श्रीगंगानगर जिले में घड़साना मेंं उपखंड अधिकारी कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे किसान। फोटो: अमरपाल वर्मा 
कृषि

राजस्थान में सिंचाई संकट: भाखड़ा और पोंग बांधों में पानी की कमी से किसान परेशान

बांधों में पानी न होने के कारण राजस्थान के जिलों में केवल पीने के लिए ही पानी की आपूर्ति की जा रही है

Amarpal Singh Verma

हिमाचल प्रदेश में बांधों में जलस्तर घटने के कारण राजस्थान को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। इंदिरा गांधी नहर परियोजना की नहरों में तो एक फरवरी से केवल पीने के लिए ही पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसका सबसे अधिक असर हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर एवं और बीकानेर जिलों के किसानों पर पड़ा है, जहां खड़ी फसलें सूख जाने का खतरा मंडरा रहा है।

चंडीगढ़ में 29 जनवरी को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की बैठक में एक फरवरी से इंदिरा गांधी नहर में सिंचाई के लिए पानी बंद करने और केवल पीने के लिए तीन हजार क्यूसेक पानी देने का निर्णय किया गया। इसी के साथ भाखड़ा परियोजना में 850 क्यूसेक पानी चलाने का निर्णय किया गया। किसानों का कहना है कि सभी नहरों में पर्याप्त पानी चलाने के लिए भाखड़ा में 1200 क्यूसेक पानी चाहिए। इसी प्रकार किसान इंदिरा नहर में पांच से छह हजार क्यूसेक पानी की मांग कर रहे हैं।

पानी की कमी से परेशान किसान हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, घड़साना, खाजूवाला, मंडी 365 हैड, छत्तरगढ़, रावला समेत विभिन्न स्थानों पर धरने लगाकर प्रदर्शन कर चुके हैं। हनुमानगढ़ में किसान सभा के नेता रेशम सिंह का कहना है कि भाखड़ा क्षेत्र में पानी की कमी के कारण गेहूं की फसल सूख रही हैं। 

इंदिरा नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू जिलों में सिंचाई पानी का मिलता है। भाखड़ा की नहरों से हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर जिलों में सिंचाई होती है। अगर पेयजल के हिसाब से देखें तो इंदिरा नहर 15 जिलों के लोगों की प्यास बुझाती है। राजस्थान के लिए इंदिरा नहर एवं भाखड़ा प्रणाली को पानी की आपूर्ति पोंग एवं भाखड़ा बांधों से होती है, मगर बांध खाली पड़े हैं।

जल संसाधन अधिकारियों के अनुसार राजस्थान को पोंग एवं भाखड़ा बांधों में वर्षाकाल यानी मानसून में 21 मई से 20 सितंबर तक पानी की निरंतर आवक होती है। मानसून के बाद 21 सितंबर से 20 मई जब-जब बारिश होती है,  उसके आधार पर बीबीएमबी द्वारा प्रतिवर्ष राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के लिए जल वितरण निर्धारण किया जाता है। 

वर्ष 2024 में जलग्रहण क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण 20 सितंबर को भाखड़ा बांध का जलस्तर 1680 फीट की पूर्ण क्षमता के मुकाबले 1648 फीट तक ही भर पाया। वहीं, पौंग बांध की कुल भराव क्षमता 1390 फीट है लेकिन 20 सितंबर को इसका जलस्तर केवल 1374 फीट तक ही पहुंच पाया। सितंबर के बाद दोनों बांधों में लगातार जल स्तर कम होता गया। जानकारों का मानना है कि मानसून के बाद हिमाचल में बारिश कम होने के कारण यह हालात बने। 

इसका सीधा असर राजस्थान के पानी के हिस्से पर पड़ा है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। कृषि विभाग के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक मदन जोशी बताते हैं कि गेहूं की फसल को पकने के लिए मार्च तक छह बार सिंचाई की आवश्यकता होती है लेकिन पानी के अभाव में सिंचाई नहीं हो पा रही है।

इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र के मेहरवाला गांव के किसान चरण सिंह बताते हैं कि हमारे यहां गेहूं की फसल में पानी लगे हुए एक महीना हो गया है। अब तापमान बढ़ रहा है। ऐसे में अगर सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलता है तो फसल खराब होना तय है।