पंजाब और हरियाणा के किसानों को बारिश के कारण धान और कपास की फसल में नमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
नमी के कारण मंडियों में फसलें नहीं बिक रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
केंद्र सरकार ने धान की खरीद के लिए कुछ रियायतें दी हैं, लेकिन अधिकांश फसल पहले ही बिक चुकी हैं
पंजाब के भटिंडा जिले के किसान गुरमीत सिंह पिछले 20 दिनों से अनाज मंडी में अपने धान के साथ बैठे हुए है, लेकिन बारिश की वजह से धान में नमी की मात्रा अधिक होने और दाने का रंग व गुणवता के प्रभावित होने के कारण मंडी वाले धान की खरीददारी नहीं कर रहे हैं। गुरमीत की तरह कई किसान नमी की मात्रा अधिक होने के कारण धान की फसल नहीं बेच पा रहे हैं।
देश भर में सरकारी व निजी मंडियों में धान फसल की खरीद चल रही है। पंजाब में आई बाढ़ के कारण पंजाब के एक क्षेत्र की फसल बर्बाद हो गई थी।
गुरमीत बताते है कि उन्होंने 3 एकड़ में बासमती लगाया था व इस साल 2 एकड़ में लगाया है, लेकिन बारिश की अधिकता के कारण गत वर्ष की तुलना में 10-15 प्रति क्विंटल उपज में कमी हुई है। व परमल धान में भी यही हालात रहे है, बारिश के कारण परमल की गुणवता काफी प्रभावित हुईं है, भटिंडा के बहुत सारे किसान मंडी में सामान्य धान लेकर बैठे हुए है लेकिन मंडी वाले 17 प्रतिशत से अधिक नमी का धान नहीं खरीद रहे है।
पिछले दिनों डाउन टू अर्थ ने पंजाब के कई इलाकों का दौरा कर पाया था कि राज्य में इस वर्ष 32.5 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था जिसमें 16.5 लाख हेक्टेयर में बासमती बोया गया था व बाढ़ की वजह से धान में 7500 करोड़ रुपए का प्राथमिक नुकसान हुआ है।
केंद्र सरकार की खाध्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय की सूचना के अनुसार 12-11-2025 से पंजाब के किसानों की 10 प्रतिशत खराब धान की खरीददारी की मंजूरी दी है। लेकिन यह फैसला तब आया, जब राज्य में 85 प्रतिशत से अधिक धान निजी व सरकारी मंडियों में बिक चुका है। पंजाब सरकार एक महीने से केंद्र सरकार से धान की गुणवता व नमी के मानकों में संशोधन को लेकर आग्रह कर रही थी।
पंजाब के मानसा के रहने वाले बीकर सिंह ढिल्लो ने बताया कि उन्होंने 8 एकड़ में सामान्य धान लगाया था लेकिन बारिश की मार के कारण पिछले साल की तुलना में इस साल 15 क्विंटल कम उत्पादन हुआ है। पिछले कुछ सालों से लगातार नुकसान झेल रहे बीकर कहते है कि धान की बुआई करते हुए थक गए है अब फसल चक्र प्रणाली को अपनाना चाहते है।
हरियाणा में भी शिकायत
सिरसा के किसान सुभाष ने बताया कि बारिश के कारण 4 हेक्टेयर में सामान्य धान व 2 हेकटेयर में कपास की फसल बिगड़ गई। सरकारी मंडी वाले खराब धान व कपास की खरीद नहीं कर रहे है व निजी मंडियों में एमएसपी की तुलना में धान का मूल्य 500-600 रुपए कम मिल रहा है वही कपास में एमएसपी के मुकाबले 1200-1500 रुपए का अंतर है। राज्य व केंद्र सरकार ने अभी तक कोई राहत भरी घोषणा नहीं की है।
कपास किसान भी परेशान
वहीं राजस्थान के गंगानगर में रहने वाले किसान हरविंद्र सिंह ने 2 हेक्टेयर (2.47 एकड़) में कपास की बुआई की थी लेकिन कीट-रोग लगने के कारण फसल की वृद्धि कम हुई व उसके बाद बारिश की वजह से फसल में अधिक नमी होने के कारण न्यूनतमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में 800 रुपये प्रति क्विंटल नुकसान झेलना पड़ा। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष फसल का उत्पादन 15 प्रतिशत से कम हुआ है। क्षेत्र के ज्यादातर किसानों ने अपनी फसल निजी मंडी में बेची है। राज्य के कृषि विभाग के अनुसार गंगानगर जिले में इस साल कुल 1.49 हजार हेकटेयर में कपास की बुआई की गई है।
कपास की नमी की अधिकता के कारण राजस्थान के अलावा अन्य राज्य के किसान भी परेशान हुए है। पिछले सप्ताह महाराष्ट्र राज्य के शेतकारी संगठनों ने भारतीय कपास निगम से मांग की थी कि कपास में नमी के मापकों में रियायत बरती जाए ताकि मंडी में उन्हे उचित मूल्य मिल सके। मंडी में कपास की खरीद तभी होती है जब उसमे 12 प्रतिशत से कम नमी हो।
हरविंद्र ने बताया कि सरकारी मंडी में अभी तक मूंग की खरीददारी शुरू नहीं हुई है, जिस कारण 90 प्रतिशत किसान निजी मंडियों में एमएसपी से 1500-2000 रुपए कम में फसल बेच चुके है। मूंग का मौजूदा एमएसपी 8682 रुपए प्रति किवंटल है। राजस्थान सरकार के कृषि विभाग के आकड़ों के अनुसार इस साल गंगानगर में 3.22 लाख हैकटेयर में मूंग की बुआई की गई है।