चार पहिया वाहनों के ईवी-चार्जिंग स्टेशन
संसद का शीतकालीन सत्र जारी है, सदन में ईवी-चार्जिंग को लेकर उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में, भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने लोकसभा में बताया, चार पहिया वाहनों के सार्वजनिक ईवी-चार्जिंग स्टेशनों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए, मंत्रालय ने 800 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
7,432 इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत तीन तेल विपणन कंपनियों को पूंजीगत सब्सिडी दी गई है। इसके अलावा ईवी यात्रा पोर्टल के अनुसार, 10 दिसंबर 2023 तक देश में पहले से चल रहे ईवी पीसीएस की कुल संख्या11,902 है।
देश में पराली जलाने की घटनाएं
वहीं सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में कहा, 15 सितंबर से 29 अक्टूबर, 2023 की अवधि के दौरान, पंजाब, हरियाणा, एनसीआर-उत्तर प्रदेश, एनसीआर-राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने की कुल घटनाएं घटकर 6,391 हो गई हैं, जबकि 2021 में यह संख्या 11,461 और 2022 में 13,964 थी। 2023 में इसी अवधि के लिए प्रतिशत में कमी क्रमशः 2021 और 2022 की इसी अवधि की तुलना में 44.3 फीसदी और 54.2 फीसदी थी।
प्राकृतिक खेती
सदन में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में आज, अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में बताया, देश भर में भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के तहत आठ राज्यों में प्राकृतिक खेती के लिए अब तक 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को मंजूरी दी गई है और 55.99 करोड़ रुपएजारी किए गए हैं। गंगा कॉरिडोर के किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को भी मंजूरी दी गई है।
किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने और प्राकृतिक खेती की पहुंच बढ़ाने के लिए, सरकार ने भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) को बढ़ाकर एक अलग और स्वतंत्र योजना के रूप में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएनएफ) तैयार किया है।
किसानों को फसल का नुकसान
प्रश्नों का सिलसिला सदन में जारी रहा, वहीं एक और प्रश्न के लिखित जवाब में आज, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में बताया, देश में खरीफ 2016 से शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) विशेष रूप से प्राकृतिक आपदा प्रभावित मौसमों, बारिश के कारण किसानों की आय को स्थिर करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित फसलों और क्षेत्रों के लिए किसानों के लिए बहुत ही न्यूनतम प्रीमियम पर फसलों की बुआई से लेकर कटाई के बाद के चरणों तक सभी बिना रोकथाम वाली प्राकृतिक खतरों के खिलाफ व्यापक जोखिम कवरेज को शामिल किया जाता है।
30 नवंबर 2023 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, योजना की शुरुआत से 2022 से 23 तक, किसानों के प्रीमियम के 29,237 करोड़ रुपएके हिस्से के मुकाबले, किसानों को 1,51,926 करोड़ रुपएके दावों का भुगतान किया गया है।
जलीय प्रदूषण
सदन में उठे एक सवाल के लिखित जवाब में आज, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने लोकसभा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, अंतर्देशीय मत्स्य पालन को जलीय प्रदूषण से वर्तमान में कोई बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि, नदियों के कुछ हिस्सों को औद्योगिक अपशिष्ट जल, नगरपालिका सीवेज, आदि और कुछ प्रदूषकों के सीधे छोड़े जाने के कारण जैविक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी), भारी धातुओं, कीटनाशकों आदि जैसे प्रदूषकों से खतरा है। वहीं, सूक्ष्म प्लास्टिक, बिस्फेनॉल आदि जलीय पर्यावरण के लिए खतरा बनकर उभर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में अप्रत्याशित बारिश से नुकसान
भारी बारिश को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन और अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) द्वारा किए गए मूल्यांकन के अनुसार, मॉनसून के दौरान 145 लोगों की मौत और 9482 मवेशियों की जान चली गई, 13,859 घरों तथा झोपड़ियों और 1.05 लाख हेक्टेयर कृषि, बागवानी फसल क्षेत्र के नुकसान की जानकारी मिली है। वर्ष 2023 के दौरान अगस्त के महीने में भारी बारिश सहित जल मौसम संबंधी आपदाओं के कारण राज्य के प्रभावित होने की जानकारी है।
प्राकृतिक आपदाओं से मरने वालों की कुल संख्या
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया, बाढ़ सहित प्राकृतिक आपदाओं के कारण महिलाओं या अल्पसंख्यकों की मौतों का रिकॉर्ड मंत्रालय द्वारा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है, क्योंकि बचाव उपायों का कार्यान्वयन और जमीन पर लोगों की मौत का आकलन करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्यों की है।
2030 तक स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन
वहीं स्वच्छ ऊर्जा को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा, गैर-जीवाश्म स्रोत से भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 186.46 गीगावॉट है जो इसकी कुल स्थापित क्षमता का 43.82 प्रतिशत है। इसके अलावा इसका 114.08 गीगावॉट कार्यान्वयनाधीन है। भारत द्वारा समय से पहले अपना लक्ष्य हासिल करने के चलते हमने ग्लासगो में कॉप-26 में जो संकल्प लिया था कि 2030 तक देश की स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्रोत से आएगा, उसे हासिल किया है।
आवासीय क्षेत्र में छत पर सौर परियोजनाएं
सदन में उठे एक अन्य सवाल के जवाब में आज, ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने राज्यसभा में बताया, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय रूफटॉप सोलर (आरटीएस) कार्यक्रम चरण- द्वितीय लागू कर रहा है, जिसमें आवासीय क्षेत्र में आरटीएस की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान की जा रही है। कार्यक्रम में आवासीय क्षेत्र में चार गीगावॉट आरटीएस क्षमता की स्थापना की परिकल्पना की गई है, और इसे 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है। चार गीगावॉट क्षमता के लक्ष्य के मुकाबले, एमएनआरई ने विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों को 3.57 गीगावॉट क्षमता आवंटित की है। आवंटित क्षमता के मुकाबले, आवासीय क्षेत्र में अब तक 2.65 गीगावॉट की कुल क्षमता स्थापित की गई है।