कृषि

एक नहीं, कई देशों के लिए खतरा बन चुके हैं ये टिड्डी दल

हॉर्न ऑफ अफ्रीका में कुछ महीनों में ही 5,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक फसलें प्रभावित हुईं हैं

DTE Staff

सिरिल पिउ

अकेली टिड्डी खतरनाक नहीं होती। लेकिन जब वे समूह में आ जाते हैं तब उनका व्यवहार आश्चर्यजनिक रूप से परिवर्तित हो जाता है। व्यवहार में यह बदलाव और समूह में रहने की प्रवृत्ति को ग्रेगराइजेशन कहा जाता है। समूह में वे एक साथ उड़ते हैं और फसलों पर हमला करते हैं। 2019 में में कहर बरपाने वाले रेगिस्तानी टिड्डी दल की उत्पत्ति 2018-2019 के सर्दियों के दौरान यमन और ओमान में लाल सागर के पास हुई। अक्टूबर, 2018 में लुबान चक्रवात से आई बारिश के कारण वनस्पति तैयार हो गई। यह वनस्पति टिड्डियों के लिए अनुकूल थी। इस वनस्पति से टिड्टी पोषित हुईं और अपनी संख्या बढ़ाई और ग्रेगेरियस बन गए। जनवरी, 2019 से लाल सागर से सटे अरब प्रायद्वीप में कुछ टिड्डी दल फैल गए और यहां तक ​​कि ईरान और पाकिस्तान तक पहुंच गए, जबकि कुछ टिड्डी दल अरब प्रायद्वीप में ही रुके रहे, जहां उन्होंने प्रजनन किया और अपनी संख्या में गुणात्मक विस्तार किया।

जून में टिड्डी दल ने कुछ घंटों में ही लाल सागर या अदन की खाड़ी को पार किया और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में फैलने लगे। उन्होंने सोमालिया और इथियोपिया के उत्तर में आक्रमण किया, जहां अक्टूबर और नवंबर में बाढ़ ने रेगिस्तानी टिड्डों के लिए अनुकूल परिस्थतियां बना दीं। दिसंबर से केन्या पर टिड्टों का हमला इसी का परिणाम था।

नुकसान का अनुमान

अब तक खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने टिड्डी दल से हुए नुकसान का सटीक मूल्यांकन नहीं किया है। हालांकि, हॉर्न ऑफ अफ्रीका में कुछ महीनों में ही 5,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक फसलें प्रभावित हुईं हैं। सोमालिया जैसे कुछ देशों में सटीक स्थिति का मूल्यांकन करना कठिन है, जहां अक्टूबर, 2019 में टिड्डी दल के हमले की चेतावनी जारी कर दी गई थी। अनुमान के अनुसार, लगभग 100 करोड़ टिड्डियों वाला दल लगभग 20 वर्ग किलोमीटर में फैला होता है और हर दिन 2,000 मीट्रिक टन वनस्पति खाने की क्षमता रखता है। हाल में केन्या के कुछ हिस्सों में 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले टिड्डी देखे गए हैं। ये टिड्डियां फसलों के लिए विनाशकारी साबित हुईं। इस स्थिति को देखते हुए ही एफएओ ने टिड्डी रोधी अभियान के लिए 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत बताई है।

कितने तैयार हैं देश?

रेगिस्तानी टिड्डियों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका रोकथाम प्रबंधन रणनीतियां अपनाना है। ऐसे क्षेत्रों को खोजा जाए जहां ये टिड्डियां मिलती हैं और समूह बनाने की प्रक्रिया आरंभ करती हैं। ऐसे स्थानों पर कीटनाशक छिड़काव के जरिए इन्हें खत्म किया जा सकता है। इस काम के लिए अक्सर रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग जाता है, लेकिन जैव कीटनाशक भी मौजूद हैं। इनका उपयोग किया जाना चाहिए क्योंकि ये लोगों और पर्यावरण के लिए कम नुकसान पहुंचाते हैं। जमीन पर काम कर रही टीमों को उन क्षेत्रों को खोजने के लिए नियमित सर्वेक्षण करने की आवश्यकता होती है जहां सामूहिक बनाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। यह आमतौर पर अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में होता है, जहां अच्छी बारिश होती है और वनस्पति विकसित होती है। उपग्रह और कंप्यूटर मॉडलिंग उपकरण टीमों को यह पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

हमारा शोध बताता है कि टिड्डियों की उपस्थिति का पूर्वानुमान मिट्टी की नमी से लगाया जा सकता है। बारिश के बाद अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी में नमी होने पर वनस्पति दिखाई देने लगती है। मिट्टी की नमी की निगरानी और वनस्पति का निरीक्षण करते हुए हम तीन से चार सप्ताह तक अग्रिम चेतावनी दे सकते हैं। यदि कुछ क्षेत्रों को टिड्डी के विकास के लिए उपयुक्त पाया जाता है तो टीमों को उस जगह का दौरा करना चाहिए।

अरब प्रायद्वीप के देश, लाल सागर का पश्चिमी तट और इथियोपिया एफएओ के क्षेत्रीय टिड्डी आयोग का हिस्सा हैं। ये देश टिड्डों के रोकथाम व प्रबंधन के लिए सर्वेक्षण टीमों को प्रशिक्षित करने में सहयोग करते हैं। लेकिन सभी देशों में प्रतिबंधात्मक रणनीतियां नहीं हैं। गृह युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता से पीड़ित देश अक्सर रोकथाम एवं नियंत्रण गतिविधियों को ठीक से करने में असमर्थ होते हैं। पड़ोसी देशों से टिड्डी दल आने पर वे त्वरित कार्रवाई भी नहीं कर पाते। टिड्डियों के रोकथाम में यह समस्या आती है कि इसे अक्सर भुला दिया जाता है, खासकर तब जब लंबे समय पर कोई हमला नहीं होता। जब बड़े आक्रमण होते हैं, तो टिड्डियों से लड़ने के लिए मनुष्यों और तकनीकी सहायता ली जाती है। जो देश पहले से टिड्डी दल के हमले से प्रभावित हैं, उन्होंने रोकथाम प्रबंधन में बहुत देर कर दी है। जिस गति से टिड्डी फैल रहे हैं, उसे देखते हुए मजबूरन हवाई जहाज से कीटनाशकों का छिड़काव करने की स्थिति पैदा हो गई है।

किन देशों पर अधिक खतरा और क्यों?

हॉर्न ऑफ अफ्रीका में शामिल जिबूती, इरिट्रिया, सोमालिया, इथियोपिया और केन्या सबसे अधिक जोखिम में हैं। टिड्डे यहां लगातार प्रजनन कर सकते हैं और फसलों को नष्ट करने का क्रम जारी रख सकते हैं। आने वाले महीनों में अगर इन पर नियंत्रण नहीं हो पाया तो यह हवा के साथ युगांडा या दक्षिण सूडान और अंततः अन्य पश्चिमी देशों में फैल सकता है। अतीत में रेगिस्तानी टिड्डियों के बड़े पैमाने पर तंजानिया, दक्षिण और मध्य अफ्रीका के कई देशों में फैल चुके हैं। जिन देशों में टिड्डी दल फैल चुके हैं, वहां इन्हें खत्म करने और इनका प्रसार रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। एफएओ वर्तमान में इस दिशा में पहल कर रहा है।

(लेखक फ्रांस की एग्रीकल्चर रिसर्च फॉर डेवलमेंट-सीआईआरएडी में वैज्ञानिक है। यह लेख द कन्वरसेशन से विशेष अनुबंध के तहत प्रकाशित)