सरकार और किसानों के बीच लंबी वार्ता एक बार और बेनतीजा रही। हालांकि, पहली बार 20 जनवरी, 2021 को केंद्र सरकार ने बैठक में किसान संगठनों से कहा है कि वह अपने तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए वापस लेने को तैयार हैं।
वहीं, पूरी तरीके से किसान बिलों की वापसी की मांग कर रहे किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 22 जनवरी, 2021 को एक बैठक कर सरकार को जवाब देने की बात कही है।
तीन कृषि बिलों को लागू करने के बाद पैदा हुए विवाद के मद्देनजर सरकार और किसान के बीच यह दसवीं बैठक थी। वहीं, दिल्ली बॉर्डर पर हजारों किसान सरकार के कृषि बिल के खिलाफ 55 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
वहीं, सरकार के इस प्रस्ताव के बाद उसे उम्मीद जगी है कि किसान संगठन इस बार किसी नतीजे पर जरूर पहुंचेगे।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा "मैं खुश हूं कि किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को बड़ी गंभीरता से लिया है। और वे 21 जनवरी को इस पर विचार करने के बाद 22 जनवरी तक अपना निर्णय सरकार को बताएंगे। मुझे यह महसूस हो रहा है कि चीजें सहीं दिशा में बढ़ रही हैं और यह संभावना है कि 22 जनवरी को समाधान जरूर निकलेगा।"
सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि वह किसानों के साथ एक समिति का गठन करेगी जो कि कानून के सस्पेंशन अवधि के कृषि बिलों पर तालमेल बनाने के लिए असंतुष्ट संगठनों से वार्ता जारी रखेगी। साथ ही कहा गया है कि यदि किसान संगठनों के दिमाग में कोई भी शंका हो तो वह सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल करने को तैयार है।
इसी, बीच किसान संगठनों ने केंद्र और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के जरिए किसानों के शोषण के मुद्दे को भी उठाया। वहीं, सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे को देखेगी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी, 2020 को केंद्र की याचिका की सुनवाई की, जिसमें 26 जनवरी, 2020 को ट्रैक्टर के जरिए प्रस्तावित किसान रैली की मनाही की मांग केंद्र की ओर से की गई थी।
वहीं, कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई अनुचित होगी। वहीं केंद्र ने इस याचिका को वापस कर लिया था।