कृषि

कवर फसलों के उपयोग से दुनिया भर में फसल की उपज में 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई : शोध

Dayanidhi

अक्सर सुरक्षा या कवर फसलों का उपयोग मुख्य फसलों की कटाई के बाद जमीन को ढकने के लिए किया जाता है। कवर फसलें क्या होती हैं? कवर फसलें नकदी फसलों से अलग होती हैं, जैसे कि मकई या सोयाबीन। मिट्टी को सुधारने के लिए फसलों का पहला काम खेत को कवर करना है। वे खेतों में मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के नुकसान से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।

सालों से इस बात पर बहस हो रही है कि ये कवर फसलों के पौधे बाद में बोई जाने वाली फसल की उपज पर अच्छा प्रभाव डालते हैं या बुरा। इस विषय पर सैकड़ों अध्ययन किए गए हैं, जिनमें से हर एक का परिणाम अलग-अलग रहा है।

अब इंडियानापोलिस में इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में 100 से अधिक फील्ड ट्रायल से आंकड़े एकत्रित किए और पाया कि कवर फसलों का कुल मिलाकर अच्छा प्रभाव पड़ता है, जिससे दुनिया भर में फसल की उपज में 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। शोध के निष्कर्षों में सबसे खास बात यह थी कि मटर, वेच और क्लोवर सहित कवर फसलों के रूप में फलियों के उपयोग से उपज में कितना फायदा हुआ।

शोधकर्ताओं की टीम ने क्षेत्र-आधारित उपज के आंकड़ों के 1,000 से अधिक रिकॉर्ड एकत्र कर उनका विश्लेषण किया कि कवर फसल का प्रकार, मिट्टी की बनावट, मिट्टी में पानी की स्थिति, शुष्कता, कवर फसल की अवधि और अन्य प्रथाएं फसल की उपज को कैसे प्रभावित करती हैं।

फील्ड क्रॉप्स रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित शोध में शोधकर्ता ने बताया कि इंडियाना में अध्ययन करते हुए, मैंने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से देखा है, जिसमें मिट्टी का क्षरण और पोषक तत्वों का नुकसान शामिल है। इस शोध का उद्देश्य मुख्य फसल में उपज में होने वाले नुकसान के बारे में किसानों की चिंताओं को दूर करके कवर फसलों को अपनाने की दर को बढ़ावा देना है, जिससे कृषि-पर्यावरण को फायदा होगा।

फलीदार कवर फसलों ने बिना-फलीदार कवर फसलों- जैसे राई, जई, कैनोला और मिश्रित कवर फसलों- की तुलना में उपज  में 9.8 फीसदी वृद्धि देखी गई। इसके अतिरिक्त, मुख्य फसलों को निषेचित किए बिना फलीदार कवर फसलों को शुरू करने से उपज में 21.8 फीसदी की वृद्धि हुई।

मध्य-पश्चिम और अमेरिका में सबसे अधिक उत्पादित फसल मक्का, उन दो फसलों में से एक है, जिन्हें किसी भी तरह की कवर फसल से सबसे अधिक लाभ होता है, जिसकी उपज में 4.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। जौ, एक अन्य प्रमुख अमेरिकी फसल, में  8.3 फीसदी सबसे बेहतर उपज देखी गई। आंकड़ों से पता चलता है कि फलीदार कवर फसल का उपयोग करके, उपज और भी अधिक हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि पोषक तत्वों की कमी वाली स्थितियों में कवर फसलों को सबसे ज्यादा  फायदा होता है। उदाहरण के लिए, बारिश पर निर्भर शुष्क भूमि में कवर फसलों से उपज में वृद्धि हुई, जबकि बारिश पर निर्भर बिना शुष्क भूमि में कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखा गया। इसके अतिरिक्त, जब कवर फसल के साथ उर्वरक का उपयोग नहीं किया गया तो उपज में 10.5 फीसदी की वृद्धि देखी गई, लेकिन उर्वरक उपचार दोनों के साथ उपज में वृद्धि घटकर 1.8 फीसदी रह गई।

रेतीली दोमट और दोमट रेत जैसी मोटी मिट्टी कवर फसल के तहत उपज बढ़ाने के लिए प्रवृत्त हुई। इसके विपरीत, चिकनी-दोमट और चिकनी मिट्टी जैसी महीन बनावट वाली मिट्टी में कवर फसल के तहत कमी देखी गई, जिससे उपज पर बुरा प्रभाव पड़ा।

शोध के मुताबिक, कवर फसलें मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करती हैं, मिट्टी की नमी बढ़ाती हैं, मिट्टी की संरचना में सुधार करती हैं और कार्बनिक पदार्थ बढ़ाती हैं। शोध में कहा गया है कि कवर फसलों को अधिक व्यापक रूप से अपनाने से न केवल किसानों को मिलने वाले फायदों में बल्कि पृथ्वी के पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, कृषि पर्यावरण पर बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ती है। अक्सर, यह पानी को प्रदूषित करती है और बहुत सारी ग्रीनहाउस गैसें पैदा करती है। इसलिए हम पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त फसल उपज हो। कवर फसलें इसे हासिल करने में मदद करने के लिए एक अहम उपकरण हैं।

शोधकर्ता ने शोध में  कहा, किसानों को वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान करने के बाद कि कवर फसलों का उपयोग करने से उपज में कमी के बिना पर्यावरण को फायदा होगा, अगला हिस्सा यह पता लगाने का है कि यह और क्या योगदान दे सकता है। 

यदि कवर के रूप में उपयोग की जाने वाली फसलें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में प्रभावी साबित होती हैं, तो किसान किफायती तरीके से ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ सकते हैं।