खाद्य सुरक्षा के लिए फसलों के विकास और उपज को बढ़ाने हेतु उर्वरकों की जरूरत होती है। वहीं दूसरी ओर उर्वरकों से पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों से निपटना भी बहुत आवश्यक है। इसी क्रम में कृषि के लिए नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग में सुधार करने की तुरंत आवश्यकता पर जोर दिया गया है। लेकिन क्या हम नाइट्रोजन की सही मात्रा की माप कर सकते हैं? एक महान लेखक का कहना था कि यदि आप चीजों को माप नहीं सकते, तो आप इनमें सुधार भी नहीं कर सकते हैं।
अब एक अध्ययन इसको मापने के लिए सबसे अनोखे अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का पहला उपकरण प्रदान कर रहा है। इसके लिए प्रोफेसर शिन झांग तथा उनके सहयोगियों ने विश्वविद्यालयों, निजी क्षेत्र के उर्वरक संघों और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सहित दुनिया भर के दस अलग-अलग शोध समूहों के लगभग तीस शोधकर्ताओं के परिणामों का विश्लेषण किया हैं।
उनमें से प्रत्येक ने यह अनुमान लगाया कि उर्वरक और खाद के रूप में फसल के लिए कितना नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है, फसलों में जितना नाइट्रोजन का उपयोग कम होगा, उतना ही पर्यावरण को नुकसान या इससे होने वाला प्रदूषण कम होगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर शिन झांग ने कहा कि यह अंतर-तुलनात्मक परियोजना शोधकर्ताओं, कृषिविदों और नीति निर्माताओं को यह पहचानने में मदद करती है कि हम नाइट्रोजन बजट के लिए लगाए गए अनुमानों में कहां सुधार कर सकते हैं। नाइट्रोजन के प्रबंधन और खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण प्रदूषण जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए, यह जानकारी स्थायी नाइट्रोजन में सुधार करने का एक आधार है।
नाइट्रोजन कृषि क्षेत्र में बहुत मायने रखता है क्योंकि किसानों के लिए अच्छी फसल की पैदावार प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन जब इसका एक बड़ा हिस्सा फसलों द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है, तो यह भूजल, नदियों, झीलों और मोहल्लों में नाइट्रेट के रूप में इसका रिसाव पर्यावरण में हो जाता है। जहां यह हानिकारक शैवालों के विकास में मदद करता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
कृषि भूमि से अतिरिक्त नाइट्रोजन का अपघटन होने से यह गैसीय प्रदूषकों के रूप में भी बदल सकती है। जिससे लोगों में सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जलवायु परिवर्तन और निचले स्तर के ओजोन प्रदूषण को बढ़ाने तथा समताप मंडल के ओजोन के विनाश में अहम भूमिका निभाती है। इसलिए, खाद्य उत्पादन को बढ़ाने लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए नाइट्रोजन का सावधानीपूर्वक उपयोग एवं इसको प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
इटली में एफएओ के सह-अध्ययनकर्ता डॉ फ्रांसेस्को टुबिएलो ने कहा कि कृषि में नाइट्रोजन के उपयोग की निगरानी करना सीखना 2030 के सतत विकास एजेंडा का एक मूलभूत घटक है। इस अध्ययन का उद्देश्य नाइट्रोजन के मामले में राष्ट्रीय आंकड़ों को बेहतर करना है, फिर उन आंकड़ों का उपयोग लगातार किया जा सकता है।
प्रोफेसर एरिक डेविडसन ने कहा पहले भाग में इस नए अध्ययन ने दस शोध समूहों के बीच कुछ आश्चर्यजनक और परेशान करने वाले मतभेदों को दिखाया। यह सुझाव देते हुए कि मापने की हमारी क्षमता और इस प्रकार इस आवश्यक पोषक तत्व और शक्तिशाली प्रदूषक का प्रबंधन उतना अच्छा नहीं है जितना कि होना चाहिए। आंकड़ों को अधिक गहराई से जांचना, हालांकि इनमें से कई अंतरों को विभिन्न समूहों द्वारा उपयोग की जाने वाली परिभाषाओं और विधियों द्वारा समझाया गया था।
विशेषज्ञों के बीच इस बात की सहमति है कि नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग अभी भी बढ़ रहा है, दुनिया भर में उनके उपयोग की औसत दक्षता स्थिर है। इसलिए बचा हुआ नाइट्रोजन जिसका फसलों द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है, वह भी खतरनाक दर से बढ़ रहा है। फसलों के प्रकार और भौगोलिक क्षेत्र जहां माप में सुधार की भी पहचान की गई है, उन क्षेत्रों में इस प्रकार माप और प्रबंधन दोनों में आवश्यक सुधार की सुविधा प्रदान की गई है। यह अध्ययन नेचर फूड में प्रकाशित हुआ है।
यूनिवर्सिडैड पॉलिटेक्निका डी मैड्रिड के डॉ. लुइस लासालेटा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने 2019 में स्थायी नाइट्रोजन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव अपनाया गया था। डॉ. लासालेटा ने कहा 2030 तक नाइट्रोजन कचरे या जरूरत से ज्यादा उपयोग पर लगाम लगाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य होगा, जो पर्यावरण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करेगा।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि कार्रवाई के लिए पहला कदम कृषि प्रणालियों में नाइट्रोजन बजट के अच्छे अनुमान प्राप्त करना है, जैसा कि इस अध्ययन में दिखाया गया है। ताकि हम नाइट्रोजन का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सके जो हम अब अधिक आत्मविश्वास के साथ इसे मापने में सक्षम हैं।