दुनियाभर में 44 प्रतिशत कार्यरत युवा एग्रीफूड सिस्टम्स में काम करते हैं। फोटो: राजू सजवान 
कृषि

20 करोड़ से ज्यादा युवा बेरोजगार, खेती में है उनके लिए सुनहरा अवसर: एफएओ

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) "द स्टेटस ऑफ यूथ इन एग्रीफूड सिस्टम्स" नामक रिपोर्ट जारी की

Raju Sajwan

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक एग्रीफूड सिस्टम्स में युवाओं की भूमिका और उनकी स्थिति का गहन विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 15 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 1.3 अरब युवा हैं, जिनमें से 85 प्रतिशत निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि यदि इन युवाओं को कृषि और खाद्य प्रणालियों में प्रभावी रूप से शामिल किया जाए, तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त योगदान हो सकता है।

एफएओ की इस रिपोर्ट का शीर्षक "द स्टेटस ऑफ यूथ इन एग्रीफूड सिस्टम्स" है। इसमें बताया गया है कि कैसे युवा न केवल खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार ला सकते हैं, बल्कि कृषि के अगली पीढ़ी के उत्पादक, प्रोसेसर, सेवा प्रदाता और उपभोक्ता बनकर प्रणालीगत परिवर्तन ला सकते हैं।

हालांकि, उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं, जैसे जलवायु संकट, पानी की कमी, बढ़ती जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करना और बुजुर्ग होती कृषि कार्यबल की जगह लेना।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 44 प्रतिशत कार्यरत युवा एग्रीफूड सिस्टम्स में काम करते हैं, जबकि वयस्कों में यह संख्या 38 प्रतिशत है। लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों में यह आंकड़ा बहुत भिन्न है।

लंबे समय से संकटग्रस्त क्षेत्रों में यह आंकड़ा 82 प्रतिशत तक है, जबकि औद्योगिक क्षेत्रों में केवल 23 प्रतिशत।

चिंता की बात यह है कि 2014-16 से लेकर 2021-23 तक युवाओं में खाद्य असुरक्षा की दर 16.7 प्रतिशत से बढ़कर 24.4 प्रतिशत हो गई है। यह वृद्धि विशेष रूप से अफ्रीका के युवाओं को प्रभावित कर रही है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विश्व स्तर पर 20 प्रतिशत से अधिक युवा बेरोजगार हैं और उन्हें शिक्षा या प्रशिक्षण भी प्राप्त नहीं है। ऐसे युवाओं को एनईईटी श्रेणी में रखा जाता है।

युवा महिलाओं में यह अनुपात पुरुषों की तुलना में दोगुना है। अगर 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के सभी एनईईटी युवाओं को काम में लगाया जाए, तो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जिसका मूल्य लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक इस वृद्धि में से लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा अकेले एग्रीफूड सिस्टम्स से आएगा।

रिपोर्ट में युवाओं को सशक्त बनाने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं। इनमें उनकी निर्णय क्षमता बढ़ाने, प्रशिक्षण और संसाधनों की पहुंच को सुधारने, खेत पर और खेत के बाहर उत्पादकता बढ़ाने, तथा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को मजबूत करने की आवश्यकता बताई गई है।

पारंपरिक वित्तीय सेवाओं तक युवाओं की सीमित पहुंच को देखते हुए विशेष कदम उठाने की बात कही गई है।

रिपोर्ट में जनसांख्यिकीय आंकड़ों का भी विश्लेषण किया गया है। जैसे- 54 प्रतिशत युवा शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या पूर्वी एशिया में है।

वहीं, औद्योगिक एग्रीफूड सिस्टम्स में ग्रामीण युवा मात्र 5 प्रतिशत हैं। यदि कृषि को युवाओं के लिए आकर्षक पेशा नहीं बनाया गया तो निकट भविष्य में कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की भारी कमी हो सकती है।

दूसरी ओर कई ग्रामीण युवा ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां कृषि उत्पादकता की अपार संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र निवेश और आधारभूत ढांचे के विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।

रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि जलवायु परिवर्तन और उसके कारण उत्पन्न होने वाले झटकों का युवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है।

अनुमान है कि लगभग 39.5 करोड़ ग्रामीण युवा ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां कृषि उत्पादकता में गिरावट आने की संभावना है

एफएओ के अनुसार, उप-सहारा अफ्रीका में युवाओं की जनसंख्या 2050 तक 65 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि 2005 में जहां एग्रीफूड सिस्टम्स में कार्यरत युवाओं की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत थी, वहीं 2021 में यह घटकर 44 प्रतिशत रह गई है। इसके अलावा, उप-सहारा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय प्रवास करने वाले युवाओं की हिस्सेदारी क्रमशः 16.2 प्रतिशत और 15.2 प्रतिशत है।

एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंगयू ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि युवाओं के लिए सम्मानजनक नौकरियां और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास ही एग्रीफूड सिस्टम्स में व्यापक परिवर्तन के लिए प्रेरक शक्ति बन सकते हैं। यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं के लिए एक उपयोगी दस्तावेज है जो युवाओं को केंद्र में रखकर कृषि और खाद्य प्रणाली का भविष्य संवारने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।