कृषि

साल 2050 तक किस तरह बदलेगी कृषि भूमि, शोधकर्ताओं ने एआई की मदद से लगाया पता

शोध के मुताबिक, अगले 25 वर्षों में कृषि योग्य भूमि की मात्रा बढ़ जाएगी, लेकिन यह उत्तर की ओर स्थानांतरित हो जाएगी

Dayanidhi

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में भोजन की मांग 110 फीसदी तक बढ़ जाएगी, जबकि आज धरती पर बढ़ते औसत तापमान, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की भारी मात्रा तथा कई अन्य कारणों से लगभग 40 फीसदी फसल भूमि और चरागाह खतरे में हैं।

स्कोलटेक में रूसी विज्ञान अकादमी के भूगोल संस्थान और अन्य प्रमुख शोध संगठनों की एक शोध टीम ने इस बात का पता लगाया कि अगले 25 सालों में कृषि भूमि की उपयुक्तता कैसे बदल सकती है। इसके लिए उन्होंने बड़ी मात्रा में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध आंकड़ों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग किया। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि उत्तरी क्षेत्रों में फसल योग्य भूमि की मात्रा में वृद्धि होगी। यह अध्ययन आईईईई एक्सेस में प्रकाशित हुआ है।

शोध में कहा गया कि शोध पद्धति में तीन चरणों को शामिल किया गया, पहला आंकड़े एकत्र करना और प्रीप्रोसेसिंग करना, दूसरा मशीन लर्निंग मॉडल का प्रशिक्षण करना, विभिन्न जलवायु मॉडल और साझा सामाजिक आर्थिक मार्ग परिदृश्यों के आधार पर फसल वितरण का पूर्वानुमान लगाकर परिणामों का मूल्यांकन करना। अध्ययन पूर्वी यूरोप और उत्तरी एशिया के क्षेत्रों पर आधारित था।

शोधकर्ता वालेरी शेवचेंको ने कहा जो आंकड़े हम अपने काम में उपयोग कर रहे थे वे स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं, हर कोई इनका उपयोग कर सकता है। ईआर ए5 यूरोपीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के जलवायु विश्लेषण के आंकड़े हैं, जो मौसम स्टेशनों और मॉडलों से वास्तविक माप का मिश्रण है।

यह दुनिया भर में 30 x 30 वर्ग किलोमीटर का एक सामान्य ग्रिड हासिल करने में मदद करता है। अन्य आंकड़े, सीएमआईपी मॉडल, का उद्देश्य 2100 तक जलवायु परिवर्तन का पूर्वानुमान लगाना है। ये जलवायु मॉडल हैं जो दुनिया भर के विभिन्न संस्थानों में बनाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं।

क्योंकि सीएमआईपी मॉडल में विभिन्न जलवायु मापदंडों (वायु तापमान, हवा की गति और अन्य) के लिए अलग-अलग सटीकता होती है, शोधकर्ताओं ने तीन डेटा सेट हासिल किए और तीन अलग-अलग जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के लिए उनका विश्लेषण किया।

पहला एक टिकाऊ, कम उत्सर्जन वाली ग्रीन ऊर्जा वाला भविष्य, एक 'व्यवसाय' मध्यम उत्सर्जन के साथ सामान्य प्रक्षेप मार्ग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी वृद्धि के साथ भारी जीवाश्म ईंधन निर्भरता परिदृश्य। कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की स्थितियों का गहन अध्ययन करने के लिए, टीम ने एक किमी x एक किमी रिज़ॉल्यूशन पर वैश्विक खाद्य सुरक्षा-सहायता विश्लेषण आंकड़ों को एक साथ जोड़ा।

वालेरी शेवचेंको ने बताया कि उन्होंने एक मॉडल विकसित किया है जो सटीकता के साथ यह भविष्यवाणी करता है कि अभी की स्थिति क्या है? सीएमआईपी मॉडल से एकत्र किए गए आंकड़ों का उपयोग करके 2050 में क्या होगा इसका पूर्वानुमान लगाने के लिए इस मॉडल का उपयोग किया गया है।

उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि यह मामला 100 फीसदी सही होगा, क्योंकि यहां कई मापदंडों को ध्यान में रखना होगा, उदाहरण के लिए, भूमि का प्रकार, मिट्टी का कटाव आदि। हम केवल जलवायु विकास के विभिन्न परिदृश्यों के आधार पर रुझानों की भविष्यवाणी कर सकते हैं और आज भविष्य के लिए रणनीतियां बनाने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।

शोध के निष्कर्ष के मुताबिक, 25 वर्षों में कृषि योग्य भूमि की मात्रा बढ़ जाएगी, लेकिन यह उत्तर की ओर स्थानांतरित हो जाएगी और वर्तमान में खेती की जाने वाली कुछ कृषि क्षेत्रों को सिंचाई में वृद्धि की जरूरत पड़ सकती है, जिससे खतरे पैदा हो सकते हैं।

शोधकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि उनके निष्कर्ष जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की सिफारिशों के अनुरूप और पूरक हैं, जो जलवायु परिवर्तनशीलता को अनुकूलित करने और खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत क्षेत्रीय आकलन के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।