कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 558 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है। वहीं पिछले सीजन में समान अवधि में 556.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 16 दिसंबर 2024 तक के लिए जारी आंकड़ों में जानकारी दी है कि पिछले साल की तुलना में इस साल समान अवधि में गेहूं की बुवाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
अब तक देश में 293.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई का काम पूरा हो चुका है। वहीं 2023-24 में इस अवधि के दौरान 284.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी। वहीं यदि धान की बात करें तो रबी सीजन में अब तक 12.07 लाख हेक्टेयर में अब तक बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 11.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई हुई थी।
हालांकि यदि दालों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो पिछले साल जहां इस अवधि के दौरान 123.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी, वहीं इस साल यह आंकड़ा 123.27 लाख हेक्टेयर ही दर्ज किया गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने इस बात की भी पुष्टि की है कि चने और अन्य दालों की बुवाई में इजाफा देखने को मिला है। वहीं दूसरी तरफ मसूर की 2023-24 में 16.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी वो 2024-25 में अब तक यह 16.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है।
इस बार अब तक 86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चने की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछली सीजन में ये आंकड़ा 84.42 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि मसूर, मटर, कुल्थी, उड़द, मूंग, लतरी की बुवाई के मामले में अभी हम पिछड़े हुए हैं।
38.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है श्रीअन्न की बुवाई
इसी तरह अब तक 38.75 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी है, जबकि तिलहन के मामले में यह आंकड़ा 91.6 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है।
हालांकि यदि 2023-24 में समान अवधि के दौरान 40.45 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी थी, मतलब की इस मामले में अभी हम पिछड़े हुए हैं। वहीं तिलहन की भी पिछले सीजन में अब तक 96.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी थी।
ज्वार से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2024-25 में अब तक 19.75 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जबकि 2023-24 में समान अवधि के दौरान यह आंकड़ा 19.98 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था।
बुवाई के मामले में हम बाजरा, रागी और जौ के मामले में पिछड़े हुए हैं। वहीं मक्के की जो बुवाई 2023-24 में समान अवधि के दौरान 12.04 हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, वो अब तक 12.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
इसी तरह रेपसीड और सरसों की बुवाई जो 2023-24 में इस अवधि के दौरान 90.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी, वो अब तक केवल 85.56 लाख हेक्टेयर में हो सकी है।
हालांकि सूरजमुखी के मामले में इस साल आगे हैं, जबकि मूंगफली, कुसुम, तिल, अलसी और अन्य तिलहन के मामले में अभी पिछड़े हुए हैं।