उत्तर प्रदेश से रणविजय सिंह, मध्यप्रदेश से राकेश कुमार मालवीय, छत्तीसगढ़ से शिरीष खरे और हरियाणा से शाहनवाज आलम की रिपोर्ट
पीएम किसान सम्मान योजना के तहत 11.40 करोड़ किसान पंजीकृत हैं, लेकिन 7वीं किस्त नौ करोड़ किसानों को देने की बात कही जा रही है। डाउन टू अर्थ ने उन किसानों से बात की, जिन्हें पैसा नहीं मिल रहा है। पीएम किसान की वेबसाइट के मुताबिक अगस्त-नवंबर 2020-21 तिमाही की किस्त 10,07,30,803 किसानों को भेजी गई है, जबकि इससे पहले की तिमाही में यह संख्या अधिक थी। अप्रैल-जुलाई 2020-21 में 10,46,07,572 किसानों को 2,000 रुपए की राशि भेजी गई थी।
हालांकि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कहा था कि लगभग 14.5 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान की राशि दी जा सकती है, लेकिन अब तक 11.40 करोड़ किसानों का ही पंजीकरण किया गया है। किसानों को यह राशि क्यों नहीं मिल रही है? डाउन टू अर्थ ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों से बात की-
उत्तर प्रदेश
"सरकार किसानन के दुई हजार रुपया देत हय, लेकिन हमका एकव नाई मिला," किसान सम्मान निधि को लेकर यह बात यूपी के सीतापुर जिले के बरोए गांव के रहने वाले किसान संजय कुमार (36) कहते हैं।संजय ने बताया कि किसान सम्मान निधि के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के बाद वह कई बार ब्लॉक पर गए हैं। हर बार उनसे कहा गया कि अब से 2 हजार रुपए आना शुरू हो जाएगा, लेकिन अभी तक एक किश्त भी नहीं आई है। संजय को उम्मीद है कि 25 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री देश के 9 करोड़ किसानों के खाते में 2 हजार रुपए की सातवीं किश्त भेजेंगे तो उनके खाते में भी पैसा आ जाएगा। हालांकि फिलहाल यह मूमकिन नहीं लगता, क्योंकि जिन किसानों की पिछली किश्तें बकाया हैं उनकी सातवीं किश्त 25 दिसंबर को नहीं आएगी।
यूपी में ऐसे किसानों की संख्या करीब 28 लाख है। इन 28 लाख किसानों में किसी को एक भी किश्त नहीं मिली, किसी को एक-दो किश्तें मिली हैं तो किसी का पैसा गलत बैंक खाते में जा रहा है। इन किसानों से बात करने पर पता चला कि यह छोटी मोटी गड़बड़ियां है जो जानकारी दर्ज करते वक्त हुई हैं। जैसे - किसी का आधार नंबर गलत हो गया तो किसी का खाता संख्या ही गलत चढ़ चुका है। अब इसे ठीक कराने के लिए यह ब्लॉक और लेखपाल के चक्कर काट रहे हैं।
इन गड़बड़ियों पर यूपी के प्रमुख सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने 'डाउन टू अर्थ' से बताया कि "हमें ऐसी गड़बड़ियों की जानकारी है। शिकायत मिलने पर इसे सही किया जाता है। किसान सम्मान निधि के तहत प्रदेश में 2 करोड़ 41 लाख किसानों का पंजीकरण हुआ है। इतने किसानों को किश्तें मिलनी चाहिए। इसमें से लगभग 14 लाख किसानों की किश्तें इसलिए नहीं मिल पा रही कि इनका आधार नंबर गलत चढ़ गया है या फिर इनका नाम गलत है। यह संख्या पहले बहुत थी जिसे हम कम करके 14 लाख पर लाए हैं।
देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि 25 दिसंबर को यूपी के 2 करोड़ 13 लाख किसानों को सातवीं किश्त मिलेगी। इसके अलावा प्रदेश के 14 लाख किसान ऐसे हैं जिनकी पिछली किश्तें बकाया हैं, जब उनको पिछली किश्तें मिल जाएंगी तब सातवीं किश्त उनको भेजी जाएगी। 14 लाख वह किसान जिनके खातों में गड़गड़ियां हैं और अन्य 14 लाख वह किसान जिनकी पिछली किश्तें बकाया है।
सीतापुर जिले के बरोसा गांव के अजीत प्रताप सिंह (32) भी उन 28 लाख किसानों में शामिल हैं जिनके खाते में गड़बड़ी देखने को मिल रही है। अजीत के खाते में शुरुआत की तीन किश्तें तो आईं हैं लेकिन चौथी और पांचवी किश्त किसी दूसरे के खाते में चली गई। अजीत कहते हैं, "मैंने कई बार शिकायत की। हरगांव ब्लॉक पर लेखपाल से भी मिलकर आया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। मेरे नाम से आया पैसा किसी दूसरे के खाते में जा रहा है और मैं कुछ नहीं कर सकता।"
इसी तरह बागपत जिले के शाहपुर बड़ौली गांव के किसान राम कुमार (41) ने अक्टूबर 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। राम कुमार बताते हैं, “रजिस्ट्रेशन कराए हुए साल भर से ज्यादा हो गया। अभी तक एक भी किश्त नहीं आई है। पहले मैंने खूब भाग दौड़ की। कई महीने तक ब्लॉक के चक्कर काटे, अब छोड़ दिया है।”
डाउन टू अर्थ ने इसी साल अप्रैल के महीने में यूपी में पीएम किसान सम्मान निधि की गड़बड़ियों पर एक खबर की थी। उस खबर में सीतापुर जिले के बरोए गांव के रहने वाले 71 साल के ललऊ की कहानी थी। ललऊ ने तब बताया था कि पीएम किसान सम्मान निधि पाने के लिए खूब भाग दौल की, लेकिन उनका पैसा नहीं आया। अब करीब 6 महीने बीतने के बाद भी ललऊ के खाते में एक भी किश्त नहीं पहुंची है, जबकि उनका रजिस्ट्रेशन पिछले साल हो चुका था।
मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के शिवदत्त पाठक ने एक साल किसान सम्मान निधि के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी कर पंजीयन करा लिया था। उनका पंजीयन सफल भी हो गया। पर अभी तक उन्हें इस सम्मान निधि की राशि नहीं मिल पाई है। होशंगाबाद जिले के रोहना गांव के किसान राजेश सामले भी अपने पिताजी मृत्यु के बाद एक साल पहले इस योजना में पंजीयन करवा चुके हैं। पर उन्हें भी अब सम्मान राशि नहीं मिल पाई है।
दमोह जिले की हटा तहसील के बरखेड़ा चैन निवासी ओमप्रकाश पटेल की तीन किश्तों के बाद राशि नहीं आई है। ओमप्रकाश ने यह सोचा कि लॉकडाउन और महामारी की वजह से सरकार ने इस योजना का पैसा अभी खाते में नहीं डाला है, इसलिए उन्होंने इसके बारे में पता भी नहीं किया है।
रीवा जिले के किसान राजमन यादव चौकिया डभौरा बस्ती में रहते हैं। उन्होंने भी इस योजना में पंजीयन करवाया था और सभी दस्तावेज जमा किए थे। इसके बावजूद उन्हें एक भी किस्त नहीं मिल सकी है। इस बारे में जब पटवारी से पूछा तो वह भी कोई जवाब नहीं दे पा रहा है।
नरोत्तम लाल पटेल हटा दमोह जिले के किसान हैं। उन्होंने भी आनलाइन आवेदन किया था। उन्हें इस योजना की एक भी किस्त नहीं मिली थी। उनके बेटे छत्रसाल ने जब पोर्टल पर चेक किया तो पता चला कि खाता संख्या में एक अंक ज्यादा दर्ज था, जबकि इसके पंजीयन के वक्त पासबुक की फोटो कॉपी भी लगाई थी। इसके बाद खाता संख्या को अपडेट करवा गया। इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद एक दिन छोड़कर तीन किस्तें उनके खाते में जमा हो पाईं।
होशंगाबाद जिले के एक गांव में कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक प्रकाश ने बताया कि इस साल जो लोग भी अपना पंजीयन करवा रहे हैं उनके पंजीयन अप्रूव नहीं हो रहे हैं। पंजीयन के लिए लाइन तो ओपन है, लेकिन जब तक अप्रूवल नहीं मिलेगा, तब तक इस योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल सकेगा।
पन्ना जिले के इंद्रसिंह पटी कल्याणपुर गांव के युवा हैं। एक संस्था के साथ जुड़कर वह अपने गांव में लोगों को मनरेगा, पीएम किसान और अन्य योजनाओं का लाभ दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं। इंद्र ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या थी कि लोगों को इसके बारे में पर्याप्त जानकारी ही नहीं थी, लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, और उन्हें उसका उपयोग करना भी नहीं आता।
उन्होंने पिछले आठ महीने में सौ से ज्यादा किसानों के आवेदन करवाए हैं, जिससे लोगों को लाभ मिलना शुरु भी हुआ है। जिन लोगों को पंजीयन के बावजूद लाभ नहीं मिलता उनमें सबसे ज्यादा मुश्किल आधार कार्ड, बैंक खातों की गलत एंट्री से संबंधित है। लेकिन हर पंचायत में इंद्र जैसे नौजवान नहीं हैं, जो अपने दूसरे कामों के साथ लोगों को इस तरह भी मदद कर सकें।
छत्तीसगढ़
आरती दानी छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के सिलतारा गांव की एक महिला किसान हैं। वे अपनी सवा एकड़ की जमीन पर पति के साथ मिलकर मक्का की खेती करती हैं। अपने चार सदस्यों वाले इस छोटे से परिवार की आजीविका का मुख्य जरिया खेती ही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में पंजीयन कराने के बाद इसी साल मई में उनके बैंक खाते में पहली किस्त के तौर पर 2,000 रुपए की राशि जमा हुई। लेकिन, उसके बाद अगली किस्त के तौर पर अगस्त में मिलने वाली 2,000 रुपए की राशि उनके खाते में नहीं पहुंची। अब उन्हें दिसंबर में मिलने वाली 2,000 रुपए की किस्त का इंतजार है।
आरती दानी बताती हैं, "एक बार जब मेरा पंजीयन हो चुका है और एक लाभार्थी के रुप में जब मैं इसके पात्र हूं, यहां तक की मुझे मेरी पहली किस्त का पैसा भी दिया जा चुका है तो समझ नहीं आता कि अगली किस्त क्यों रोक दी गई।" आरती ने इस बारे में जानने की कोशिश भी की। लेकिन, उन्हें अपने सवाल का जवाब नहीं मिला। असल में उन्हें नहीं पता कि उनके सवाल का जवाब देने वाली एजेंसी कौन-सी है।
आमतौर पर एक सामान्य किसान यह जानने के लिए हद से हद पटवारी और तहसीलदार तक ही जा सकता है। लेकिन, आरती की तरह कई किसानों को पटवारी और तहसीलदार से भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। वहीं, आरती की तरह बतौर लाभार्थी कई किसानों के नाम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के पोर्टल में तो दर्ज दिखाए दे रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत है कि उन्हें इस योजना का पैसा मिलना बंद हो गया है।
छत्तीसगढ़ के किसान नेता राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि इस राज्य में पांच एकड़ से कम रकबा वाले करीब 32 लाख किसान हैं। किंतु, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत करीब 24 लाख किसानों का पंजीयन हुआ। हर किस्त के बाद केंद्र सरकार द्वारा जो सूची अपडेट होनी चाहिए, शायद वह सूची अपडेट नहीं हो रही है।
जांजगीर जिले के तीन लाख 29 हजार किसानों का पंजीयन किया गया था। यहां पहली किस्त दो लाख 40 हजार किसानों के खाते में आई। फिर दूसरी किस्त एक लाख 83 हजार किसानों को ही मिली। उसके बाद तीसरी किस्त 75 हजार किसानों को ही दी गई। अंत में चौथी किस्त 35 हजार किसानों तक ही आई। दुर्ग जिले में कुंडा गांव के बुजुर्ग किसान आई के वर्मा को भी पिछली दो किस्तों का पैसा नहीं मिला है।
हरियाणा
कैथल जिले के पुंडली तहसील के गांव फरल के किसान गुणी प्रकाश ठाकुर के पास तीन एकड़ जमीन है। 64 वर्षीय किसान गुणी प्रकाश को पीएम किसान सम्मान की एक भी किस्त नहीं मिली। गुणी प्रकाश का कहना है कि जमाबंदी के वक्त मेरा नाम गुण प्रकाश कर दिया गया, जबकि मेरे आधार, राशन कार्ड और बैंक अकाउंट में नाम गुणी प्रकाश है। नाम के अंतर को लेकर शपथ पत्र भी दिया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। जमाबंदी सही करवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र और पुरानी खतियान मांगी जा रही है। आधार, राशन कार्ड और बैंक में नाम बदलवाना भी संभव नहीं है। अब हार कर मैंने उम्मीद ही छोड़ दी।
इसी तरह फरल गांव के ही कलेक्टर सिंह का कहना है कि उनके पिता के नाम दली राम की स्पेलिंग गलती होने की वजह से अब तक उन्हें सम्मान निधि नहीं मिला है। सुखबीर सिंह के जमा बंदी में पिता का नाम हिन्दी में ज्ञान सिंह की जगह 'गयान' लिखा है। कृषि विभाग कहता है कि गयान और ज्ञान एक ही नहीं है। यह कहकर आवेदन रद्द कर दिया। दो बार आवेदन रद्द होने के बाद अब तक आवेदन नहीं किया है। इस गांव के किसानों का दावा है कि एक साल तक आवेदन लंबित होने के बाद उन्हें अब रद्द किया जा रहा है। करीब 200 किसानों के आवेदन रद्द किए जा चुके है।
वहीं, तीन एकड़ जमीन के मालिक गुरुग्राम (गुड़गांव) के पातली गांव के किसान अशोक कुमार कहते है, उन्होंने बीते वर्ष सितंबर में इस योजना के तहत रजिस्टर्ड कराया था। पहली बार इस साल उन्हें 18 अप्रैल को 2000 रुपये मिला है। अभी तक उन्हें अगस्त से नवंबर के बीच मिलने वाली किस्त भी नहीं मिली है।
पहली किस्त के वक्त पूरे प्रदेश में 19,23,238 किसान पंजीकृत थे और 18,69,950 किसानों को लाभ मिला था, वहीं छठीं किस्त के वक्त 14,64,657 पंजीकृत किसान थे और 1168389 किसानों को लाभ मिला, जबकि सातवीं किस्त के लिए हरियाणा सरकार ने 12,53,982 किसानों को चिह्नित किया है। जिसे सम्मान निधि मिलेगा।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, इस योजना का लाभ लेने के लिए जिन किसानों ने सीएससी सेंटरों पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाया था, उन किसानों की जमीन की तस्दीक नहीं हो पाई। कई किसानों के जमाबंदी, अकाउंट या आधार कार्ड में गलती होने की वजह से भी सम्मान निधि नहीं मिल पा रही है। बता दें कि सातवीं किस्त के लिए कृषि विभाग द्वारा जमीन की तस्दीक के लिए एक फॉर्म जारी किया गया है। इसे किसानों को भरकर खंड कृषि कार्यालय में जमा कराने के बाद फॉर्म को गांव का नंबरदार व हलका पटवारी तस्दीक कराना होगा। इसमें साफ लिखा है कि उन किसानों को ही योजना का लाभ दिया जाएगा जो एक फरवरी 2019 से पहले जमीन पर मालिकाना हक रखते हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि के नोडल अधिकारी सुनील का कहना है कि इस योजना में पहले कई अपात्र लोग शामिल हो गए थे। पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ ले रहे लाभार्थियों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। जो अपात्र लोग इस योजना का लाभ ले रहे थे, उनका लिस्ट से नाम हटा दिया गया है। पैसे सीधे लाभार्थी के अकाउंट में जाता है इसलिए सभी जानकारी देनी अनिवार्य है।