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कृषि

कर्नाटक में गन्ना किसानों का आंदोलन तेज, 3500 रुपए प्रति क्विंटल की मांग पर अड़े

किसानों ने चीनी की 26 फैक्ट्रियों पर ताला लगा दिया व राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया

Mahesh Bhadana

कर्नाटक में गन्ना किसानों का आंदोलन तेज हो गया है, जिसमें एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की।

किसान 3500 रुपए प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं, जबकि चीनी मिलें 3200 रुपए देने को तैयार हैं।

आंदोलन में छात्रों और सामाजिक संगठनों का समर्थन है।

किसानों की मांग है कि महाराष्ट्र के शुगर प्राइस मॉडल को कर्नाटक में लागू किया जाए।

 

कर्नाटक राज्य में गन्ने के किसान उचित मूल्य के लिए एक सप्ताह से आंदोलित है। जिसमें एक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की, जो अभी अस्पताल में भर्ती है। किसानों ने चीनी की 26 फैक्ट्रियों पर ताला लगा दिया व राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया। किसानों ने गन्ने की कीमत 3500 रुपए प्रति क्विंटल की मांग की है वरना सम्पूर्ण राज्य में तेज आन्दोलन की चेतावनी दी है।

किसानों का यह आंदोलन उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, बागलकोट व हावेरी जिलों में अधिक हावी है। समाचार पत्रों के अनुसार चीनी मील के मालिक किसानों को 3200 रुपए प्रति टन के भाव देने के लिए तैयार हैं लेकिन किसान 3500 रुपए की मांग पर अडिग हैं। किसानों के आन्दोलन में छात्र व अन्य सामाजिक संगठन भी हिस्सा ले रहे हैं, जिससे आंदोलन को मजबूती मिल रही है।

किसानों की मुख्य मांग है कि महाराष्ट्र राज्य के शुगर प्राइस मॉडल को कर्नाटक राज्य में भी लागू किया जाए, जिससे किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान प्राप्त हो सके। इसके अलावा किसानों ने गन्ने की फसल पर केंद्र सरकार द्वारा जारी उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की मांग की है, जो अभी तक किसानों को नहीं मिलती है।

देश में गन्ना उत्पादन में कर्नाटक राज्य तीसरे नंबर पर आता है व सरकारी आकड़ों के अनुसार कर्नाटक में 2024-25 में 6.8 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुवाई की गई थी। लेकिन गन्ने के भाव व गन्ना मील की व्यवस्था उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र राज्य की तुलना में कर्नाटक में अव्यस्थित है।

गन्ने के किसानों को कम भाव मिलने की मुख्य वजह केंद्र सरकार द्वारा जारी एफआरपी न मिलकर राज्य सरकार द्वारा मूल्य प्राप्त होता है। इसके अलावा चीनी मीलों पर राजनेतिक लोगों का काफी अधिक प्रभाव है जिसके कारण मूल्य अधिक नहीं बढ़ता है।

कर्नाटक के कृषि व गन्ना मंत्री शिवानंद पाटील ने किसानों से मिलकर बातचीत की। पाटील ने मीडिया में बताया कि किसानों से बातचीत चल रही है व किसानों की मांग समझने की कोशिश कर रहे है।

पाटील ने यह भी कहा कि एफआरपी मूल्य केंद्र सरकार तय करती है, राज्य सरकार इसमे कुछ नहीं कर सकती है। लेकिन किसानों को उचित मूल्य दिए जाने को लेकर फैक्ट्रियों के सदस्यों से बातचीत चल रही है।

कर्नाटक राज्य के विपक्ष नेताओ ने भी किसानों के आंदोलन को समर्थन किया है। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बी वाई विजयेन्द्र ने अस्पताल में भर्ती किसान से मुलाकात की व आंदोलित स्थल जाकर किसानों से मिले।