फाइल फोटो का इस्तेमाल प्रतीकात्मक किया गया है। फोटो: वसीम अख्तर 
कृषि

खरीफ फसलों की बुआई: सभी राज्यों की नहीं है गुलाबी तस्वीर, झारखंड-बिहार बुरी तरह पिछड़ा

बेशक देश में पिछले साल के मुकाबले इस साल खरीफ फसलों की बुआई अधिक हुई है, लेकिन

Raju Sajwan

खरीफ सीजन की बुआई अहम पड़ाव पर है। जुलाई माह के तीसरे सप्ताह की समाप्ति तक पिछले साल के मुकाबले इस साल 23.69 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में अधिक बुआई हो चुकी है।

जून के प्रथम सप्ताह तक बुआई पिछड़ रही थी, अब बुआई के बढ़ते आंकड़ों को देखकर सरकार ने राहत की सांस जरूर ली है। लेकिन दो राज्य झारखंड व बिहार ऐसे हैं, जहां बुआई का आंकड़ा अभी भी काफी कम है। 

खास बात यह है कि झारखंड व बिहार में बहुत बड़ा इलाका ऐसा है, जहां सिंचाई के साधन न होने के कारण केवल खरीफ सीजन में ही फसल लगाई जाती है। 

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 19 जुलाई 2024 को समाप्त सप्ताह तक देश में 704.04 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस सप्ताह तक 680.36 लाख हेक्टेयर में फसल लगी थी। 

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान है। 19 जुलाई 2024 तक धान का रकबा 166.06 लाख हेक्टेयर था, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 155.65 लाख हेक्टेयर था। यानी कि जुलाई के तीसरे सप्ताह तक देश में पिछले साल के मुकाबले 10.41 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में धान लगाई जा चुकी है। देश में सामान्य तौर पर 401.55 लाख हेक्टेयर में धान लगाई जाती है। सामान्य क्षेत्रफल से आशय साल 2018-19 से लेकर 2022-23 के बीच धान के रकबे के औसत से है। 

दलहन-तिलहन में सुधार 

इसके अलावा दलहन की फसलों की बुआई भी पिछले साल के मुकाबले 15.64 लाख हेक्टेयर अधिक है। पिछले साल 155.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले वर्तमान साल में 19 जुलाई तक 166.06 लाख हेक्टेयर में दलहन की फसलें लगाई गई हैं। 

खरीफ सीजन की तीसरी महत्वपूर्ण फसल तिलहन का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले इस साल बढ़ चुका है। पिछले साल 150.91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 163.11 लाख हेक्टेयर (12.20 लाख अधिक) में तिलहन की बुआई हो चुकी है। 

मोटा अनाज पिछड़ा 

केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजार, रागी, मक्का अधिक की पैदावार बढ़ाई जाए। केंद्र सरकार ने इसे श्री अन्न नाम भी दिया है। लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल इसके रकबे में काफी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल जुलाई के तीसरे सप्ताह तक देश में 134.91 लाख हेक्टेयर में श्री अन्न व मोटे अनाज की फसलें लग चुकी थी, लेकिन इस साल 123.72 लाख हेक्टेयर में ही फसलें लगी हैं।

बिहार-झारखंड बुरी तरह पिछड़ा 

देश के इस गुलाबी तस्वीर के पीछे का स्याह सच यह है कि दो बड़े राज्य खरीफ बुआई के मामले में पिछड़ गए हैं। झारखंड तो लगातार तीसरे साल सूखे की ओर बढ़ रहा है। झारखंड में 23 जुलाई 2024 तक 24 जुलाई 2024 तक सामान्य से 47 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 19 जुलाई 2024 तक झारखंड में 1.026 लाख हेक्टेयर में धान लगाई गई है, जबकि इस सप्ताह तक सामान्य तौर पर 3.455 लाख हेक्टेयर में धान लगाई जाती है। 

पिछले साल भी बारिश न होने के कारण धान की रोपाई काफी कम हुई थी, लेकिन वर्तमान साल के मुकाबले पिछले साल भी ज्यादा रोपाई हो चुकी थी। पिछले साल अब तक 1.478 लाख हेक्टेयर में धान लगाई जा चुकी थी। 

धान झारखंड की प्रमुख फसल है और सरकार का लक्ष्य था कि इस साल 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाई जाएगी, लेकिन अब तक के हालात बताते हैं कि यह लक्ष्य पाना बहुत मुश्किल है। अमूमन राज्य में 15 अगस्त तक धान लगाई जाती है, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि 15 जुलाई तक लगने वाली धान की पैदावार अच्छी होती है। 

 दलहन व तिलहन के मामले में भी झारखंड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। दलहन का रकबा इस सप्ताह तक सामान्य तौर पर 1.508 लाख हेक्टेयर रहता है, लेकिन इस साल अब तक 0.740 लाख हेक्टेयर यानी लगभग आधा ही है। 

झारखंड में तिलहन की बुआई नाम मात्र की होती है, लेकिन इसमें भी गिरावट दर्ज की गई है। जैसे कि इस साल का लक्ष्य 60 हजार हेक्टेयर का था, लेकिन अब तक 10 हजार हेक्टेयर ही तिलहन की फसलें लग पाई हैं। 

झारखंड की तरह बिहार में भी धान खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है। चालू सीजन में बिहार सरकार ने 36.605 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 8.686 लाख हेक्टेयर में ही धान लग पाई है। पिछले साल अब तक 12.270 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लग चुकी थी। और अगर जुलाई के तीसरे सप्ताह तक धान का सामान्य रकबे की बात करें तो यह 14.174 लाख हेक्टेयर रहता है। 

दलहन की फसलें बिहार में ही लगाई जाती हैं। इनका कुल रकबा 40 हजार हेक्टेयर है, लेकिन अब तक यहां 27 हजार 900 हेक्टेयर में ही दलहन की फसलें लगी हैं।

जुलाई के तीसरे सप्ताह तक बिहार में तिलहन की फसल का साामान्य रकबा 26 हजार हेक्टेयर रहता है, लेकिन मात्र 4 हजार हेक्टेयर में ही तिलहन की फसल लग पाई है। 

जहां तक मॉनसून सीजन में होने वाली बारिश की बात है तो बिहार में 24 जुलाई तक सामान्य से 29 प्रतिशत कम बारिश हुई है।