कृषि

अक्टूबर में हिमाचल में बर्फबारी, सेब बागवानों को भारी नुकसान

हिमाचल प्रदेश में 3000 मीटर से अधिक ऊंचे इलाकों में सेब बागवानों पर दोहरी मार पड़ी है। यहां सेब से लदे पेड़ों का नुकसान हुआ है

Rohit Prashar

 आमतौर पर अक्टूबर माह में बहुत कम बर्फबारी होती है, लेकिन पिछले चार-पांच वर्षाें से मौसम ज्यादा अनियमित हो गया है। इस बार भी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में हुई भारी बर्फबारी से किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया। यह कहना है कि किन्नौर जिले के गांव शलखर के सेब बागवान गौरव कुमार का।

3100 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव की आर्थिकी पूरी तरह सेब बागवानी और बेमौसमी सब्जियों की खेती पर निर्भर है। गौरव कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया कि 17-18 अक्टूबर को हुई बर्फबारी से किसानों की आर्थिकी पर दोहरा असर पड़ा है। दो दिनों तक हुई भारी बर्फबारी से किन्नौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों और लाहौल के बागवानों की न सिर्फ तैयार फसल खराब हुई है, बल्कि इससे सेब के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है।

बर्फबारी के कारण किन्नौर और लाहौल स्पीति के कई इलाकों में सेब के पौधे जड़ों समेत उखड़ गए हैं। 9 अक्टूबर को भी हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले में बर्फबारी दर्ज की गई है।

अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बाद हिमाचल के कुल्लू मनाली, लाहौल स्पीति, किन्नौर और चंबा के उंचाई वाले क्षेत्रों में तीन बार बर्फबारी हो चुकी है। मौसम विभाग के आंकडों के अनुसार 15 से 22 अक्टूबर तक लाहौल स्पीति, कुल्लु, किन्नौर, सिरमौर, षिमला और सोलन में बहुत अधिक बारिश दर्ज की गई है।

18 अक्टूबर को हिमाचल में 16.7 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई थी। वहीं 25 अक्टूबर को लाहौल के मडग्रां में 15.4 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई है। जिसे किन्नौर और लाहौल के लोग सामान्य घटना नहीं मान रहे हैं।

हालांकि मौसम विभाग के निदेशक डॉ सुरेंद्र पाल कहते हैं कि अधिक ऊंचाई वोले क्षेत्रों में बर्फबारी सामान्य घटना है और यह होती रहती है। डॉ सुरेंद्र का कहना है कि आगामी दिनों में लाहौल स्पीति, किन्नौर और चंबा जिले के उंचाई वाले क्षेत्रों में एक बार फिर से बर्फबारी हो सकती है और मैदानी इलाकों में बारिश होने की संभावनाएं हैं।

कृषि विभाग के किन्नौर जिला के उप निदेशक आत्मा बलवीर ठाकुर का कहना है कि किन्नौर के निचले क्षेत्रों में सेब की फसल खत्म हो चुकी है, लेकिन अधिक ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में बागवानों का नुकसान हुआ है।

उन्होंने बताया कि फसल ले चुके किसानों के लिए ये बर्फबारी लाभदायक है और इससे बागवानों का लाभ मिलेगा। इससे बागवानों के चिलिंग आवर पूरे होंगे।

समय से पहले हुई भारी बर्फबारी की वजह से न सिर्फ बागवानी क्षेत्र प्रभावित हुआ है, बल्कि इससे पर्यटन क्षेत्र पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। अचानक हुई बर्फबारी की वजह से प्रदेश के विभिन्न इलाकों में सैकड़ों पर्यटक फंस गए थे। वहीं ट्रैकिंग पर गए 8 लोगों की मौत भी खराब मौसम में फंस जाने की वजह से पिछले 10 दिनों में हो चुकी है। 

एसडीएम काजा महेंद्र प्रताप बताते हैं कि मौसम के अचानक खराब हो जाने की वजह से स्पीति के विभिन्न स्थानों में पर्यटक फंस गए थे। जिन्हें प्रशासन, पुलिस, सेना और स्थानीय लोगों के सहयोग से निकाला गया है।

यह पहला मौका नहीं है, जब अक्टूबर माह में हुई अचानक भारी बर्फबारी के कारण किसान-बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा हो। इससे तीन साल पहले भी लाहौल स्पीति में हुई भारी बर्फबारी की वजह लाहौल और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र के बागवानों की सेब की फसलों और सेब को पौधों को भारी नुकसान पहुंचा था। जिसका खामियाजा बागवान अभी तक कम फसल के रूप में भुगत रहे हैं।

अक्टूबर माह में हुई इस बर्फबारी को पर्यावरणविद् असामान्य घटना मान रहे हैं। पर्यावरणविद् कुलभूषण उपमन्यू जलवायु परिवर्तन का ही रूप बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ की वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। जिसकी वजह से ऐसी असामान्य घटनाएं देखने को मिल रही है।