कृषि

मध्यप्रदेश के 40 जिलों में तबाही मचाने के बाद अब भोपाल पहुंचा टिड्डी दल

Manish Chandra Mishra

मध्यप्रदेश में पिछले डेढ़ महीने से टिड्डी दल किसानों की परेशानी का कारण बना हुआ है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लगातार टिड्डी नियंत्रण का काम चल रहा है और टिड्डी दल की गतिविधि प्रदेश के 40 जिलों में देखने को मिली है। राज्य सरकार ने हाल ही में 35 से 40 फीसदी मार गिराने का दावा किया था, बावजूद इसके एक बड़े दल का हमला भोपाल शहर पर 14 जून को हुआ। पड़ोसी जिले विदिशा के आधे दर्जन गावों में मूंग और सब्जियों की फसल चट करने के बाद यह दल भोपाल में प्रवेश कर गया।

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी विदिशा में टिड्डी दल की हलचल देखकर सीमा पर अलर्ट थे। शाम 4 बजे के करीब शहर की तरफ तेज हवा चलने की वजह से टिड्डियां उड़कर भोपाल आ गई। भोपाल के आसपास के खेतों में लगी फसल चट करने के बाद टिड्डियों ने शहर का रुख किया। शाम 6 बजे तक टिड्डियों का एक बड़ा समूह भोपाल के अवधपुरी, खजूरीकलां, बरखेड़ा पठानी, कटारा हिल्स, दानिश नगर, होशंगाबाद रोड, मिसरोद और कोलार जैसे रहवासी इलाकों के आसमान में मंडराता रहा। शहर के सबसे व्यस्त सड़क होशंगाबाद रोड पर टिड्डी दल काफी नीचे उड़ने लगे थे जिससे वाहन चलाने वालों को काफी समस्या आई।

टिड्डी के खतरे से अनजान लोगों के घरों में घुसने लगे जिसको भगाने के लिए देर शाम तक थाली बजाकर टिड्डी को भगाने का प्रयास करते रहे। भोपाल जिला प्रशासन ने 14 जून की शाम टिड्डी दल की गतिविधि पर एक बुलेटिन जारी किया। इसके मुताबिक भोपाल में सबसे पहले टिड्डी दल बैरसिया ब्लॉक में देखा गया और हलाली डैम की तरफ हवा के बहाव के साथ गया। कृषि विभाग ने रातभर निगरानी की ताकि टिड्डी दल के ठहराव के स्थान पर छिड़काव कर उसे मारा जा सके। दिन भर टिड्डी दल भोपाल के हरे पेड़ों पर मंडराता रहा।

रात में  टिड्डी दल कटारा हिल्स, हलाली डैम और कोलार से लगे जंगलों और खेतों में रूका। किसान कुबेर सिंह राजपूत ने डाउन टू अर्थ को बताया कि कटारा हिल्स में उनके खेत में खीरा, लौकी, बैगन सहित कई तरह की सब्जियां लगी हैं, जिसको काफी नुकसान हुआ है। लहारपुरा के किसान भगवान सिंह परमार ने बताया कि उनके खेत में धान का रोपा लगा है जिसके छोटे पौधों पर टिड्डी दल का अटैक हुआ। उन्हें टिड्डी दल के प्रवेश की खबर मिल गई थी इसलिए देर रात तक ट्रैक्टर लेकर खेत में डटे रहे। आसपास के दूसरे किसान कनस्तर, थाली, घंटी और पटाखों के साथ रात 8 बजे तक शोर करते रहे जिससे टिड्डी दल उनके खेत से भाग गया। भोपाल के आसपास के गांवों में पिछले 15 दिनों से टिड्डी दल की आवाजाही देखी गई है लेकिन शहरी इलाके में इनका प्रवेश पहली बार हुआ है।

शहर के जंगलों को पहुंचा नुकसान

कटारा हिल्स में ही टिड्डी का एक बड़ा समूह वन विभाग के उद्यान में ठहरा। इस उद्यान में कल तक हरे दिखने वाले बांस, आंवले और सैकड़ों अन्य पेड़ पेड़ सूने हो गए। हलाली डैम और कोलार से सटे जंगलों के पेड़ों का भी यही हाल हुआ। टिड्डी के वजन से यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के पेड़ों की डाल टूटकर नीचे गिरने लगी। हालांकि, वन विभाग ने अभी तक नुकसान का आंकलन नहीं किया है। कृषि विभाग ने भोपाल नगर निगम के साथ मिलकर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के साथ ऊंचे पेड़ों पर दवा का छिड़काव किया। किसानों के मुताबिक टिड्डी का एक बड़ा समूह हवा के बहाव के साथ भोजपुर होते हुए भोपाल से सटे जिले रायसेन की तरफ दल ने रुख किया है