कृषि

संसद में आज: आठ राज्यों के 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है प्राकृतिक खेती

Madhumita Paul, Dayanidhi

चक्रवात से प्रभावित किसानों को मुआवजा

आज सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है, पार्टियों का एक-दूसरे पर आक्षेपों का दौर जारी है। वहीं दूसरी ओर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि 2018-19 से 2022-23 के दौरान अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के तहत राज्यों को 45,654.76 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई।  

वहीं एक अन्य प्रश्न के जवाब में  तोमर ने सदन को बताया कि, प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त खेती है जो पशुधन और स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके एकीकृत कृषि और पशुपालन दृष्टिकोण पर आधारित है। बायोमास मल्चिंग, स्थानीय पशुधन से खेत पर गाय के गोबर के मिश्रण के उपयोग को प्रमुखता से जोर देने के साथ यह खेत पर बायोमास रीसाइक्लिंग पर निर्भर करती है।

तोमर ने कहा, अब तक आठ राज्यों में 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया गया है। भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु को शामिल किया गया है।

देश में जलवायु के कारण भूख संकट

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, जलवायु के कारण भूख के संकट को लेकर तोमर से सदन में प्रश्न पूछा गया, उन्होंने अपने लिखित जवाब में कहा कि, वर्तमान में देश में जलवायु भूख संकट पर कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस बात की जानकारी जरूर है कि, चरम मौसम, अनियमित वर्षा और सूखे जैसी जलवायु परिवर्तन की घटनाओं का खाद्यान्न उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। खाद्यान्न उत्पादन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए सरकार राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) लागू कर रही है।

तोमर ने कहा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनआरएसए) ने क्षेत्रीय फसलों की 2279 उच्च उपज वाली संकर किस्में जारी की हैं। 2014-15 से 2022-23 के दौरान विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के लिए, जिनमें से 1888 किस्में जैविक और अजैविक तनाव सहने वाली हैं,और 217 कम पानी की की जरूरत वाली तथा सूखा, गर्मी, नमी आदि तनाव को सह सकती हैं।

देश में ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना

चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में, भारी उद्योग मंत्री महेंद्रनाथ पांडे ने विद्युत मंत्रालय से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि, 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ शहरों, अर्थात् दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, सूरत, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में किए गए शुरुआती अध्ययन से पता चला है कि, 2030 तक 18,000 सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की जरूरत पड़ेगी।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रबंधित वाहन पोर्टल के अनुसार, 31 जुलाई, 2023 तक देश में 28,17,554 इलेक्ट्रिक वाहन चल रहे हैं और बीईई के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 9,113 ईवी चार्जिंग स्टेशन काम कर रहे हैं, जो 15,493 ईवी चार्जर के अनुरूप हैं।

पांडे ने कहा, तदनुसार, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और सार्वजनिक ईवी सार्वजनिक चार्जर का अनुपात 182 है।

खानाबदोश जनजाति

आज सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने बताया कि, देश में घुमंतू आदिवासियों की संख्या के संबंध में मंत्रालय के पास कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इससे पहले फरवरी 2014 में भारत सरकार द्वारा गैर-अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (एनसीडीएनटी) के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया था, ताकि अन्य बातों के साथ-साथ खानाबदोश और अर्ध-घुमंतू जनजातियां तथा गैर-अधिसूचित जातियों की राज्य-वार सूची तैयार की जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में कुल 1262 समुदायों की पहचान विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के रूप में की गई है।

देश में लीवर फेलियर के कारण मौतें

देश में लीवर फेलियर को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि, आईसीएमआर के लेख "मृत्यु दर में लिवर सिरोसिस का बोझ: रोग अध्ययन के वैश्विक बोझ के परिणाम" के अनुसार, भारत में 2017 में लिवर रोगों के कारण सबसे अधिक मौतें हुईं (सिरोसिस और अन्य पुरानी बीमारियों के कारण लगभग 2.2 लाख मौतें हुई)।

कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करना

आज सदन में उठे एक सवाल के जवाब में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली मंत्री आर.के. सिंह ने बताया कि, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने दिनांक 20.01.2023 को सुझाव दिया कि भविष्य में अपेक्षित ऊर्जा मांग परिदृश्य और क्षमता की उपलब्धता को देखते हुए 2030 से पहले कोयला आधारित बिजली स्टेशनों की सेवानिवृत्ति या दोबारा उपयोग नहीं किया जाएगा।

सिंह ने कहा, थर्मल पावर प्लांटों को ग्रिड में सौर और पवन ऊर्जा एकीकरण की सुविधा के लिए, जहां भी संभव हो, 2030 और उससे आगे तक चलाने या दो शिफ्ट मोड में संचालन के लिए अपनी इकाइयों के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (आरएंडएम) और जीवन विस्तार (एलई) के कार्यान्वयन की सलाह दी गई थी।

सौर पार्क

वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सिंह ने बताया कि, "सौर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास" योजना के लिए 8100 करोड़ रुपये का स्वीकृत आवंटन है। इस योजना को बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव के वित्त वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। इसलिए, योजना के विस्तार के लिए कोई अतिरिक्त धनराशि आवंटित नहीं की जाती है। सरकार ने अब तक देश भर के 12 राज्यों में 37,990 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 50 सौर पार्कों को मंजूरी दी है।

इस मंजूरी के विरुद्ध, 8,521 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 11 सौर पार्क पूरे हो चुके हैं और 3,985 मेगावाट की कुल क्षमता वाले सात सौर पार्क आंशिक रूप से पूरे हो चुके हैं। इन पार्कों में 10,237 मेगावाट की कुल क्षमता की सौर परियोजनाएं विकसित की गई हैं।