फाइल फोटो: प्रिय रंजन साहू 
कृषि

ओडिशा सरकार का फैसला: महिला किसानों को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगें कृषि उपकरण

ओडिशा सरकार ने यह नीति बनाने के लिए राज्य के पांच जिले सूदरगढ़, क्योंझर, कोरापुट, नुआपड़ा व गजापती में अध्ययन किया

Vibha Varshney

  • ओडिशा सरकार ने महिला किसानों के लिए विशेष कृषि उपकरण बनाने का निर्णय लिया है

  • जो उनके शारीरिक आकार और क्षमता के अनुसार होंगे।

  • यह कदम महिलाओं की कृषि में बढ़ती भागीदारी और उनके स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

  • इस पहल से महिला किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि की उम्मीद है।

ओडिशा सरकार ने महिला किसानों के पक्ष में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फैसला लिया है कि राज्य सरकार जिन योजनाओ के तहत कृषि उपकरण वितरित करती है, उन सभी उपकरणों को महिलाओ के द्वारा की जाने वाली शस्य क्रियाओं (बुआई से पूर्व व कटाई के बाद तक उपयोग में आने वाले कृषि उपकरण) को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा।

इसके लिए सरकार ने मानक संचालित प्रक्रिया (एसओपी) निधारित की है जिसे 4 नवंबर 2025 को विशेषज्ञों द्वारा जमीनी अध्ययन के बाद निधारित किया है। इसमें महिलाओं के शारीरिक आकार व क्षमता के अनुसार कृषि उपकरणों का निर्माण किया जाएगा।

ओडिशा सरकार ने यह नीति बनाने के लिए सरकारी योजना श्री अन्न योजना जिसे पूर्व में ओडिशा मिलेटेस के नाम से जाना जाता था, के तहत राज्य के पांच जिले सूदरगढ़, क्योंझर, कोरापुट, नुआपड़ा व गजापती में अध्ययन किया है।

 पुरुषों के शारीरिक आकार को ध्यान में रखते हुए बनाए गए कृषि उपकरणों का जब महिलाए उपयोग करती है तो उन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अनुसार, 56.07 प्रतिशत महिला किसान भार उठाने के कारण पीठ दर्द से पीड़ित हैं, 59.04 प्रतिशत को कंधे का दर्द, 69.04 प्रतिशत को पैरों में दर्द,  51.03 प्रतिशत को सिरदर्द, 50.08 प्रतिशत गर्मी का तनाव और 53.05 प्रतिशत महिलाए खेतों में काम करने के कारण पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) की समस्या से पीड़ित हैं।

कुल मिलाकर 50 प्रतिशत से अधिक महिला किसानों को पूरे शरीर में गंभीर हड्डी-पेशी संबंधी बीमारी हैं। तकनीकी के इस दौर में हर क्षेत्र मे नवाचार हो रहा है। कृषि क्षेत्र में भी तकनीकी के सहारे कृषि की पुरानी पद्धतीया व उपकरण बदल रहे है। कृषि कार्यों में महिलाओ की संख्या अधिक होने के बाद भी उनकी सहूलियत के अनुसार कृषि उपकरणों का निर्माण नहीं हो रहा है।

भारत देश के आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, कृषि क्षेत्र में महिला किसानों की संख्या 2017-18 में 57 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 64.4 प्रतिशत हो गई है। व विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार, विश्व की 900 मिलियन महिलाए कृषि से जुड़ी हुई है।

राज्य के पांच जिलों में महिला किसानों के साथ बाजरे की फसल में उपयोग किए जाने वाले कृषि मशीनरी व उपकरणों पर, स्थानीय निर्माताओ के साथ बड़े स्तर पर उत्पादन और वितरण के लिए प्रोटोटाइप मशीनें विकसित व परीक्षण की गई। परीक्षण में निराई यंत्र से लेकर स्प्रेयर व थ्रेसर शामिल थे।

एसओपी व 'अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना ऑन एर्गोनॉमिक्स एंड सेफ्टी' के तहत किए गए शोध के अनुभवों को एकीकृत करके, ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आईसीएआर, परीक्षण संस्थानों और सामाजिक वैज्ञानिकों के विचार विमर्श से अंतिम उपकरण विकसित किए गए।

ओडिशा सरकार मौजूदा डिजाइन और विकसित किए जा रहे डिजाइनों का महिला किसानों पर परीक्षण करने के लिए योजना बना रही हैं। एसओपी उनका पहला कदम है। इसके लिए ओडिशा सरकार ने आगे के परीक्षणों के लिए कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग में नोडल एजेंसी तैयार कर रही है।

अगर कृषि उपकरण व मशीन डिजाइन में महिलाओं को शामिल किया गया तो बेहतर डिजाइन वाली मशीनें विकसित की जा सकेंगी। जिसके बाद निर्माताओं को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निर्देश किया जा सकता है। इससे कृषि में महिलाओं की उच्च उत्पादकता और आय सुनिश्चित होगी, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओ में कमी आएगी।