कृषि

20 साल पहले प्रतिबंधित सल्फास के बिक्री पर मध्य प्रदेश को जवाब देगा केंद्र

Vivek Mishra

अनाज को नमी और कीटों से सुरक्षित रखने के लिए प्रचलित व बेहद जहरीले एलुमिनम फॉस्फाइड (सल्फास) की ऑनलाइन बिक्री को लेकर मध्य प्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग को केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से विचार के बाद जवाब दिया जाएगा। दरअसल हाल ही में वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं निदेशालय की समीक्षा समिति ने एक बैठक में यह तय किया है। 

निदेशालय की समीक्षा समिति ने 4 जनवरी, 2022 को भोपाल के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के संचालक के एक पत्र पर गौर करने के बाद कहा है कि 17 जुलाई, 2001 को केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक 3 ग्राम के 10 और 20 टेबलट क्षमता वाले सेल्फॉस का उत्पादन, विपणन और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध है। हालांकि राज्य सरकार को यह शक्ति है कि वह प्रासंगिक प्रावधानों और कानूनों का इस्तेमाल करते हुए राज्य में इस अधिसूचना को लागू करे।

भोपाल स्थिति किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के संयुक्त संचालक से डाउन टू अर्थ ने इस संदर्भ में संपर्क भी किया लेकिन उन्होंने इस पर अनभिज्ञता जाहिर की है। हालांकि समीक्षा बैठक के रिकॉर्ड में इस बात की पुष्टि की गई है। 

सल्फास एक बेहद जहरीला कीटनाशक है। आत्महत्या घटनाओं के लिए इसका बेजा इस्तेमाल भी किया जाता रहा है। केंद्र सरकार की एक एक्सपर्ट कमेटी ने 2015 में 66 रसायनों की समीक्षा करते हुए बताया था कि इसका इस्तेमाल काफी निगरानी में होना चाहिए और सरकारी उपक्रम ही इस्तेमाल करें। 

मध्य प्रदेश के एक पत्र के बाद वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं निदेशालय की समीक्षा समिति ने कहा कि 8 सितंबर, 2021 को सरकार ने ऑनलाइन कीटनाशकों के लिए एक प्रारूप जारी किया था जिसके 10 ई प्रावधान में कहा गया है कि लाइसेंस धारक, लाइसेंस की अवधि में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए किसी भी कीटनाशकों की बिक्री और आपूर्ति किसानों के सीधे दरवाजे तक कर सकते हैं। लाइसेंस धारक अधिनियम के प्रावधानों और नियमों का जो कि फिलहाल लागू है उसका पालन करना होगा।  

कीटनाशकों के ऑनलाइन बिक्री को लेकर मध्य प्रदेश कंसोर्टियम ऑफ फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश द्विवेदी  ने बताया कि अभी प्रदेश में कीटनाशकों के ऑनलाइन बिक्री को लेकर रोक है। नियमों के तहत कीटनाशक बेचने वाले के पास उसी स्थान का लाइसेंस होना चाहिए।  

कीटनाशकों के लिए केंद्र सरकार के प्रारूप में प्रस्तावित नियम के आधार पर यदि सीधा किसानों के द्वार पर जहरीले कीटनाशक पहुंचाने पर विचार किया गया तो यह काफी खतरा पैदा कर सकता है।