कृषि

हरियाणा में नहीं शुरू हुई धान की खरीद, बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करने पर भी उठे सवाल

Raju Sajwan

हरियाणा में धान की खरीद अभी शुरू नहीं हो पाई है। वहीं, बाजरे को भावांतर योजना से जोड़ने के फैसले पर भी सवाल उठने लगे हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 5 अक्टूबर 2021 को ट्वीट किया कि हरियाणा में 3 अक्टूबर से धान की खरीद शुरू हो चुकी है और अब तक लगभग 3.60 लाख टन धान की खरीद के लिए राज्य के ई-खरीद पोर्टल पर पास जारी किए गए हैं।  

लेकिन 6 अक्टूबर 2021 को डाउन टू अर्थ ने बल्लभगढ़, होडल, भिवानी के कुछ किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि मंडियों में धान पहुंच चुका है, लेकिन अभी खरीददारी शुरू नहीं हुई है। बल्लभगढ़ के किसान सुभाष चंद्र ने कहा, "हमें बताया जा रहा है कि राइस मिलर्स से हरियाणा वेयर हाउस का समझौता न होने के कारण अभी धान की खरीद शुरू नहीं की जा रही है।

उधर, भिवानी के गुणी प्रकाश ठाकुर ने बताया कि कल यानी 5 अक्टूबर को धान की खरीद शुरू करने की मांग को लेकर इलाके के विधायक को ज्ञापन दिया गया था, उस समय आश्वासन मिला था कि 6 अक्टूबर को खरीद शुरू हो जाएगी, लेकिन आज मंडियों में कोई एजेंसी ही नहीं आई।  

गौरतलब है कि हरियाणा में एक अक्टूबर से खरीफ सीजन की खरीद शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार जब एक अक्टूबर को खरीददारी शुरू नहीं हुई तो किसानों ने हंगामा किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट़्टर ने केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे से मुलाकात के बाद दावा किया कि हरियाणा में धान की खरीद शुरू हो जाएगी।

हालांकि यह तर्क दिया जा रहा है कि मानसून की वजह से इस बार फसल की बुआई में देरी हुई है, इस वजह से खरीद भी देरी से शुरू होगी।

हरियाणा में किसान अगेती फसल के तौर पर 15 जून से धान की बुआई शुरू कर देते हैं और यहां सिंचाई का इंतजाम होने का कारण किसानों ने बुआई में देरी नहीं की, जिस कारण हरियाणा में कई जिलों में धान की कटाई शुरू हो चुकी है।

उधर हरियाणा सरकार ने निर्णय लिया है कि बाजरे को भावांतर योजना से जोड़ा जाएगा और किसानों को बाजरे की औसत उपज पर 600 रुपए प्रति क्विंटल भावांतर का भुगतान किया जाएगा। हालांकि सरकार का कहना है कि 'मेरी फसल, मेरा ब्यौरा' पोर्टल में दर्ज कराई गई कुल बाजरे की फसल का 25 प्रतिशत हिस्से की खरीद सरकारी एजेंसी द्वारा की जा रही है।

हरियाणा सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि सरकार बाजरे पर दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से पीछा छुड़ाना चाहती है।

किसानों का कहना है कि पिछले साल तक हरियाणा सरकार एक एकड़ पर आठ क्विंटल बाजरा एमएसपी पर खरीद रही थी, लेकिन इस बार अचानक सरकार ने यह निर्णय लिया है।

किसान संगठन जय किसान आंदोलन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेजे एक पत्र में कहा है कि सरकार के इस फैसले से हरियाणा के किसानों को 289 करोड़ रुपए से 637 करोड़ रुपए का नुकसान होने वाला है।

पत्र में संगठन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा है कि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर हरियाणा में बाजरे की फसल के लिए 2.71 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है।

इनमें से लगभग 76 हजार (कुल बाजरा उत्पादक किसानों का 22 फीसदी) किसान ऐसे हैं, जिनकी पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी में तो बाजरा फसल दर्ज है, लेकिन वे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए।

रजिस्टर किए गए कुल बाजरा भूमि का क्षेत्रफल 11.30 लाख एकड़ है और अगर अनरजिस्टर्ड 76 हजार किसानों की भूमि जोड़ ली जाए तो इस बार हरियाणा में 14,46,900 एकड़ में बाजरे की फसल का अनुमान है। हालांकि इनके अलावा भी कई ऐसे किसान हैं, जो अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं।

पत्र में मांग की गई है कि ऐसे किसानों को जो रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए हैं, उन्हें रजिस्ट्रेशन का और समय दिया जाए।

जय किसान आंदोलन ने कहा है कि बाजरे की एमएसपी 2250 रुपए प्रति क्विंटल है। और अगर बाजार में बाजरे का भाव 1550 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है और राज्य सरकार 600 रुपए भावांतर योजना के तहत देती है, तब किसान को एमएसपी के बराबर दाम मिलेंगे। 

जय किसान आंदोलन के सदस्यों ने रेवाड़ी मंडी, कनीना मंडी, लोहारू मंडी, तोशाम मंडी, भिवानी मंडी और हांसी मंडी में बाजरे के भाव की जानकारी हासिल तो बताया गया कि अभी इन मुख्य मंडियों में बाजरे का भाव 1100 रुपए से लेकर 1400 रुपए प्रति क्विंवटल है। ऐसे में यदि सरकार की ओर से मिलने वाली भावांतर राशि 600 रुपए जोड़ दी जाए तो 1700 से लेकर 2000 रुपए प्रति क्विंटल होती है।

संगठन ने आरोप लगाया है कि बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करके हरियाणा सरकार ने सीधे-सीधे एमएसपी में 250 रुपए से लेकर 550 रुपए की कटौती कर दी है, जिससे किसानों को 289 करोड़ रुपए से लेकर 637 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

संगठन ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में बाजरे का बाजार भाव गिरेगा, जिससे किसानों को होने वाला नुकसान और बढ़ जाएगा। इसलिए सरकार को भावांतर योजना के तहत कम से कम 1000 रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा करनी चाहिए।

इनपुट- शाहनवाज आलम