राजस्थान में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। आने वाले कुछ दिनों में बजट पेश होगा। हालांकि इस बार के बजट में एक बात राजस्थान के इतिहास में पहली बार होने जा रही है।
पहली बार राज्य में कृषि बजट पेश होगा। इसमें खेती-किसानी से संबंधित सभी विभाग मसलन वानिकी, कृषि मार्केटिंग बोर्ड, सीड कॉर्पोरेशन, पशुपालन, मत्स्य पालन और वेयरहाउस जैसे विभाग शामिल होंगे।
अलग से कृषि बजट की घोषणा पिछले साल बजट में की गई थी। इसी महीने के आखिरी हफ्ते में प्रदेश में बजट पेश होने वाला है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि कृषि बजट में राज्य के किसानों की कर्ज माफी को लेकर बड़ी घोषणा हो सकती है। गहलोत सरकार कमर्शियल बैंकों के कर्जदार किसानों के कर्जदार किसानों का कर्जा माफ कर बड़ी राहत दे सकती है।
इसके लिए वित्त विभाग को कर्जदार किसानों की पूरी सूची आयोजना विभाग की ओर से सौंपी जा चुकी है। अनुमान है कि यह कर्जमाफी लगभग 2.5 हजार करोड़ की होगी। अगर कमर्शियल बैंकों के ऋणी किसानों का कर्ज माफ होता है तो इसका लाभ प्रदेश के 2-3 लाख किसानों को मिलेगा।
इससे पहले राज्य सरकार सहकारी बैंकों को कर्जदार किसानों का 14 हजार करोड़ रुपए का कर्जा माफ कर चुकी है। हालांकि इसमें पिछली भाजपा सरकार का 6 हजार करोड़ रुपए भी शामिल था।
कमर्शियल बैंकों के कर्ज में फंसे किसानों की जमीन कुर्की भी बड़ी संख्या में होने लगी थी। बीते दिनों दौसा जिले में एक किसान की जमीन नीलामी ने देशभर में सुर्खियां बटोरी।
इसके बाद राज्य सरकार ने ऋणी किसानों की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। रिपोर्ट से पता चला कि राजस्थान में 1,11, 727 किसानों की जमीन कुर्की की कार्रवाई चल रही थी। करीब 9 हजार किसानों को बैंकों को नोटिस भी जा चुका था।
साफ है कि अगर आने वाले कृषि बजट में ऐसे किसानों का लोन माफ किया जाता है तो लाखों किसान इसके लाभार्थी होंगे।
अलग से कृषि बजट में राजस्थान के किसानों के लिए अलग से क्या कुछ होना चाहिए? इस बारे में डाउन-टू-अर्थ ने कृषि अर्थशास्त्री देविन्द्र शर्मा से बात की।
उन्होंने कहा कि राज्य का अलग से कृषि बजट पेश करना अच्छी पहल है। लेकिन इसे हर साल नियमित तौर पर पेश करना होगा। इससे पहले तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में कृषि बजट लाया गया, लेकिन इसे नियमित नहीं किया गया।
वह कहते हैं कि राजस्थान सरकार को किसानों की आय बढ़ाने और कल्याण के लिए एक बॉडी का गठन करना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों को कम से महीने में 25 हजार रुपए मिलें।
शर्मा कहते हैं कि यह बॉडी 25 हजार रुपए महीने की आय सुनिश्चित करने के लिए ही काम करे और पॉलिसी बनाए। दूसरा, फल और सब्जियों पर राज्य को मिनिमम सपोर्ट प्राइस घोषित करना चाहिए। केरल ने 16 सब्जियों के ऊपर कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन और लाभ घोषित किया है। केरल सरकार लागत और उस पर 20% लाभ किसानों को देती है। अगर राजस्थान सरकार कृषि बजट ला रही है तो उसे भी ऐसा ही कुछ काम करना चाहिए।