कृषि

बेमौसमी बारिश: खेतों और मंडियों में रखा हजारों क्विंटल गेहूं खराब होने की आशंका, जायद को भी नुकसान

अप्रैल के मध्य से भारी बारिश का सिलसिला चल रहा है। इससे पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में किसानों की चिंता बढ़ा दी है

Shagun

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और अगले कुछ दिनों में और अधिक बारिश के पूर्वानुमान ने किसानों को अपनी तैयार फसलों के बारे में बेहद चिंता में डाल दिया है। इन दिनों जहां एक ओर रबी की फसल काटी जा रही है, वहीं जो किसान फसल काट चुके हैं, उनकी फसल मंडियों में खुले में पड़ी है।

पंजाब में, 1 अप्रैल, 2023 को खरीद सीजन की शुरुआत के बाद से 22 जिलों में कृषि उपज विपणन समिति मंडियों में लाया गया लगभग 55,000 टन गेहूं बिना बिके रह गया है।

इसके अलावा, लगभग 52 लाख टन खरीदा गया गेहूं को मंडियों से उठाया नहीं गया है, जिसके चलते इसके बारिश में भीगकर खराब होने की आशंका बन गई है।

अब तक खरीदे गए कुल गेहूं का लगभग 46 प्रतिशत उठाया नहीं गया है, जबकि रोजाना अधिक किसान अपनी उपज मंडियों में ला रहे हैं।

इस बीच, बारिश और तेज हवाओं ने खड़ी फसलों को भी प्रभावित किया है, जो कटने के अंतिम चरण में हैं। तेज हवा के कारण पौधे गिर जाते हैं या झड़ जाते हैं। देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई करने वाले किसानों को कृषि विभाग ने सलाह दी है कि वे अपनी फसलों को ढक कर रखें।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के 22 जिलों में से, पांच को छोड़कर, अन्य सभी में पिछले एक सप्ताह में 'बहुत अधिक' बारिश हुई है, जिसके चलते विभाग ने एक नारंगी अलर्ट (भारी बारिश का संकेत) जारी किया है।

किसानों ने रबी सीजन के दौरान पंजाब में 34.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की है।

महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले ने बताया कि महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण लगभग 20 प्रतिशत खड़ी प्याज की फसल खराब हो गई है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में राज्य में और बारिश की संभावना जताई है।

दिघोले ने कहा, “मार्च से बारिश जारी है और इसके बाद प्याज काटने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि फसल की गुणवत्ता खराब हो गई है। वर्तमान में, प्याज औसतन 3-4 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही है।"

इस बीच, मध्य प्रदेश में, किसानों को ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में बोई गई मूंग और बागवानी फसलों को नुकसान हुआ है। यह फसल भारतीय उपमहाद्वीप में रबी (सर्दियों) और खरीफ (मानसून) के बीच उगाई जाती हैं। इसे जायद फसल कहा जाता है।

मंडियों में बुनियादी ढांचे की कमी ने किसानों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के चपड़ा ग्रहण गांव के एक किसान जीवन बिंदा ने बताया कि 30 अप्रैल से बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया था। इसके बाद से किसान अपनी फसल को मंडियों में तक पहुंचाने के लिए चिंतित हैं क्योंकि अगर उपज समय पर नहीं बिकी तो बारिश से फसल खराब हो जाएगी। इसके अलावा हम खरीफ फसलों के लिए खेत तैयार नहीं कर पा रहे हैं।

मौसम विभाग ने 29 अप्रैल को भविष्यवाणी की थी कि अगले कुछ दिनों में कई राज्यों में हल्की से बहुत भारी बारिश होने की उम्मीद है।