केंद्र सरकार के हालिया तीन कृषि बिल और बिजली बिल, 2020 के खिलाफ चल रहे विरोध आंदोलनों को नवंबर महीने में अलग-अलग तारीखों पर विरोध किए जाएंगे। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ( (एआईकेएससीसी) ने मंगलवार को कहा है कि इस आंदोलन को पंजाब-हरियाणा तक समेटने की बात कही जा रही है जबकि नए तीन कृषि बिलों के खिलाफ देशभर के किसान मुट्ठी बंद हैं। केंद्र सरकार किसानों की बात को अनुसना कर रही है। हम सरकार से बिल वापसी की मांग लगातार कर रहे हैं और यह जारी रहेगा।
एआईकेएससीसी ने सोमवार को गुरुद्वारा रकाबगंज में प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मीडिया को को बताया कि 5 नवंबर, 2020 को देशभर में सड़कों पर किसान उतरेंगे और सड़कों को जाम किया जाएगा। इसके अलावा 26-27 नवंबर को देशभर के अलग-अलग राज्यों से आने वाले किसानों दिल्ली में जुटेंगे। इसके लिए "दिल्ली चलो" का नारा दिया गया है। बैठक की वर्किंग कमेटी में शामिल वीएम सिंह ने कहा कि इस विरोध के लिए राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर बहुत व्यापक जन गोलबंदियां की जाएंगी तथा इन मांगों पर आंदोलन विकसित किया जाएगा। इस अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति में सरदार बल्बीर सिंह राजेवाल और गुरनाम , राजू शैट्टी, योगेन्द्र यादव शामिल हैं।
वहीं, बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा पंजाब में सवारी गड़ियों के न चलने की स्थिति में माल गाड़ियों के संचालन को रोकने की कड़ी निन्दा की गई। दरअसल केंद्र ने रविवार को पंजाब जाने वाली माल वाहक ट्रेनों का संचालन रद्द कर दिया था, जिसे सोमवार को चार और दिन के लिए टाल दिया गया। एआईकेएससीसी ने कहा कि यह जनता के विरुद्ध ब्लेकमेलिंग का तरीका है और किसी जनवादी सरकार के लिए शर्मनाक काम है। दरअ
14 अक्तूबर को किसान संगठन प्रतिनिधियों ने कानूनों को लेकर सरकार के साथ होने वाली बैठक का बहिष्कार कर दिया था। इस बैठक में कृषि सचिव संजय अग्रवाल मौजूद थे जबकि कृषि संगठनों का कहना था कि बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को होना चाहिए था।