होंने कहा कि नवंबर 2019 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरसीईपी से बाहर होने का निर्णय लेकर एक अहम कदम उठाया, जिससे किसानों को नुकसान होने से बच गया। अब हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति को डब्ल्यूटीओ से शिकायत वापस लेने के लिए मनाएंगे।