कृषि

2021 की डाउन टू अर्थ की इन रिपोर्ट्स से समझें, खेती-किसानी के लिए कैसा रहा साल

खेती-किसानी के लिए साल 2021 बेहद महत्वपूर्ण रहा

DTE Staff
साल 2021 की शुरुआत देश की राजधानी दिल्ली को कई ओर से घेरे बैठे किसानों ने नये साल का जश्न मनाया। इसके बाद लगभग पूरे साल किसानों के आंदोलन की चर्चा रही। इस दौरान यह भी साबित हुआ कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान जब पूरी अर्थव्यवस्था ढह गई तो केवल कृषि क्षेत्र ने ही बेहतर प्रदर्शन किया। इससे इतर मौसम ने किसानों की कड़ी परीक्षा ली। पढ़िए, 10 प्रमुख रिपोर्ट्स -   

कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, बनाई कमेटी



किसान जिन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को रोक लगा दी। हालांकि किसान तब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे। 
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बजट 2021-2022 : हाशिए पर रही खेती-किसानी, कुल बजट में घटी 1.2 फीसदी की हिस्सेदारी



किसानों को भले ही एमएसपी देते रहने का ऐलान किया गया हो लेकिन बजट में एमएसपी सुनिश्चित करने वाली अहम योजनाओं के प्रावधानों में बड़ी कटौती की गई है जो खेती-किसानी को हतोत्साहित करती हैं।
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सरसों तेल में 20 फीसदी मिश्रण बंद : 30 वर्षों में लोगों को न मिली अच्छी सेहत और न हुआ किसानों को फायदा



दिल्ली में सरसो तेल खाने से 1998 में महामारी फैली थी। सरकार ने बचाव की रणनीति बनाई और प्रचार किया कि सरसो तेल का उपभोग न करें, उसमें बीमारी फैलाने वाली मिलावट है।
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कीटनाशक प्रदूषण के कारण भारत सहित एशिया में लगभग 49 लाख वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि खतरे में



दुनिया की 64 प्रतिशत कृषि भूमि पर मंडरा रहा है कीटनाशक प्रदूषण का खतरा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई। इससे पता चला कि कीटनाशक केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि कृषि भूमि के लिए भी बड़ा खतरा बन गए हैं
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मोदी सरकार के लिए पहला सबक, लोकतंत्र में अपनी अंतरात्मा की बजाय जनता की सुनना ज्यादा जरूरी



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की, लेकिन इससे सबक क्या लेना चाहिए 
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बिना चर्चा के पारित हुआ कृषि कानूनों को निरस्त करने का विधेयक



दोनों सदनों में बिना चर्चा के कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित कर दिया गया
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किसानों का आंदोलन स्थगित, सरकार के लिखित आश्वासन के बाद माने किसान



केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा की सभी मांगें मान ली, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया
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भारत में आधे से अधिक फसलों की किस्मों पर मंडराया विलुप्त का खतरा



अध्ययन में पता चला है कि भारत के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली किस्मों में एक महत्वपूर्ण विविधता पाई जाती है, जिनमें से 50 फीसदी से अधिक किस्मों पर खतरा मंडरा रहा है।
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उत्तर प्रदेश के किसान से तीन गुणा अधिक कमाता है पंजाब का किसान



एनएसओ के मुताबिक, मेघालय के बाद पंजाब के किसान परिवारों की औसतन मासिक आमदनी सबसे अधिक है
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पेप्सिको इंडिया की आलू किस्म का प्रमाण पत्र रद्द, एक्सपर्ट बोले किसानों के लिए मिसाल बनेगा फैसला



पेप्सिको इंडिया ने 2018-2019 में गुजरात के आलू किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। पेप्सिको इंडिया का कहना था कि आईपीआर के तहत उनकी आलू किस्म का किसान इस्तेमाल नहीं कर सकते।
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