कृषि

अहिंसा के रास्ते जारी रहेगा शांतिपूर्ण प्रदर्शन, 30 जनवरी को कृषि कानून के खिलाफ उपवास

संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन से दो गुट अलग हो गए हैं। वहीं, किसानों ने कहा है कि अंहिसात्मक तरीके से कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहेगा।

Vivek Mishra

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वे तीन कृषि कानूनों को खत्म करने व एमएसपी बहाल करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं, अब आगे की रणनीति के तहत कृषि कानूनों के खिलाफ महात्मा गांधी की शहादत दिवस, 30 जनवरी, 2021 को एक दिन का उपवास भी रखा जाएगा। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 जनवरी, 2021 को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन किसान ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा और उथल-पुथल के लिए सरकार और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) व अन्य असमाजिक तत्व जिम्मेदार हैं। सब इनकी मिलीभगत और षडयंत्र के कारण हुआ।   

मोर्चा की तरफ से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया कि पुलिस ने जानबूझकर पहले से तयशुदा रूट पर बैरिकेड्स लगाए थे। साथ ही रिंग रोड की तरफ जाने की अनुमति भी दी थी, अन्यथा रैली बहुत ही शांतिपूर्ण हो रही थी।  

वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि केएमएससी ने पांच दिन पहले ही लाल किले की तरफ मार्च निकालने का ऐलान किया था। आखिर पुलिस ने उन्हें क्यों नहीं रोका। हर किसी ने दीप सिद्धू की फोटो को देखा जिसमें वह नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ हैं। वह एजेंट है।

यही लोग सरकार और पुलिस की शय पर काम कर रहे थे। सरकार ने खुद ही लोगों को लाल किले भेजा था। यह कैसे संभव है कि लाल किले पुलिस थाने पर कोई पुलिस अधिकारी नहीं था, वह भी गणतंत्र दिवस के दिन महज चार घंटों के लिए।  लाल किले में प्रदर्शनकारी इस तरह शामिल हुए और कुछ को रास्ता भी दिखाया गया। 

हालांकि, एसकेएम के नेताओं ने 26 जनवरी, 2021 को जो कुछ हुआ उसके लिए अपनी जिम्मेदारी भी ली है। इसके अलावा एक फरवरी को संसद घेराव के निर्णय को भी वापस ले लिया गया है। 

स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान मोर्चा की तरफ से मैं देश से माफी मांगता हूं। हम दीप सिद्धू, केएमएससी और अन्य के जरिए उठाए गए कदमों की निंदा करते हैं। जैसे ही हिंसा हुई हमने सभी से वापसी के लिए भी कहा।

केएमएससी को दिल्ली पुलिस के जरिए स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जा रहा था। यह सरकार के जरिए प्रायोजित था। लाल किले का इलाका न सिर्फ पुलिस वालों से बल्कि अन्य तरीके की पुलिस भी वहां मौजूद होती है। यह कैसे संभव हो सकता है कि प्रदर्शनकारी लाल किले में दाखिल हो जाएं।  

भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के साथ बैठक के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शन का इशारा किया था लेकिन उस वक्त हम षडयंत्र का इशारा समझ नहीं सके थे। 

वहीं, दिल्ली पुलिस ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि किसान नेता खुद हिंसा में शामिल थे और दंगों में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। वहीं किसान नेताओं ने कहा कि सरकार उनके आंदोलनो को तोड़ने की कोशिश कर रही है। वह जेल जाने को तैयार हैं। 

फिलहाल आंदोलन से दो किसान यूनियन राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) अलग हो गए हैं।