फाइल फोटो: सीएसई 
कृषि

मूंगफली में कटाई से पूर्व बीज अंकुरण का निकला हल, इक्रीसेट ने की मूंगफली में नए जीनोम की खोज

बारिश की वजह से बीज अंकुरण होने के कारण मूंगफली की फसल को 10 से 50 फीसदी तक का नुकसान हो जाता है

Mahesh Bhadana

  • इक्रीसेट के वैज्ञानिकों ने मूंगफली में ताजा बीज प्रसुप्ति से जुड़ा नया जीनोम खोजा है

  • जो कटाई से पूर्व बारिश के कारण होने वाले अंकुरण को रोक सकता है।

  • इस खोज से किसानों को 10-50% तक होने वाले नुकसान से बचाव मिलेगा

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद मिलेगी।

मूंगफली की फसल कटाई से पूर्व बारिश की वजह से नमी की मात्रा अधिक होने पर पक्की फसल के दानों में अंकुरण होने लग जाता है। इससे किसानों को उपज में 10 से 12 प्रतिशत से लेकर अत्याधिक बारिश होने पर 50 प्रतिशत तक नुकसान होता है।

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रापिक्स (इक्रीसेट) हैदराबाद द्वारा किए गए नए शोध में इस समस्या का समाधान निकाल लिया गया है। इक्रीसेट के पादप वैज्ञानिकों ने ऐसे जीनोम की खोज की है, जिसके द्वारा भविष्य में ताजा बीज प्रसुप्ति (फ्रेश सीड डॉर्मन्सी) के तहत मूंगफली की किस्में विकसित की जा सकती है।

इस शोध के बारे में इक्रिसैट के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन  कृषि क्षेत्र के लिए चुनौती बनी हुई है, ऐसे में फ़्रेश सीड डोरमेंसी (ताजे बीजों की प्रसुप्ति) में जीनोमिक बदलाव के द्वारा दक्षिण विश्व के लाखों छोटे किसानों के लिए एक लाभदायक अवसर है।

ताजा बीज प्रसुप्ति एक प्राकृतिक अंतअवधि के अंदर की जाने वाली प्रक्रिया है। इसमें पक  चुकी फसल को अंकुरण से बचाने के लिए उसकी प्रसुप्ति यानि (डॉर्मन्सी) के अवधि को बढ़ा दिया जाता है, जिससे पकी हुई फसल अंकुरित होने से बचती है व किसान की उपज व उत्पादन प्रभावित नहीं होती है।

इस शोध से जुड़े हुए इक्रीसेट के प्रमुख पादप वैज्ञानिक डॉ. मनीष पांडे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि “बीते तीन वर्ष से स्वयं व उनके साथी इस पर कार्य कर रहे है व किस्म तैयार होने में तीन वर्ष का समय और लग जाएगा। फसल तैयार होने के बाद अंकुरित होने की समस्या ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका जैसे अनेक देशों में थी लेकिन भारत में पिछले कुछ वर्षों में देखी गई है, इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश है। दक्षिण भारत के किसान सबसे अधिक प्रभावित है।” 

पादप वैज्ञानिकों ने मूंगफली के 184 बीजों के जीन का दो अलग सीजन में मूल्यांकन किया। जिसमें कुछ किस्में 30 दिनों तक बिना अंकुरित हुए प्रसुप्त (डॉर्मन्ट) रही व अन्य एक सप्ताह के भीतर अंकुरित हो गई। वैज्ञानिकों ने 10-12 दिनों की डॉर्मन्सी रखने वाली किस्मों का चयन किया, जो मूंगफली के लिए पूर्णतया उपयुक्त है।

वैज्ञानिकों ने इन चुनी हुई किस्मों की आनुवंशिक संरचना का भी अध्ययन किया और ताजा बीज प्रसुप्ति व पूर्व-कटाई अंकुरण प्रतिरोध से जुड़े 9 उच्च-विश्वसनीयता वाले उम्मीदवार जीन्स की पहचान की, जिनसे बेहतर किस्म तैयार की जा सकती है।

वैज्ञानिकों द्वारा किया गया यह शोध 2 से 3 सप्ताह की बीज डॉर्मन्सी वाली मूंगफली की किस्में विकसित करने की पहल है, जो किसानों को मूंगफली की सुरक्षित कटाई के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि प्रदान करेंगी।