कृषि

ओलावृष्टि: सुबह गिरे ओले शाम तक खेतों में बिना घुले पड़े रहे, फसलों को भारी नुकसान

मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में ओलावृष्टि ने भारी नुकसान पहुंचाया, किसानों ने कहा कि कुछ भी नहीं बचा, मुख्यमंत्री ने सर्वे कराने के दिए आदेश

Rakesh Kumar Malviya

पिछले सप्ताह भर से विपरीत मौसम झेल रहे मध्य प्रदेश  में 9 जनवरी की रात कई गांवों के लिए कहर बनकर आई। कुछ दिनों पहले अपने लहलहाते खेतों को देखते किसानों के चेहरों की खुशी पीड़ा में बदल गई। यह पीड़ा इतनी अधिक है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग ऐसे रो रहे हैं जैसे उनके घर की किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो।
निवाड़ी जिले के गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान की खबरें आ रही हैं। यहां गिरे ओले आकार में इतने बड़े पाए गए कि सुबह आठ बजे गिरे ओले शाम पांच बजे तक खेतों में पड़े रहे, मतलब पानी में तब्दील नहीं हुए।
वहीं दर्जन भर जिलों के कई गांवों में ओलावृष्टि से खबरें मिल चुकी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नुकसान का सर्वे कराने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं और कहा है कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।

मप्र में 25 दिसम्बर के बाद से ही मौसम खराब है। लेकिन बीते चार—पांच दिनों में इसका असर राज्य के सभी जिलों में दिखाई दे रहा है। इस दौरान प्रदेश के 9 जिलों को छोड़कर सभी जिलों में बारिश हो चुकी है। शुरू में यह बारिश मावठा मानकर किसान खुश था, इससे ज्यादा नुकसान नहीं था, लेकिन बीते दो दिनों में लगातार और तेज बारिश होने से यह फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हुई है।

9 जनवरी की सुबह तकरीबन 8 बजे निवाड़ी जिले के कई गांवों में बहुत तेज ओलावृष्टि हुई। निवाड़ी जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मस्तराम सिंह घोष इस ओलावृष्टि के बाद इन प्रभावित गांवों में प्रशासन के साथ गए। मस्तराम ने डाउन टू अर्थ को बताया कि यह पहले भी हमने ओलावृष्टि देखी हैं, लेकिन ऐसा नुकसान कभी नहीं देखा जबकि खेतों में कुछ भी नहीं बचा हो।
निवाड़ी जिले से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव घुघसी, थोरा सहित एक दर्जन गांवों में सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। गेहूं, मटर, सरसों चना आदि की फसलों को सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। मस्तराम ने बताया कि सर्वे के बाद प्रशासन ने माना है कि इस क्षेत्र में सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। निवाड़ी जिले से लगे पृथ्वीपुर क्षेत्र में भी ऐसे ही नुकसान की खबरें आ रही हैं।

जिले के कलोथरा गांव के किसान संजीव प्रजापति ने बताया कि दो—तीन रोज से मौसम खराब था। 9 जनवरी को सुबह 8 बजे से तकरीबन आधे घंटे तक पूरे इलाके में तेज गति से ओलावृष्टि होती रही। तकरीबन 10 से 50 ग्राम तक के ओले गिरे। इलाके में मटर, सरसों, ज्वार, गेहूं, चना की फसल खड़ी थी, सब नष्ट हो गई। ऐसी ओलावृष्टि हमने अपने जीवन में कभी नहीं देखी, जो ओले सुबह गिरे थे, वह शाम तक खेतों में पड़े रहे।

निवाड़ी विधायक अनिल जैन ने कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी तथा अधिकारियों के साथ 9 जनवरी को ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया और असमय वर्षा और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को पहुंचे नुकसान की जानकारी ली। 

हरदा जिले से भी नुकसान की खबरें आई हैं। यहां पर नुकसान का केन्द्र रहटगांव के पास पानलताई गांव है। पानतलाई गांव की पंचायत सहायिका निशा रामकुचे ने डाउन टू अर्थ को 15 सेकंड का एक वीडियो शेयर किया है जो आठ जनवरी और 9 जनवरी के क्ल्प्सि को जोड़कर बनाया गया है। निशा ने बताया कि चंद मिनटों की ओलावृष्टि ने किसानों की दो महीने की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया। चने की फसल पर फूल लगा हुआ था, और गेहूं में भी बालियां थीं। ओलावृष्टि ऐसे समय पर हुई है कि फसल में अब दोबारा जान आना संभव नहीं है।  

विदिशा जिले के गंजबासौदा क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता वीरसिंह लोधी ने लटेरी तहसील के ग्राम उनारसीकला का एक वीडियो डाउन टू अर्थ को उपलब्ध करवाया है। इस वीडियो में बेर के आकार के ओलों से गांव में होता नुकसान नजर आ रहा है।

छतरपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में आठ जनवरी की शाम को भारी ओलावृष्टि हुई। बक्सवाहा के निवासी एडवोकेट रमन जैन ने बताया कि ऐसी तेजी ओलावृष्टि कभी नहीं देखी, ऐसा लग रहा था कि बंदूक से गोलियां दागी जा रही हैं, सुबह जब देखा तो दीवारों पर प्लास्टर पर ओले पड़ने के निशान थे, जगह—जगह निशान बन गए थे।

किसान जागृति संगठन के प्रमुख इरफान जाफरी ने बताया कि प्रदेश के अलग—अलग हिस्सों से संगठन के लोग उन्हें भारी नुकसान की जानकारी दे रहे हैं। सरकार को फौरन ही सर्वे करवाकर बीमा कंपनियों को नुकसान की भरपाई करने के आदेश देना चाहिए, लेकिन पिछले सालों में यह अनुभव आया है कि बीमा कंपनियां कई शर्तों का हवाला देते हुए हर्जाना देने से बच निकलती हैं।  

बिजावर से विधायक राजेश बब्लू शुक्ला नुकसान के बाद अपने क्षेत्र में पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे देखने में आया है कि ऐसे नुकसान के बाद पटवारी और जिम्मेदार अधिकारी चेहरा देखकर नुकसान का आंकलन करते हैं, यह स्थिति न बने इसलिए वह खुद प्रशासन के साथ आंकलन कर रहे हैं, ताकि किसानों को नुकसान की पूरी भरपाई हो सके।  

मौसम केन्द्र भोपाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि ऐसा मध्यप्रदेश में जबकि पश्चिचमी विक्षोभ का असर 10 जनवरी तक रहने का अनुमान है। 12 जनवरी तक मौसम साफ नहीं रहेगा, इसके बाद दिन और तापमान में और कमी आएगी।

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल बताया कि राजस्व व कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी गांव गांव का दौरा कर सर्वे कर रहे हैं, सही सही जानकारी प्राप्त कर, उसके आधार पर किसानों को राहत दिलाने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने जिला प्रशासन को सर्वे के लिए 72 घण्टे की समय सीमा दी है और कहा है फसल बीमा योजना की 25 प्रतिशत राशि तत्काल ही दी जाएगी।