बेशक हरियाणा में खेती का रकबा बढ़ रहा है और फसलों का उत्पादन भी बढ़ रहा है, बावजूद इसके पिछले कई सालों से कृषि विकास दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 12 मार्च को हरियाणा विधानसभा में प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि आमदनी के मुकाबले लागत में अधिक वृद्धि की वजह से ऐसा हो रहा है।
वित्त वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, हरियाणा में खेती की विकास दर 4.3 फीसदी होने की संभावना है। जो अब तक सबसे कम है। जबकि प्रदेश के विकास में कृषि का कुल योगदान महज 18.9 फीसदी अनुमानित की गई है। 2016-17 में कृषि विकास दर 7.9 फीसदी, 2017-18 में 6.1 फीसदी, 2018-19 में 5.3 फीसदी और 2019-20 में 4.5 फीसदी थी, जबकि इस दौरान प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 2019-20 में 16.6 प्रतिशत और 2018-19 में 17.5 फीसदी ही रहा। जबकि साल दर साल खेती का रकबा और पैदावार दोनों में इजाफा हुआ है।
एक नवंबर 1966 को हरियाणा के गठन के वक्त गेहूं 7.43 लाख हेक्टेयर, धान 1.92 लाख हेक्टेयर समेत मिलाकर खाद्यान्न की पैदावार 35.2 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती थी। इसके अलावा गन्ना, ऑयल सीड्स, कपास मिलाकर 45.99 लाख हेक्टेयर पर बिजाई हुई थी। गेहूं की पैदावार 10.59 लाख टन, धान की पैदावार 2.23 लाख टन समेत अन्य खाद्यान्न की कुल पैदावार 25.92 लाख टन हुई थी। इस दौरान प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन 4106 किलोग्राम, धान 2557 किलोग्राम था। इस समय प्रदेश के विकास में कृषि का योगदान 67 प्रतिशत था।
2016-17 में गेहूं 25.42 लाख हेक्टेयर, धान 13.85 लाख हेक्टेयर समेत मिलाकर खाद्यान्न की पैदावार 45.37 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती थी। गेहूं की पैदावार 123.1 लाख टन, धान 44.51 लाख टन रहा, जबकि प्रति हेक्टर गेहूं का उत्पादन 4842 किलोग्राम और धान 3214 किलोग्राम पहुंच गया। इसके अलावा गन्ना, ऑयल सीड्स, कपास मिलाकर 65.02 लाख हेक्टेयर पर बिजाई होती थी।
2017-18 में गेहूं 25.31 लाख हेक्टेयर, धान 14.22 लाख हेक्टेयर समेत मिलाकर खाद्यान्न की पैदावार 45.32 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती थी। गेहूं की पैदावार 122.65 लाख टन, धान 48.8 लाख टन रहा, जबकि प्रति हेक्टर गेहूं का उत्पादन 4847 किलोग्राम और धान 3432 किलोग्राम पहुंच गया। वित्तीय वर्ष 2018-19 में गेहूं 25.53 लाख हेक्टेयर, धान 14.47 लाख हेक्टेयर समेत मिलाकर खाद्यान्न की पैदावार 45.58 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती थी। गेहूं की पैदावार 125.73 लाख टन, धान 45.16 लाख टन रहा, जबकि प्रति हेक्टर गेहूं का उत्पादन 4925 किलोग्राम और धान 3121 किलोग्राम पहुंच गया।
2019-20 में गेहूं 25.34 लाख हेक्टेयर, धान 15.59 लाख हेक्टेयर समेत मिलाकर खाद्यान्न की पैदावार 47.03 लाख हेक्टेयर भूमि पर पहुंच गई। गेहूं की पैदावार 118.77 लाख टन, धान 51.98 लाख टन रहा, जबकि प्रति हेक्टर गेहूं का उत्पादन 4687 किलोग्राम और धान 3334 किलोग्राम पहुंच गया।
कृषि मामलों के जानकार देवेंद्र शर्मा कहते है कृषि विकास दर और विकास में कृषि का योगदान घटने का साफ अर्थ है कि कृषि की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। बीते 45 वर्षों में कृषि इनपुट में शामिल बीज, कीटनाशक, मजदूरी, सिंचाई, बिजली समेत अन्य के दाम 120 फीसदी तक बढ़ी है, जबकि इसके मुकाबले किसानों को मिलने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में महज 19 फीसदी का इजाफा हुआ है। एमएसपी भी सभी किसानों को नहीं मिलता है। कृषि के ग्रोस वैल्यु एडेड यानी लागत और बिक्री से प्राप्त आय का अंतर बहुत ही कम हो गया है। जिसकी वजह से कृषि की विकास दर और विकास में कृषि का योगदान दोनों घट रहा है। कृषि क्षेत्र में विकास की संभावनाएं बहुत है।
हरियाणा सरकार ने बजट 2021-22 में खेती के लिए पिछले बजट के मुकाबले इस बार करीब 20.9 फीसदी अधिक 6110 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में यह 5052 करोड़ रुपये था। हर साल बजट में खेती-किसानी पर अधिक बजट का प्रावधान किया जाता रहा है, लेकिन विकास दर और विकास में कृषि का योगदान घटता जा रहा है।