कृषि

आवारा मवेशियों से यूपी-एमपी के सीमावर्ती गांवों में टकराव की स्थिति

DTE Staff

बसहरी गांव के घनश्याम कुमार ने इस साल डर-डर कर खरीफ की फसल बोई है। बसहरी बुंदेलखंड के बांदा जिले में स्थित है और मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। पिछले साल मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में आने वाले पड़ोसी गांव बदौरा से आए अन्ना पशुओं ने उनकी 14 बीघे में बोई गई चने और गेंहू की फसल पूरी तरह बर्बाद कर दी थी। घनश्याम बताते हैं कि गांव के लोगों ने पिछले हफ्ते जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर अन्ना मवेशियों से किसानों की फसल बचाने की अपील की है। अगर प्रशासन से समस्या से निजात नहीं दिलाई तो किसानों की फसलें इस साल भी चौपट हो जाएंगी। किसान रातभर जागकर फसलों की रक्षा कर रहे हैं। घनश्याम बताते हैं कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती गांवों में अन्ना मवेशियों के कारण टकराव की स्थिति बन रही है। दोनों तरफ के लोग इन पशुओं को एक-दूसरे की ओर हांक रहे हैं।  

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते बांदा के किसानों ने करीब 500 अन्ना मवेशियों को मध्य प्रदेश के गांवों की ओर खदेड़ दिया था। इन मवेशियों ने वहां उत्पात मचाया तो मध्य प्रदेश के किसानों ने इन मवेशियों को वापस चित्रकूट धाम मंडल के गांवों में खदेड़ दिया। अब ये मवेशी गांवों में घूम घूमकर फसलें बर्बाद कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 31 जुलाई को मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से अन्ना मवेशियों को उत्तर प्रदेश की महाराजपुर चौकी के रास्ते बांदा की सीमा में खदेड़ दिया गया।

रिपोर्ट बताती है कि अन्ना मवेशी सीमावर्ती किसानों के आपसी रिश्ते खराब कर रहे हैं। कई बार दोनों प्रदेश के किसानों के बीच टकराव की स्थिति बनी है। उदाहरण के लिए पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश के रामनई गांव से वहां के किसान अन्ना गायों का झुंड लेकर बांदा के नहरी की तरफ बढ़ रहे थे। इसकी जानकारी मिलते ही कई गांवों के किसान मौके पर पहुंच गए। इससे तनातनी की स्थिति पैदा हो गई। बाद में दोनों पक्षों को प्रधानों के समझाने पर शांत किया गया। पिछले वर्ष जुलाई में उत्तर प्रदेश के गांवों के किसानों ने अन्ना मवेशियों को मध्य प्रदेश की ओर हांका था। इसी दौरान वहां के किसानों ने मौके पहुंचकर खास विरोध किया था।

बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर और महोबा जिले में 15 लाख से ज्यादा गोवंश हैं। साल 2002 में जारी की गई 19वीं पशु जनगणना के मुताबिक, इन चारों जिलों में 75 हजार अन्ना पशु हैं। पिछले पांच वर्षों में इन जिलों में 45 हजार अन्ना मवेशी बढ़ गए हैं। घनश्याम इसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि बूचड़खानों के बंद होने के बाद प्रदेश में यह समस्या काफी बढ़ गई है। पहले किसान इन मवेशियों को व्यापारियों को बेच देते थे लेकिन अब उन्हें त्यागने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।  

बांदा जिले में स्थित कतरावल गांव के प्रधान राम नरेश बताते हैं कि अन्ना मवेशियों का सड़कों पर जमघट लगा रहा है। कई बार तो वाहनों को सड़क से निकालने के लिए जानवरों को उतरकर हटाना पड़ता है। वह बताते हैं कि इन मवेशियों के कारण सड़क हादसे भी बढ़ रहे हैं। पहले पशुओं से फसलों को बचाने के लिए कुछ किसान की कंटीले तार लगाते थे लेकिन अब किसानों के लिए यह अनिवार्य हो गया है।