कृषि

पीएम नरेंद्र मोदी को खत भेजकर सुझाव: किसान और ट्रांसपोटर्स पर पुलिस की हिंसा रोकिए

Vivek Mishra

किसानों की रबी फसलें खेतों में तैयार हैं। कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव को लेकर पाबंदियों के कारण कृषि मजदूर और किसान खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे। किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के अन्य मंत्रियों को खत लिखकर सुझाव दिए हैं। साथ ही अपील की है कि किसानों और जरूरी सुविधाओं का परिवहन करने वालों के खिलाफ पुलिसिया हिंसा न की जाए। वहीं ऐसे किसान मजदूर जो खेतों को मालिक नहीं है लेकिन खेती कर रहे हैं। पंचायत स्तर पर उनकी पहचान करके लाभार्थियों की सूची में उन्हें जोड़ने की अपील भी की गई  है। इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड के तहत लिए गए लोन चुकाने की अवधि को भी बढ़ाने की मांग की गई है।

एलियांस फॉर सस्टेनबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) की ओर से सरकार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सबसे पहले यह सुनिश्चित होना चाहिए कि शहर-कस्बों और राज्य की सीमाओं पर तैनात पुलिस ट्रांसपोर्टर्स और वेंडर्स के साथ हिंसा और बेरूखी वाला व्यवहार न करे। वहीं, एक एडवाइजरी जारी हो ताकि जरूरी सुविधाओं को लेकर किसान से लेकर वेंडर तक सप्लाई चेन जारी हो सके।  किसानों, ट्रांसपोटर्स, वेंडर्स को आने-जाने के लिए पास दिए जाएं। यह पास पंचायत स्तर से जारी किए जा सकते हैं। वहीं, मंडियां और एपीएमसी इस चीज को सुनिश्चित करें।  

सप्लाई चेन को बेहतर बनाए रखने के लिए ग्रामीण स्तर पर मोबाइल के जरिए सरकारी एजेंसिया खरीद सुनिश्चित करें। संभव हो तो कुछ छोटी टीम बनाकर गांवों तक किसानों के पास भेजी जाएं ताकि हार्वेस्टिंग के बाद वह सप्लाई चेन को जारी रख सकें।  यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि कोरोना संक्रमण से बचाव की कुछ जरूरी सावधानियों के साथ किसान अपनी खेती और अन्य गतिविधियों को जारी रख सकें।

आशा की कविता कुरुगंती ने कहा कि गुजरात में गन्ने की कटाई करने वाले कुछ मजदूर भटक रहे हैं। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि जो मजदूर काम नहीं करना चाहते हैं उन्हें सुरक्षा दी जाए और यदि वे कोरोनो संक्रमण के खतरे से गुजर रहे हों तो तत्काल बचाया जाए। शेल्टर और खाना आदि का इंतजाम किया जाना चाहिए।  साथ ही कृषि मजदूर और किसानों को जरूरी रसद उपलब्ध कराया जाए साथ ही लघु पोल्ट्री फार्मर्स को विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए।

सप्लाई चेन टूट जाने से देशभर के किसान परेशान हैं। खासतौर से फल और सब्जी मंडियों से जुड़े किसानों का माल ज्यादातर बॉर्डर पर ही फंसा हुआ है।