कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में किए गए 21 दिन का लॉकडाउन हरियाणा की पॉल्ट्री फार्म पर भारी पड़ रहा है। अब पॉल्ट्री फार्म संचालकों को मुर्गियों के खाने के लिए दाना नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से पॉल्ट्री फार्म मालिकों ने अब मुर्गियों को मारने का निर्णय लिया है। जींद और पंचकूला के बरवाला तहसील के कई पॉल्ट्री फार्म में भूख के कारण मुर्गियों की मौत भी हो गई है। हरियाणा पॉल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर करीब डेढ़ करोड़ मुर्गियों को मारने की अनुमति मांगी है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि पहले चिकन से कोरोना फैलने की अफवाह से कारोबार ठप है और अब लॉकडाउन की वजह से मुर्गियों के लिए दाना नहीं मिल रहा है। ऐसे में यह भूखे से मर जाएगी। इससे महामारी का खतरा अलग फैलेगा। इसलिए सभी पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के सदस्यों ने मिलकर सरकार से मुर्गियों को मारने की अनुमति मांगी है।
हरियाणा में जींद, कैथल, पानीपत, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, बरवाला (पंचकूला) और यमुनानगर उत्तर भारत के अंडा-ब्रॉयलर चिकन का सबसे बड़ा केंद्र है। इन जिलों में सालाना करीब 15,000 करोड़ का कारोबार होता है। पूरे प्रदेश में डेढ़ हजार से अधिक हैचरी, अंडे के लिए 50 लाख मुर्गियों की क्षमता के 250 से अधिक लेयर फार्म और चिकन तैयार करने वाले लगभग 2000 ब्रॉयलर फार्म है। इन फार्मों में डेढ़ करोड़ से अधिक मुर्गियों का पालन होता है। इनके लिए हर दिन औसतन 22 हजार टन दाने की जरूरत होती है।
हरियाणा पॉल्ट्री फॉर्म एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह कहते है, मुर्गियों को दाना खिलाने के लिए प्रदेश में बाजरा और सोयाबीन ही नहीं मिल रहा है। आम तौर से बाजरा, सोयाबीन मध्यप्रदेश से आता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वहां से कोई दाना नहीं आ रहा है। पैसे देने को भी तैयार है, लेकिन दाना नहीं मिलने के कारण मुर्गियों को मारने की नौबत आ गई है। हमने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से हैफेड के जरिये बाजरा और स्पेशल राहत की अपील की है। हरियाणा में तीन हजार से अधिक किसान पॉल्ट्री फार्म पर आश्रित है, जिनके लिए अब रोजी रोटी का संकट आ गया है।
ब्रॉयलर फार्मिंग इंस्टीट्यूशन के संचालक शब्बीर अहमद बताते हैं, हर दिन एक मुर्गी को खाने के लिए करीब 130 ग्राम दाने की जरूरत होती है। दाने के रूप में मक्का, बाजरा, सोयाबीन, चावल की पॉलिश मुख्य रूप से दी जाती है। यह पौष्टिक होने के कारण मुर्गियों की वजन अच्छे से बढ़ता है और अंडे भी अच्छी संख्या में देती है। हालांकि यही फीड पॉल्ट्री संचालकों के लिए भारी पड़ रहा है।
50 हजार मुर्गियां पालने वाले जींद स्थित सार्थक पॉल्ट्री फार्म के संचालक पुनीत बताते है, कोरोनावायरस की अफवाह से पॉल्ट्री को उबरना मुश्किल हो गया है। लॉक डाउन की वजह से मंडियां बंद है। आवाजाही के साधन बंद होने के कारण दूर-दराज से बाजार से भी मुर्गियां का दाना नहीं ला पा रहे है। चूजे से चिकन बनाने में करीब 300 रुपये खर्च होता है, लेकिन आज बिक्री शून्य है। हम मुफ्त में देने को भी तैयार है, लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। यह कोरोनावायरस और लॉक डाउन कितने दिन चलेगा, पता नहीं। ऐसे में इन मुर्गियों को पालना अब चुनौती बन गया है। अब इन्हें पालना घाटे का सौदा हो चुका है।
पॉल्ट्री फार्म में नहीं है मजदूर, सड़ने लगे हैं अंडे
हरियाणा के अलग-अलग जिलों के हैचरी और पॉल्ट्री फार्म में काम कर रहे प्रवासी मजदूर लॉकडाउन से घबराकर अपने-अपने जिले चले गए है। चिकन और अंडे की मांग नहीं होने के कारण पॉल्ट्री फार्म में काम कम होने के कारण कई जगहों पर मजदूरों की संख्या कम कर दी गई है। बरवाला के स्वास्तिक पॉल्ट्री के संचालक डीएस सिंगला बताते है बीते दस दिनों से अंडों का उठान नहीं हुआ है। हर दिन चालीस हजार अंडे होते है, लेकिन बिक्री नहीं होने की वजह से अब सड़ने लगे है। मजदूर नहीं होने की वजह से भी दिक्कत आ रही है। बकौल सिंगला, प्रति अंडे चार रुपये की लागत आती है, अब डेढ़ रुपये में भी खरीदने वाला कोई नहीं है। ऐसे में सरकार की मदद ही इस कारोबार को उबार सकती है।