अनिल अश्विनी शर्मा/रितेश रंजन
तमिलनाडु के धमर्पुरी सहित छह जिलों में छोटी प्याज की खेती भारी बारिश के कारण खराब हो गई है। हालांकि, अब तक राज्य सरकार की ओर से फसल के खराब होने बाद होने वाला सर्वेक्षण अब तक नहीं शुरू हुआ है। इससे प्याज की फसल के नुकसान होने का सही अनुमान नहीं लगाया जा सका है। वहीं दूसरी ओर किसानों की बातों से इस बात को बल मिलता है कि लगभग अस्सी प्रतिशत छोटी प्याज की फसल बर्बाद हो चुकी है।
इस बार इन जिलों के किसानों ने प्याज का रकबा भी बढ़ा दिया था क्योंकि पिछले साल (2022) राज्य सरकार ने इस बात की घोषणा की थी कि छोटी प्याज की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर बीस हजार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।
साथ ही भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) में भी सब्सिडी देने की घोषणा की थी। यही कारण है कि इस बार किसानों ने प्याज की खेती का रकबा बढ़ा लिया था। लेकिन, अब पिछले तीन महीने से लगातार जारी बारिश के कारण छोटी प्याज खेतों में ही सड़ने लगी है। इसके अलावा जितनी फसल ठीक है, उसमें भी बहुत अधिक नमी आ गई है। ऐसे में उसके भी खराब होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई है।
इसका असर सीधे खुदरा बाजार पर पड़ा है। खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। वर्तमान में इन जिलों में प्याज की कीमत सौ रुपए किलो पार कर गई है। अकेले धर्मपुरी जिले की बात करें तो यहां मुख्य रूप से जिले के सोगाथुर, अधागपदी, इंदूर, कृष्णापुरम, पप्पारापट्टी और नल्लमपल्ली क्षेत्रों में प्याज की खेती की जाती है। इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण छोटी प्याज की खेती पूरी तरह से खराब हो गई है।
साथ ही नमी के कारण अब तक संग्रहित की गई प्याज भी खराब हो रही है। इससे बाजार में प्याज की आवक कम हो गई है। यही कारण है कि यहां प्याज अधिक मात्रा में पैदा होने के बावजूद खुदरा बाजार में सौ रुपए से अधिक में बिक रही है।
इस संबंध में जिले के किसान एस राघवन ने बताया कि यहां नवंबर की शुरुआत से ही जिले में भारी बारिश होने के कारण खेतों में पानी भर गया था। इससे छोटी प्याज सड़ने लगी है। किसानों का कहना है कि भारी बारिश के कारण छोटे पौधों को बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। प्याज भी छोटे पौधों की श्रेणी में ही आता है।
इस संबंध में जिले के कृषि विपणन विभाग का कहना है कि भारी बारिश धीरे-धीरे थमती जा रही है। जहां तक कीमतों में उछाल की बात है तो इसमें धीरे-धीरे सुधार अवश्य होगा। विभाग ने यह माना है कि वर्तमान में छोटी प्याज 66 से 100 रुपए किलो तक में बेची जा रही है। पिछले एक वर्ष से राज्य के आधा दर्जन से अधिक जिलों में प्याज की खेती के लिए बड़ी संख्या में किसान आगे आए हैं।
इसका प्रमुख कारण है कि राज्य सरकार के बागवानी विभाग ने प्याज की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपए की सब्सिडी दी है। इसके अलावा एक मीट्रिक टन प्याज के भंडारण की सुविधाओं के लिए भी सब्सिडी के रूप में 3,500 रुपए प्रदान किए जा रहे हैं।
हालांकि सेंथमंगीलम गांव के किसान आर सेल्वन ने कहा कि अधिक अच्छा होता है राज्य सरकार सब्सिडी प्रदान करने के बजाय न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करे। ध्यान रहे कि प्याज की उत्पादन लागत बहुत अधिक होती है, वहीं मुनाफा बहुत कम है।
अरियागाउंडमपट्टी गांव के एक किसान एच कृष्णन का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकारें क्षेत्र के कवरेज के आधार पर सब्सिडी देती हैं। इसके बजाय अगर उत्पादन के आधार पर सब्सिडी दी जा सकती है, तो यह किसानों के लिए अधिक फायदेमंद साबित होगी।
तमिलनाडु के अन्य जिले जैसे पेरंबदूर, त्रिची और तिर्वालूर के वेल्लोर, चतिरमनी, वामनापाडी, मनगुन, अन्नापालयम, कालारमपटटी, चेट्टिकुलम, ईरुर, आलाथुरगेट, पडलुर, श्रीदेवी मंगलम आदि कुछ ऐसे गांव हैं जहां बारिश के कारण छोटी प्याज की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
पेरंबदूर जिले के अनूकुर गांव के किसान कादिल बेग का कहना है कि वह अपने 3 एकड़ की जमीन में छोटी प्याज लगाई थी लेकिन नवंबर माह में भारी बारिश के कारण उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। अब यहां छोटे प्याज की बीज भी उपलब्ध नहीं है और जो उपलब्ध हैं, वह 90 से 100 रुपए प्रति किलो है।
इतना महंगा हम कैसे खरीद सकते हैं। इसी प्रकार त्रिची जिले के पालपट्टी गांव के किसान एन राजेंद्रन जो 10 एकड़ की जमीन में छोटे प्याज लगाई थी, वह भी खराब हो गई। वह कहते हैं कि अब वह दूसरी फसल बोने को मजबूर हैं। इसका कारण वह बताते हैं कि बीते दिनों हुई बारिश के कारण जमीन काफी गीली है और यह यहां प्याज की बुवाई नहीं कर सकते हैं।
वह बताते हैं कि प्याज की फसल खराब होने से आज की तारीख में बाजार में 70 से 90 प्रति केजी प्याज बिक रही है।
वहीं तिर्वालूर जिले के मन्नारगुडी गांव के किसान सुब्रमण्यम बताते हैं कि वह 1 एकड़ की जमीन में छोटे प्याज की खेती करते हैं लेकिन पिछले साल भी और अब इस साल भी भारी बारिश के कारण वह प्याज की फसल नहीं बो रहे हैं। वह बताते हैं कि प्याज की फसल बोने के बाद जमीन ज्यादा गीली या सूखी होने की वजह से फसल बर्बाद हो जाती है।
वह कहते हैं कि गत 9 दिसंबर 2022 में प्याज बोने का सोचा था लेकिन भारी बारिश के कारण उन्होंने अपनी योजना स्थगित कर दी। मार्च में फिर से प्याज बोने की योजना है लेकिन अगर गर्मी ज्यादा पड़ती है और जमीन में पानी नहीं रहता है तो तब भी फसल के प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है।
वह कहते हैं कि अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि जब पानी चाहिए तो बारिश नहीं होती है और जब नहीं चाहिए तो बारिश हो जाती है। यह सब कितना बदल गया है हमारी समझ से यह सब परे की बात है।