कृषि

पूरे देश के ‘किसानों के संकट सूचकांक’ का व्यवस्थित मूल्यांकन उपलब्ध नहीं है: केंद्र

आईएआरसी के अनुसार, भारत में कैंसर के मामले 2040 तक बढ़कर लगभग 22,18,694 होने की आशंका जताई गई है।

Madhumita Paul, Dayanidhi

कृषि संकट सूचकांक का निर्माण

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण जारी है, सदन में उठे के सवाल के जवाब में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि पूरे देश के लिए किसानों के संकट सूचकांक (एफडीआई) का व्यवस्थित मूल्यांकन उपलब्ध नहीं है।

हालांकि 2020-21 और 2021-22 के दौरान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों की मदद के लिए एक पायलट अध्ययन “कृषि संकट और पीएम फसल बीमा योजना: वर्षा आधारित कृषि का विश्लेषण” आयोजित किया गया था। एफडीआई में जलवायु परिवर्तनशीलता से लेकर मूल्य अस्थिरता और किसानों के कम खतरे वहन करने की क्षमता आदि जैसे संकट के कई कारण शामिल हैं।

पंजाब में किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में कहा कि सरकार इस बात से अवगत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा और रेगिस्तानीकरण या मरुस्थलीकरण हो रहा है। जिसके कारण पंजाब सहित देश में किसानों की परेशानी बढ़ गई है

ठाकुर ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा सहभागिता नजरिए के माध्यम से अपनाने के लिए चुने गए पंजाब के प्रत्येक जलवायु रूप संवेदनशील जिलों (फरीदकोट, बठिंडा, गुरदासपुर और मोगा) में तीन से चार गांवों वाले क्लस्टरों में स्थान-विशिष्ट जलवायु तन्यक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है। अनुकूलन क्षमता बढ़ाने, जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति तन्यक क्षमता बढ़ाने और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए गांव स्तर पर नवीन संस्थागत तंत्र विकसित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

महाराष्ट्र में फसलों की विफलताओं के प्रभाव का आकलन

महाराष्ट्र में फसलों की विफलता को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (एनपीडीएम) का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर राहत सहायता के वितरण सहित आपदा प्रबंधन की पहली जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर भारत सरकार की स्वीकृत मदों और मानदंडों के अनुसार, पहले से ही उनके पास उपलब्ध राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से राहत उपाय करती हैं।

केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरक बनाती है और अपेक्षित रसद और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 'गंभीर प्रकृति' की आपदा के मामले में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें अंतर-मंत्रालयी केन्द्रीय दल (आईएमसीटी) के दौरे के आधार पर आकलन करना शामिल है।

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत प्रदान की गई वित्तीय सहायता राहत के रूप में है, न कि मुआवजे के लिए। महाराष्ट्र सरकार ने लगभग 27243.42 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। बेमौसम बारिश, भारी बारिश और सूखे से प्रभावित किसानों की फसलों के नुकसान के लिए 2020-21 से 2024-25 (19 मार्च, 2025 तक) के लिए मुआवजा दिया गया।

देश में गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतें

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने लोकसभा में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की 2017 में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट “भारत: राष्ट्र के राज्यों का स्वास्थ्य” का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होने वाली मौतों का अनुपात 1990 में 37.9 फीसदी से बढ़कर 2016 में 61.8 हो गया है।

देश में बच्चों में मोटापा

देश में बच्चों में बढ़ता मोटापा को लेकर सदन में एक सवाल उठाया गया, जिसके जवाब में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच (2019-21) के अनुसार, पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन (ऊंचाई के हिसाब से वजन) का प्रचलन 3.4 प्रतिशत है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन के प्रचलन के लिए एक सीमा प्रदान करते हैं, जो क्षेत्रों और देशों के हिसाब से अलग-अलग होती है।

देश में कैंसर के मामले

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी ) के आंकड़ों का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि साल 2025 तक देश में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 15,69,793 है।

ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के अनुसार, भारत में कैंसर के मामलों की संख्या 2040 तक बढ़कर लगभग 22,18,694 होने की आशंका जताई गई है।

आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई)

सदन में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में कहा कि नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमान 2021-22 के अनुसार, साल 2021-22 के लिए स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति जेब से खर्च या आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) 2600 रुपये था।

2021 के लिए क्रय शक्ति समता (इंटरनेशनल डॉलर) में प्रति व्यक्ति ओओपीई में 189 देशों की सूची में भारत 69वें स्थान पर है।