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लॉकडाउन में रियायत : अंतर्राज्यीय परिवहन की इजाजत, राज्य सरकारों को ही करना होगा बस का इंतजाम

Vivek Mishra

लॉकडाउन की अवधि को लेकर 03 मई, 2020 को फिर से निर्णय लिया जाना है। ऐसे में तारीख नजदीक आते ही फिर से सड़कों पर मजदूरों और लोगों का जत्था यदा-कदा सड़क पर दिखा रहा है। वहीं, केंद्र ने तारीख से पहे ही अब राज्यों को लॉकडाउन में फंसे हुए लोगों को परिवहन देने की जिम्मेदारी उठाने को कहा है। साथ ही सभी राज्यों को स्वयं बसों की व्यवस्था करके उन्हें परिवहन की सुविधा देने का आदेश दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2020 को जारी आदेश में कहा है कि लॉकडाउन के कारण ऐसे लोग जो एक राज्य से दूसरे राज्य को जाने वाले हैं या कहीं रास्तों में भटक रहे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों को उनके घर भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राज्य कदम उठाएं।

साथ ही सभी राज्य और संघशासित प्रदेश किसी नोडल प्राधिकरण को इस काम के लिए लगाना चाहिए और मानक प्रोटोकॉल विकसित करके इधर-उधर भटक रहे लोगों को उनके गंतव्य पर भेजना चाहिए। वहीं, इन लोगों का संबंधित राज्यों में रजिस्ट्रेशन भी कराना चाहिए।

यदि कोई समूह कहीं भटक रहा है और वह एक राज्य से दूसरे राज्य को जाना चाहता है तो दोनों राज्यों को आपस में बातचीत करके एक आपसी सहमति कायम करनी चाहिए और ऐसे लोगों को सड़क के जरिए भेजना चाहिए।

जो भी व्यक्ति कहीं जा रहा है उसकी स्क्रीनिंग भी की जाए साथ ही किसी तरह की संदिग्धता मिलने पर आगे का कदम बढ़ाया जाए। समूह में भेजने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि उन्हें सेनेटाइज करके उसमें बैठने वाले लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन कराया जाए।

जब कोई भी व्यक्ति अपने गंतव्य पर पहुंच जाए तो उसे स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े हुए  व्यक्तियों के द्वारा जांचा जाना चाहिए और उसके घर में क्वरंटीन होने के लिए कहना चाहिए। अन्यथा जरूरत पड़ने पर उसे संस्थागत क्वंरटीन किया जाना चाहिए। ऐसे लोगों की लगातार निगरानी भी की जानी चाहिए साथ ही समय-समय पर जांच भी किया जाना चाहिए। सभी लोगों को आरोग्य सेतु एप भी डाउनलाउड कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

इस आदेश में किसी भी तरह से मास मूवमेंट यानी व्यापक स्तर पर इधर से उधर जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था के बारे में नहीं कहा गया है। यह आदेश सिर्फ कुछ सीमित लोगों को ध्यान में रखकर दिया गया है। उसमे ंभी  दो राज्यों के बीच सहमति औऱ असहमति की शर्त जुड़ी हुई है।