सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति) के तहत रजिस्ट्रेशन कमेटी (आरसी) ने सिफारिश की है कि जहां जीवाणु (बैक्टेरियल) रोग नियंत्रण के लिए अन्य विकल्प मौजूद हो, वहां फसलों पर स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन जैसे एंटीबायोटिक्स का उपयोग तत्काल प्रभाव से और पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
अंतिम रिपोर्ट में स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट (9 प्रतिशत) और टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड (1 प्रतिशत) के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर उप-समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया है। आरसी की 414वीं बैठक 1 मई, 2020 को आयोजित हुई थी।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि उन जगहों पर भी फसलों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन का उपयोग 2022 के अंत तक बंद कर दिया जाए, जहां कोई विकल्प उपलब्ध नहीं थे। तब तक, फसलों के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल लेबल क्लेम (दवा का विवरण) के अनुसार किया जा सकता है।
6 मई, 2020 को इस बैठ का विवरण कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत, प्लांट प्रोटेक्शन, क्वारंटाइन एंड स्टोरेज डायरेक्टोरेट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठा रहा था। नवंबर 2019 में विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह के दौरान, सीएसई ने फसलों के लिए महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक दवाओं के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग को उजागर करते हुए एक विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट जारी किया था।
मूल्यांकन रिपोर्ट में इस कुप्रथा को रोकने और इसे विनियमित करने के उपाय सुझाए गए थे। दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के कृषि फार्मों में किए गए मूल्यांकन में, सीएसई ने पाया था कि किसानों द्वारा स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन का 90:10 के अनुपात में, इसका हाई डोज नियमित रूप से फसलों पर इस्तेमाल किया जा रहा था। ये निष्कर्ष नवंबर 2019 में सीएसई के डाउन टू अर्थ में प्रकाशित हुए थे।
सीएसई ने यह भी बताया कि पूर्व में उपचार प्राप्त टीबी मरीजों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन का महत्वपूर्ण उपयोग है, जो भारत में कुल अनुमानित टीबी की बीमारी का 10 प्रतिशत से अधिक है। इसका उपयोग मल्टीड्रग-रसिस्टेंट टीबी मरीजों और टीबी मेनिन्जाइटिस (ब्रेन टीबी) के कुछ मामलों में भी किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्ट्रेप्टोमाइसिन को मानव उपयोग के लिए महत्वपूर्ण दवा मानता है।
सीआईबीआरसी ने आठ फसलों के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन उपयोग की अनुमति दी हुई है, लेकिन व्यवहार में इसका इस्तेमाल कई और फसलों के लिए किया जाता है। इस पर प्रतिबंध लगने के साथ, उन फसलों में स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन के दुरुपयोग की जांच की जाएगी, जिन फसलों के लिए इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं थी। इससे बिना पर्चे के दवा लेने की अनियंत्रित आदत को रोकने और इन दवाओं को कीटनाशकों के नाम पर पंजीकृत करने में भी मदद मिलेगी।
सीएसई ने पहले भी सिफारिश की थी कि एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग फसल कीटनाशक के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। सीएसई ने सीआईबीआरसी सहित सभी संबंधित हितधारकों के साथ अपनी सिफारिशें साझा की थीं। सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सीन प्रोग्राम के निदेशक, अमित खुराना ने कहा, “हम खुश हैं कि आरसी ने फसलों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। हम आशा करते हैं कि कृषि मंत्रालय इसे जल्द ही लागू करेगा। इससे एंटीमाइक्रोबियल रसिस्टेंस को रोकने में मदद मिलेगी।”
आरसी ने यह भी स्वीकार किया कि फसल में रोगों को एकीकृत कीट प्रबंधन और अन्य उपायों द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है। सीएसई की सिफारिशों के अनुरूप, आरसी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से बेहतर और सुरक्षित विकल्पों पर शोध शुरू करने का अनुरोध किया है, ताकि ये विकल्प सभी अनुशंसित फसलों के लिए उपलब्ध हो सकें।
सुझाए गए विकल्पों पर आवश्यक कार्रवाई के लिए इस रिपोर्ट को आईसीएआर और एग्रीकल्चर को-ऑपरेशन विभाग के साथ साझा किया जाएगा।