कृषि

झारखंडः खाली पड़े हैं 17 लाख हेक्टेयर खेत, धान की बुआई तक नहीं

Anand Dutt

झारखंड के सिमडेगा जिले के किसान मनोज कोनबेगी बीते कई दिनों से दरवाजे पर बैठकर केवल बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कहते हैं पिछले सात दिनों से हमेशा ही बादल लगा रहते हैं। लेकिन पूरबा हवा बहने की वजह से यह रुकता नहीं है, जिससे बारिश नहीं हो रही है। उनके मुताबिक पूरे जिले में फिलहाल 2-5 प्रतिशत तक ही धान की बुआई हो सकी है। वो अपने पूरे साल भर के खर्च और उसके इंतजाम को लेकर चिंतित हैं। 

मनोज की चिंता वाजिब है। क्योंकि पूरे राज्य में अब तक सामान्य से 47 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। कृषि विभाग की ओर से बीते 11 जुलाई को दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य के 16 जिलों में सामान्य से 51-79 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। इसमें साहेबगंज जिले की स्थिति सबसे अधिक खराब है। 

सरायकेला-खरसावां, धनबाद, रांची, बोकारो, दुमका और गिरिडीह जिले में 30-47 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कुल मिलाकर पूरे राज्य में सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है। 

बीते 11 जुलाई तक पूरे राज्य में खरीफ फसलों के बुआई का लक्ष्य 28.27 लाख हेक्टेयर में रखा गया था। इसमें धान 18 लाख हेक्टेयर, मक्का 3.125 लाख हेक्टेयर, दलहन 6.129 लाख हेक्टेयर, मोटा अनाज 0.42 लाख हेक्टेयर, तेलहन 0.60 लाख हेक्टेयर में उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

लेकिन स्थिति देखिये अब तक धान 0.96547 लाख हेक्टेयर, मक्का 1.03862 लाख हेक्टेयर, दलहन 0.67337 लाख हेक्टेयर, मोटा अनाज 0.03577 लाख हेक्टेयर, तेलहन 0.15247 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो सकी है। पिछले साल के मुकाबले अब तक आधी भी बुआई नहीं हो सकी है। 

कृषि विभाग की ओर से दी गई एक और जानकारी के मुताबिक धान 2.162 लाख हेक्टेयर, मक्का 0.973 लाख हेक्टेयर, दलहन 0.589 लाख हेक्टेयर, मोटा अनाज 0.0128 लाख हेक्टेयर और तेलहन 0.141 लाख हेक्टेयर में पैदावार हुई थी। 

बीते साल जुलाई माह के शुरूआत तक 13 जिलों में धान के बिचड़े की बुआई हो चुकी थी। क्योंकि सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। जबकि इस साल केवल पाकुड़ जिले में 553 हेक्टेयर में धान के बिचड़े का रोपा हो सका है। यही नहीं, अब तक मात्र एक लाख किसानों को 27 हजार क्विंटल धान के बीज का वितरण सरकार की तरफ से किया गया है। 

रांची के किसान रघु उरांव ने बताया कि, किसानों को ब्लॉक चेन तकनीकी के तहत बीज बांटा गया है। हमलोगों को जानकारी ही नहीं है कि इससे कैसे जुड़ा जाए। इसलिए हमने बाजार से ही बीज खरीद लिया। 

कृषि निदेशक निशा उरांव की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ब्लॉक चेन नाम से एक तकनीकी विकसित की गई है। इसमें बीज कंपनी से लेकर किसानों तक की एक चेन बनाई गई है। बीज कंपनी जब राज्य को बीज भेजती है तो वहां ऑनलाइन इंट्री होती है। बीज कहां, कब और कैसे पहुंचेगा, इसकी ट्रैकिंग की जाती है। वितरण स्थान पर बीज पहुंचने से किसानों को बीज देते समय भी इसकी ट्रैकिंग होती है। इसके लिए किसानों को निबंधन कराया जा रहा है। 

बारिश के इंतजार में किसान 

लोहरदगा जिले की किसान निलीमा तिग्गा कहती हैं, सबका बिचड़ा तैयार है, लेकिन एक भी खेत में लगा नहीं है। बारिश हमारे वश में तो है नहीं, लेकिन भगवान ऐसा नहीं करेंगे। देर सबरे बारिश देंगे ही। बारिश अगर नहीं हुई तो क्या करेंगे, इसके बारे में फिलहाल सोच नहीं रहे हैं। बस बारिश का इंतजार कर रहे हैं। 

निलीमा जिला सलाहकार समिति की सदस्य भी हैं। वो कहती हैं, पशुपालन विभाग की तरफ से कहा गया है कि अगर खरीफ फसल नहीं उगा पा रहे हैं तो मुर्गी, बकरी, बत्तख पालन कीजिए। विभाग इसके लिए लोन दिलाएगा। 

लोहरदगा जिले के ही एक और किसान चारो भगत कहते हैं, हमलोग फिलहाल मड़ुआ और अरहर की तैयारी भी साथ में कर रहे हैं। क्योंकि इसके लिए पानी नहीं, केवल नमी की जरूरत है। लेकिन अगर धान सही से नहीं हो पाया तो बहुत दिक्कत हो जाएगी। 

मनोज कोनबेगी एक बार फिर कहते हैं, कई लोगों ने तो बिचड़ा तक नहीं बनाया है। ये बुआई केवल उन्हीं जगहों पर हुआ है जहां खेत के ठीक बगल में कोई डैम है। ऊंचे इलाकों में तो मशीन से पानी पटा लेंगे, लेकिन निचले इलाके में पटवन करके भी कोई फायदा नहीं है। पटवन के बाद अगर बारिश हो गई तो सब फसल बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि धान के लिए पूरे खेत में दो से तीन इंच पानी लगातार चाहिए। 

झारखंड में किसानों की संख्या को लेकर अभी तक स्थिति पूरी तरह साफ नहीं है। पीएम किसान के मुताबिक राज्य में 30,97,785 लाख किसान रजिस्टर्ड हैं। जबकि साल 2021 में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा था 58 लाख किसानों को केसीसी कार्ड दिया जाएगा। फिर उन्होंने कहा कि 35 लाख किसानों को बिरसा यूनिक आईडी कार्ड दिया जाएगा।  

हाल ही में खरीफ फसल और बारिश की स्थिति को देखते हुए सरकार ने एक बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद कृषि निदेशक निशा उरांव ने बताया कि, सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल हमने किसानों को छोटी अविधि के बीज लगाने की सलाह दी है। 

इसके तहत अंजलि, ललाट, वंदना, बिरसा सुगंधा आदि लगाया जा सकता है। साथ ही ड्रॉट टॉलरेंस वेरायटी के धान लगाने की भी सलाह दी है। इसके तहत IR-64(DRT) एवं सहभागी बीज लगाने को कहा गया है। इसमें मल्चिंग तकनीकी से पटवन कर अच्छी पैदावार की जा सकती है।