कृषि

सरकार ने कहा कानून स्थगन ही हमारा सबसे बेहतर प्रस्ताव, किसानों ने कहा 24 घंटे बाद बताएंगे निर्णय

गणतंत्र दिवस को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर किसान यूनियन कृषि बिलों की सरकार से बातचीत के बाद अपना निर्णय दिल्ली पुलिस को बताएंगे।

Vivek Mishra

केंद्र सरकार ने 22 जनवरी, 2021 को किसानों को 24 घंटे का वक्त और दिया है कि वह उनके डेढ़ साल के लिए तीन कृषि कानूनों के स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष बताएं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से यह जानकारी साझा की।

वहीं, किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से डॉक्टर दर्शन पाल ने कहा कि किसानों की मांग कृषि कानूनों को पूरी तरह से खत्म करने की है। वहीं, 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के लिए पुलिस ने उनके सामने रोडमैप रखा है। इस रोडमैप पर भी किसान यूनियन कल सरकार के साथ बैठक के बाद जवाब देंगे। 

संयुक्त मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार कह रही है कि उनकी ओर से सबसे बेहतर प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखा गया है। लेकिन यूनियन आपस में बातचीत कर रहे हैं, जैसा भी जवाब होगा 23 जनवरी, 2020 को सरकार को यूनियन की ओर से जवाब दिया जाएगा। 

सरकार ने 10वें दौर के बैठक में किसान संगठनों के समक्ष 20 जनवरी, 2020 को तीन विवादित कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगन के लिए प्रस्ताव रखा था। 

नरेंद्र सिंह तोमर ने 22 जनवरी, 2020 को 11वें दौर की बैठक के बाद कहा कि किसान यूनियन से बातचीत पूरी हो चुकी है। कल तक यूनियन हमारे प्रस्ताव पर विचार करके जवाब देंगे। दोपहर 12:30 बजे बैठक शुरु हुई थी जो कि पांच घंटे तक चली। लेकिन इस दौरान दोनों पार्टियों के बीच बमुश्किल 20 मिनट की बातचीत हुई। 

बीच में लंच के बाद एक दौर और बातचीत हुई थई जिसमें किसानों से उनके जवाब के बारे में सरकार की तरफ से पूछा गया था। साथ ही बातचीत के दौरान सरकार ने कृषि कानूनों के स्थगन की अवधि को और बढ़ाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मामले में एक अलग से समिति बनाने का भी प्रस्ताव रखा था। 

कीर्ति किसान यूनियन के राजेंद्र सिंह की तरफ से कहा गया कि किसान समिति में विश्वास नहीं कर रहे हैं क्योंकि कृषि में कई समितियां बन चुकी हैं लेकिन उनको स्वीकार्यता नहीं मिली है। मसलन स्वामीनाथन आयोग की ओर से दी गई सिफारिशों को भी अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।